लोगों की मदद करने के लिए भी ठोंकपीट कर परखियेगा जरूर, हरदोई में हंगामा

सैड सांग

: कप्‍तान भी बिलकुल बकलोल निकले, बिना पूछतांछ के ही एक सम्‍मानित को हवालात घुमा लाये : बेरोजगारों की मदद  करने वाले प्रमोद बाबा सभासद को भी खानी पड़ी हवालात की हवा : महज एक लाख रूपयों की वसूली के लिए एक मासूम को अपहृत कर लिया बेरोजगारी से त्रस्‍त युवकों ने : राजनीतियों के पांसे बिछाकर कप्‍तानी हासिल किये आईपीएस ने बिना पूछतांछ के ही सम्‍मानित व्‍यक्ति को अपराधी करार दे दिया :

प्रशांत पाठक

हरदोई : किसी को मकान देना या मदद करना हो तो पूरी तस्दीक करने के बाद ही ऐसा कुछ करे वरना आपके साथ क्या-क्‍या नहीं हो सकता है, आपको शायद अहसास तक नहीं है। लेकिन अगर आप जानना चाहते हों तो चार साल के बच्‍चे अर्नव की कहानी और अनगढ़ कप्‍तान की कहानी सुन लीजिए, जिसने एक सम्‍मानित और लोकप्रिय शख्‍स को हवालात में बंद कर दिया। हालांकि बाद में जब मामला खुला तो पुलिस की हवा निकल गयी। जांच अब नये तरीके से करने की कवायद में जुट गयी है पुलिस।

यह एक आपराधिक वारदात का किस्‍सा है। शुक्रवार को हरदोई के एक स्कूल प्रबंधन की लापरवाही से स्कूल से एक चार साल के मासूम अर्नव नामक बच्‍चे को अपहृत कर लिया गया था। हालांकि बाद में ग्रामीणों की सुजबुझ से उस मासूम की रिहाई हो गयी और सारे अपहृत पुलिस ने  दबोच लिये। लेकिन यह बच्‍चे की बरामदगी उसके परिवार पुलिस और स्थानीय लोगो के लिए एक बड़ी खुशखबरी से कम नहीं थी।

प्राप्‍त जानकारियों के अनुसार अर्नव की रिहाई को लेकर बड़ी छोटी रकम एक लाख रुपए भी मांगी गयी थी। जाहिर है कि अपराधी पेशेवर नहीं थे। इसलिए पुलिस उसी दिन उन तक पहुँच गयी। इस मामले में लोनार थाने के बड़ौरा गाव का अजय और पुरौरी के राजेश और अमित को पुलिस पकड़ कर पूछताछ में जुटी थी। ग्रामीण परिवेश के पकडे गए सभी युवक बेरोजगार थे और रोजगार करने के लिए इतने गंभीर अपराध के दलदल में उत्तर गए।

खुशकिस्मती हरदोई के लोगो की अपराध की दुनिया में प्रवेश करते ही पकड़े गए इसके लिए हरदोई पुलिस की तत्पर कार्रवाई निश्चित ही सराहनीय है। लेकिन पुलिस का यह अच्छा काम लेकिन तब अचानक विवादों में आ गया जब पुलिस ने इसी मामले में हरदोई के सुभाष नगर के नगर पालिका सभासद प्रमोद सिंह बाबा को भी इसी में शामिल कर दिया। प्रमोद सिंह बाबा अपने इलाके से कई बार के सभासद है लोगो के साथ खड़े रहने वाले छवि भी है। प्रमोद बाबा और उनके परिजनों से बात हुई तो पता चला की उनका कसूर केवल इतना था कि इन लड़कों को उन्होंने अपने प्लाट में महज चार छह रोज़ पहले यह जानकार रहने को बोल दिया कि यह लड़के युवा है और इसलिए कुछ ठोस काम-धाम करेंगे।

लेकिन इन खतरनाक युवाओ ने बच्चे का अपहरण किया और उसकी कॉपी लाकर उसी जगह रख लिया जहा रुके थे। पुलिस ने पूंछताछ की तो रुकने की जगह प्रमोद बाबा की थी इसलिए इस जघन्य वारदात में प्रमोद बाबा का नाम भी इसी अपराध में जुड़ गया। प्रमोद बाबा की एक कमी और भी थी सभासद होकर अपने इलाके में ही रहते थे। कहीं और भी नमस्‍ते-सजदा करने के लिए उनका आना-जाना नहीं था।

खैर जब पत्रकारों के सामने उन तीन अपराधियो के साथ प्रमोद बाबा का नाम आया तो पत्रकारों का भी चौकना भी लाजमी थी। कप्तान भी नए ही आये थे सत्ता की गोटिया फिट करके आये है, लेकिन जब पत्रकारों ने सवाल पूंछने शुरू किये तो नए कप्तान साहब को भी गंभीरता का अहसास हुआ खैर उन्होंने प्रमोद बाबा के पूरे मामले का संज्ञान लिया और गहराई और पारदर्शी तरीके से विवेचना की बात की जरूर की।

अब पता नहीं विवेचना में प्रमोद सिंह बाबा को कितनी राहत मिले लेकिन आप अगर अपना मकान ,खाली पड़ा प्लाट ,कोई दूकान अगर किसी को मदद करने के लिए या किराए के लिए देने को हो तो उस व्यक्ति के बारे में ठीक ठाक तस्दीक जरूर कर ले क्योकि कुछ लोग केवल मौका खोजते है और रस्सी को साँप बनाने वाले भी तैयार है इसलिए सावधानी रखे और सुरक्षित रहे। वैसे आप और हम चाहे तो प्रमोद बाबा के बारे में सामजिक राय दे कर लोगो को आगाह कर सकते है

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