शराबी पति मार डालेगा मेरे पेट में पलते बच्‍चे को

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

शराबी पति की पिटाई से आठ बार हुआ गर्भपात

दुखिया नारी जुटी अपने ही गर्भस्‍थ भ्रण को बचाने में

हिमाचल प्रदेश में बढ रहे हैं महिला उत्‍पीडन के मामले

यह एक निहायत बेबस महिला की व्‍यथागाथा है जो अपने बच्‍चे को तो जन्‍म देना चाहती है, लेकिन इसकी इस ख्‍वाहिश में खुद उसका ही पति बाधक बना हुआ है। अ पने शराबी पति की पिटाई से अब तक उसके आठ गर्भ गिर चुके हैं। लेकिन इस बार तो यह महिला स्‍त्री-सशक्तीकरण का एक नायाब नमूना बन कर सामने आयी है। बाकायदा चंडी बन चुकी इस महिला ने तय किया है कि अब चाहे कुछ भी हो, वह अपने बच्‍चे को हर हालत में जन्‍म देगी। अब अपने नवें गर्भस्‍थ बच्चे की जान बचाने के लिए इस महिला ने महिला आयोग का दरवाजा खटखटाया दिया है।

हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले की विमला (काल्पनिक नाम) के पेट में पल रहा बच्चा कान्हा होगा या कान्हा की बहन, यह समय ही बताएगा लेकिन उसकी मां उसे बचाने के लिए हाड़ कंपा देने, वाली ठंड में महिला आयोग की शिमला स्थित अदालत पहुंची है। उसका आरोप है उसके आठ गर्भपात पति द्वारा शराब पीकर पीटे जाने से हुए हैं। लिहाजा वह नवीं औलाद को पति के घर में जन्म नहीं देगी। अब वह अपने कान्हा या कान्‍हीं में अपने उस भविष्य को टटोल रही है जिस पर उसके पिता की छाया न हो और जो उसे सुकून व शांति देने वाला हो। कुछ भी हो, विमला ने अंतत: पति की क्रूरता को बयान करने का साहस जुटा ही लिया।

हिमाचल में महिला अधिकारों को लेकर हो रहे त्वरित फैसलों के बाद आयोग की कोर्ट में विमला जैसी दर्जनों महिलाएं अपनी दास्तां सुनाती हैं और जब आयोग की फटकार उनके पतियों को लगती है तो आधा इंसाफ उसी वक्त हो जाता है। शिमला में दो दिनों तक महिला आयोग की सुनवाई बैठकों में करीब 70 फीसदी मामले केवल महिलाओं से घरेलू हिंसा व पति द्वारा शराब पीकर पीटने के आ रहे हैं। मंगलवार को भी महिला आयोग में बिमला के पति को कानूनी सबक भी सिखाया गया और पत्नी को किसी भी तरह से परेशान करने के मामले में पुलिस को निगाह रखने की हिदायत भी दी गई है। वहीं, एक अन्य युवती प्रियंका की मनोस्थिति पर भी आयोग की अध्यक्षा अंबिका सूद ने कड़ा रुख अपनाया।

भरवाईं की रहने वाली प्रियंका की सगाई साल पहले हुई, इस एक वर्ष में लड़के व लड़की वाले मिलते रहे। समाज में शादी का संदेश गया लेकिन शादी की शहनाई गूंजने से पहले ही लड़के वालों ने यह कह कर मना कर दिया कि उनके विचार नहीं मिलते। वधु पक्ष सदमे में है और लड़की भी। आयोग ने इस मुद्दे पर गहराई से पड़ताल की और जबरन शादी के बजाय अब खर्च का हिसाब देने के निर्देश दोनों पक्षों को दिए। इसी तरह की हालत उन मां-बाप की भी है, जिन्होंने अपनी लाडली को बड़े चाव से बड़ा किया लेकिन जब उसने लव मैरिज कर ली तो बुजुर्ग मां-बाप उसे देखने के लिए भी तरसते हैं। अब महिला आयोग जाकर उन्होंने गुहार लगाई है कि हमें

अपनी बेटी से मिलने व देखने का मौका मिले। लेकिन बेटी कहती है कि वह अपने घर में खुश है अत: उसके माता-पिता को उसी में खुश रहना चाहिए। एक दिन में करीब 31 केसों में से 29 मामलों में स्त्री का हर दर्द, हर संवेदना व हर जरूरत, किसी न किसी रूप में सामने आई है, जिसका वीभत्स रूप हमारे समाज की व्यवस्था ने खड़ा किया है। अब इसी कुव्यवस्था को पटरी पर लाने का प्रयास राज्य महिला आयोग कर रहा है। एक दिन में करीब 40 फीसदी ऐसे मामलों को मौके पर ही बातचीत से हल किया जा रहा है। बताते हैं कि कई मर्तबा अलग-अलग गाडि़यों से आयोग पहुंचे दो पक्ष, आयोग की सलाह के बाद एक ही साथ वापस गए हैं।

 

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