: जेल जाने से तुम्हे भी बचाया हमे भी बचाया आय से अधिक मामले में, नही तो 7 साल की जेल हो जाती~मुलायम सिंह : सीबीआई व कोर्ट फ़िक्सर है। जाँच एजेंसी, जजों को फिक्स करने की जिम्मेदारी निभाने वाले अमर सिंह है मुलायम के भाई : न्यायपालिका की करतूतों को देखना हो तो मुलायम-कुनबे के केस में झांकने की कोशिश कीजिए :
विश्वनाथ चतुर्वेदी
नई दिल्ली : आय से अधिक मामले में 2007 से पूरा कुनबा वांटेड होने के बाद भी अब तक केश न रजिस्टर्ड करने वाली सीबीआई गैर कानूनी फ़ैसला देने वाले अल्तमश कबीर को मैनेज करने से लेकर, तीन-तीन बार मीडिया द्वारा केस क्लोजर की झूठी ख़बर मीडिया में प्रचारित कराने वाले अमर सिंह ही थे। सीबीआई द्वारा अब तक कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट नही दाखिल की है। क्लोजर स्वीकार-अस्वीकार करना कोर्ट पर निर्भर है। केस सीबीआई के पास पेंडिंग है। जस्टिस आफ़ताब आलम के भाई जावीद अहमद हैं यूपी के डीजीपी।
28 प्लाट घोटाले (जिसमे अमर सिंह ने इकोनॉमिक वीकर सेक्सन का हलफनामा देकर) प्लाट हासिल करने वाले अमर सिंह ने कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेख मनु सिंघवी के जरिये आफ़ताब आलम की कोर्ट सेट कर तीन एजेंसियों की जांच रिपोर्ट और कोर्ट की प्रोसिडिंग पूरी होने के वावजूद झूठ बोलकर रिटायरमेंट के बाद पोस्टिंग का आश्वासन पर पिटीशन खारिज कराने में कामयाब रहे थे। रिटायरमेंट के बाद आफ़ताब आलम टी वी ट्रिब्यूनल के चेयरमैन है। और आफ़ताब आलम के भाई जावीद अहमद उ प्र के डी जी पी।
2008 में न्यूक्लियर डील पर मनमोहन की सरकार बचाने के बाद केंद्र सरकार के वकील और मुलायम कुनबे के वकील एक स्वर में मुझे काग्रेसी बताते थे।केंद्र सरकार को जब भी संकट में आती सीबीआई का कोर्ट में स्टैंड बदल जाता था। पांच बार रिकार्ड पर कोर्ट में सीबीआई ने अपना स्टैंड चेंज किया है।
लोकतंत्र के चारो पायो को मैनेज कर मुलायम कुनबे को अब तक जेल जाने से बचाने के लिए सीबीआई की dig के फर्जी दस्तखत झूठी रिपोर्ट बनाने से लेकर मीडिया में चलवाने का काम अमर सिंह ने ही किया। कोर्ट में 100 से ज़्यादा वकीलों को ब्रीफ देकर मुझे सीनियर वक़ील न मिले यह काम भी अमर ने ही किया। लेकिन केश आज तक पेंडिंग है।28 प्लाट घोटाले की जाँच सीबीआई द्वारा आय से अधिक में की जा चुकी है। उक्त जांच सीबीआई के पास पेंडिंग है।
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