वन मैन आर्मी का कमांडर है एटीएस का असीम अरूण

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: जोन का आईजी बनने के सिफारिश कराते हैं बड़े आईपीएस, असीम ने वाराणसी के आईजी की कुर्सी छोड़ दी : एटीएस में अब न कोई डीआईजी है, न एसएसपी है, और न एसपी : सिर्फ दो एडीशनल एसपी जैसे सहयागियों पर फहरा रहा है यूपी में एटीएस का झण्‍डा :

कुमार सौवीर

लखनऊ : देश में आतंकवाद का सबसे बड़ा अड्डा, गढ़ और खुला मैदान अगर कोई है, तो वह है उत्‍तर प्रदेश। एक तो नेपाल से उसकी हजारों किलोमीटर लम्‍बी खुली सीमा, और उस पर तुर्रा यह कि आतंकवादियों में से ज्‍यादातर की यूपी के विभिन्‍न क्षेत्रों में उनकी घुसपैठ, समर्थन और करीबी रिश्‍तेदारी। नतीजा यह कि देश में आतंकवादियों के सर्वाधिक स्‍लीपिंग मॉड्यूल्‍स यूपी में जहां-तहां पसरे हैं। कहने की जरूरत नहीं कि पिछले ढाई दशक के दौरान सबसे ज्‍यादा आतंकवादी हमले यूपी में ही हुए हैं, जहां सैकड़ों लोगों का भारी नुकसान हुआ।

ऐसी हालत से निपटने के लिए सरकार ने पुलिस विभाग में एक नयी शाखा खोली, जिसका मकसद था आतंकवादी हरकतों को सूंघना, उनकी सुरागकशी, उनका अता-पता लगाना, उनके संदेशों को दबोचना, पढ़ना और उसके हिसाब से उससे निपटने की रणनीति तैयार करना। इस शाखा का नाम दिया गया एटीएस, यानी एंटी टेरेरिस्‍ट सेल। इसके लिए पुलिस में पुलिस महानिरीक्षक यानी आईजी को मुखिया बना दिया गया, जिसके अधीनस्‍थ डीआईजी, एसएसपी, एसपी और एएसपी की पूरी फौज तक के पद सृजित कर दिये गये।

लेकिन हैरत बात की बात है कि इतने अति संवेदनशील महकमे में एटीएस के मुखिया के अलावा कोई भी वरिष्‍ठ अधिकारी ही उपलब्‍ध नहीं है। सूत्र बताते हैं इस एटीएस में जिस किसी की भी पोस्टिंग हुई, वह यहां आया तो जरूर, लेकिन पान-बीड़ी या जलपान करने के लिए फिर किसी दूसरी जगह पर अपनी गोटी सेट करवा कर एटीएस से निकल लिया। और जिन में जबर्दस्‍त क्रिया-दक्षता की शोहरत थी, उन्‍हें किसी न किसी अशांत जिले में भेज दिया गया।

मसलन, सुभाष सिंह बघेल, उमेश श्रीवास्‍तव, राकेश पाण्‍डेय, रोहन पी कनय, लव कुमार वगैरह-वगैरह यह लोग एटीएस में आये तो जरूर, लेकिन कहीं दूसरी पोस्‍ट पर जाने के लिए। उमेश श्रीवास्‍तव को तो जैसे ही दूसरी बार उन्‍हें एटीएस में भेजा गया, तो वे सीधे बीमार ही हो गये। अब यहां अधीनस्‍थों में से केवल दो ही अधिकारी मौजूद हैं, जो अपर पुलिस अधीक्षक स्‍तर के हैं। एक का नाम है राजेश श्रीवास्‍तव और दूसरे का नाम है राजेश साहनी।

यानी यह पूरा एटीएस केवल एक बॉस यानी आईजी, और दो जूनियर-मोस्‍ट अफसरों के बल पर ही संचालित हो रहा है। मुखिया का नाम है असीम अरूण। असीम का नाम पुलिस महकमे में अदम्‍य क्षमता का प्रतीक माना जाता है। यूपी के पूर्व डीजीपी रह चुके श्रीराम अरूण के पुत्र इस शख्‍स का नाम सिर्फ असीम ही नहीं है, बल्कि उसमें असीम कार्य-क्षमता भी है। दृढ़-इच्‍छा वाले असीम अरूण को चंद दिन पहले निर्वाचन आयोग ने वाराणसी का आईजी जोन बना दिया था, लेकिन अरूण इस पद पर गये नहीं। बल्कि अपना तबादला निरस्‍त करा दिया। असीम अरूण के करीब लोग बताते हैं कि चूंकि एटीएस कुछ गम्‍भीर मामलों-टास्‍क पर जुटी हुई थी, इसलिए असीम ने तबादले पर वाराणसी जाने के बजाय एटीएस पर अपने गम्‍भीर मामलों पर ध्‍यान देना बेहतर समझा।

लेकिन ऐसा भी नहीं कि असीम अरूण इस तरह की चेसिस वाले इकलौते अधिकारी हैं। इसके पहले राजीव सब्‍बरवाल भी असीम अरूण जैसी जिजीविषा का प्रदर्शन कर चुके हैं। एसएसपी के पद से एटीएस में आने वाले राजीव ने एटीएस में जान लड़ा दिया था। राजीव इसी एटीएस में डीआईजी बने और फिर आईजी का पद भी एटीएस में रह कर ही सम्‍भाला। फिलहाल राजीव इस वक्‍त केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर चले जा चुके हैं।

यूपी के आईपीएस अफसरों से जुड़ी खबरों को देखने के लिए निम्‍न लिंक पर क्लिक कीजिए:-

यूपी के बड़े दारोगा

2 thoughts on “वन मैन आर्मी का कमांडर है एटीएस का असीम अरूण

  1. आर्मी मैन बनना चाहता हूं यूपी उत्तर प्रदेश बस्ती का मैं निवासी अजीत सिंह

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *