छत्‍तीसगढ़ छत्‍तीसी: विनोद वर्मा के चलते भाजपा की छवि मिटियामेट

मेरा कोना

: मैं अच्छी तरह जानता हूं कि कितनी सीमा तक उतर सकती है गिरोहबंद पुलिस : सवाल तो उठेंगे कि छत्‍तीसगढ़ की बेशर्म सरकार ने शुचिता क्‍यों त्‍याग दिया : अगले अंकों में सवाल हैं कि क्‍या वाकई बहुत दूध के धुले हैं विनोद वर्मा :

कुमार सौवीर

लखनऊ : कंप्यूटर और इलेक्ट्रॉनिक साधनों-तंत्रों के सहारे दुनिया वाकई अब किसी भी एक बाल की नोक तक सिमट चुकी है। ऐसी हालत में अगर कोई यह तर्क दें कि कोई शख्‍स सेक्‍स-कांड की सनसनीखेज सामग्री किसी साजिश के तहत सीडी के माध्‍यम से वायरल कर रहा है तो यह निरीमूर्खता ही कही जाएगी। छत्‍तीसगढ़ और यूपी के पुलिस के संगठनों ने मिलकर जिस तरह एक घिनौनी साजिश के तहत विनोद वर्मा को गिरा, गिराया, फंसाया, दबोचा और फिर गिरफ्तार कर जेल की ओर रवाना किया है, वह राजनीतिक साजिश का जीता-जागता उदाहरण है। साथ ही यह भी साबित हो गया है कि राजनीति के उंगलियों पर नाचने वाली पुलिस आपराधिक षडयंत्र बुनने में कितनी माहिर है, मूर्खता की अंतरात्मा तक।

विनोद वर्मा छत्तीसगढ़ कांग्रेस के मीडिया सलाहकार हैं। हालांकि इस पर विवाद शुरू हो गया है कि विनोद वर्मा छत्‍तीसगढ़ कांग्रेस के खांटी कांग्रेसी और रोजगार-शुदा मुलाजिम हैं अथवा नहीं, जिन्हें 32 लाख के पैकेज में कांग्रेस ने खरीदा। बहरहाल इस बारे में बातचीत आगे फिर होती रहेगी कि करीब 25 साल तक पत्रकारिता करने वाला एक शख्स अचानक कैसे कांग्रेस का मुलाजिम हो गया, लेकिन फिलहाल तो हमारी चिंता और चर्चा का विषय केवल छत्तीसगढ़ सरकार बनाम कांग्रेस संगठन की ताजा लड़ाई है, जिसमें विनोद वर्मा को पुलिस ने बेहद बेशर्मी के साथ फंसाया है।

आपको बता दें छत्तीसगढ़ रमन सिंह सरकार और नक्सली आंदोलन प्रमुख पहचान के तौर पर उभर चुके हैं। यह चर्चा फिर कभी बाद मे हो जाएगी कि छत्तीसगढ़ में तूती किसकी बोलती है। जाहिर है छत्तीसगढ़ के शहरों में रमन सिंह यानी भाजपा की सरकार चलती है जबकि ग्रामीण इलाकों और जंगलों में केवल और केवल नक्सल गतिविधि पर आधारित सत्‍ता चलती है जहां माओवादी कल्‍चर है। फिर कभी यह चर्चा हो जाएगी कि गतिविधि का आधार क्या है, वहां कोई जन आंदोलन है या फिर स्थानीय राजनीति अपराधिक समुदाय अथवा संगठित माफिया।

लेकिन इस वक्त हम तोकेवल भाजपा कि रमन सिंह सरकार द्वारा कांग्रेस को धूल चटाने की साजिशों पर ही चर्चा करेंगे जिसके अस्त्र-शस्त्र के तौर पर रमन सरकार ने अपनी पुलिस का इस्तेमाल किया और यूपी की भाजपा सरकार की पुलिस ने इस पूरी साजिश में गजब फुर्ती दिखाई, ताकि भाजपा की रमन सरकार की लड़ाई को उनके पक्ष में जीता जा सके। सत्‍ता पर आसीन राजनीति अगर अपनी खूनी साजिशों का घेरा-दायरा बहुत कस लें तो लक्ष्य को मौत के घाट तक बहुत आसानी से पहुंचा जा सकता है। भले ही ऐसी साजिशों में निरीह या छोटे मोटे कीड़े-मकोड़ों को बलि दी जा सके। छत्तीसगढ़ की रमन सरकार सिर्फ यही साबित कर रही है।

विनोद वर्मा के मामले में जिस तरह रमन सरकार ने उत्तर प्रदेश सरकार से मिलकर जो शिकंजा कसा है वह बेशर्मी के सीमा से परे जा चुका है। भाजपा सरकार ने शुरुआत की कांग्रेस पर हमला करने से, और बहुत आसानी से वह निशाना कांग्रेस में मीडिया का अघोषित काम सम्‍भाल रहे विनोद वर्मा पर। इससे जुड़ी खबरों को देखने के लिए कृपया निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए:-

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