का हो ठाकुर साहेब ! तुम लोग डींगे बहुत मारते हो न ?

मेरा कोना

: चाहे डॉ अजीत सिंह हत्‍याकांड हो या फिर रघुराज सिंह की छीछालेदर, दुम भीतर कर लेते हैं महान क्षत्रिय लोग : आज तक एक भी ऐसा काम नहीं किया है क्षत्रियों ने जिस पर वे गर्व कर सकें : बकवादी करने में अव्‍वल होते हैं यूपी के चेतक-सभा और क्षत्रिय-सभा के अदने से भी नमूने :

कुमार सौवीर

लखनऊ : भाजपा के दयाशंकर सिंह की गन्‍दी जुबान, उसके बाद हुई दयाशंकर की छीछालेदर और उसके बाद बसपा की बेहूदी-शर्मनाक करतूतें भारतीय लोकतंत्र के चेहरे पर किसी घिनौनी कालिख से कम नहीं है। एक ओर दयाशंकर सिंह की करतूत ने यह साबित किया कि भाजपा के सवर्ण अपनी सामन्‍ती सोच से तनिक भी टस-से-मस नहीं हो पाये हैं, वहीं बसपा के नेताओं ने पूरी दुनिया को बता दिया कि किसी पुरूष की किसी शर्मनाक करतूत का खामियाजा वसूलने के लिए बहुजन समाज के नेता उसकी मां, बहन, पत्‍नी और बेटी तक को सरेआम नर्वस्‍त्र कर सकते हैं। और उसके लिए उनके चेहरे पर दुख के बजाय केवल दर्प की शिकन ही दिखती है।

लेकिन इस मामले पर रो‍टियां सेंकने के लिए ऐसे-वैसे लोग भी कूद कर सामने आ गये हैं, जिनकी कद-काठी कभी किसी ने देखी-सुनी तक नहीं थी। लेकिन यह लोग किसी नाटक के रंगमंच पर किसी मजाकिया विदूषक की तरह खुले आसमान के नीचे अकेले-अकेले तलवारें भांज रहे हैं। यह साबित करने के लिए वे चूंकि वे क्षत्रिय हैं, इसलिए वे दयाशंकर की हादसे के बाद बसपा के नेताओं-कार्यकर्ताओं की बदजुबानी का बदला लेने के लिए अपने तेजे-भाले तैयार किये हुए हैं। लेकिन यह भी सच है कि ऐसे विदूषकों की ऐसी करतूतों को आप ठाकुर-क्षत्रिय खुद ही खारिज करके उनकी नौटंकी पर नाराजगी जता रहा है।

ताजा मामला है किसी तथाकथित अखिल क्षत्रिय सभा का। इसके अध्‍यक्ष है ठा अमरेज सिंह। अनाम सा नाम, जिसे किसी ने सुना तक नहीं। उन्‍होंने आज बयान दिया है कि अब बसपा और उसके नेताओं की ऐसी की तैसी कर दी जाएगी। लेकिन इस ऐसी-की-तैसी का रंग-रूप-आकार क्‍या होगा, इस बारे में यह नेता पूरी तरह खामोश है। जाहिर है कि यह केवल कोरी गीदड़-भभकी ही है।

अपने बयान में सिंह साहब ने कहा है किदयाशंकर सिंह जी का परिवार.. क्षत्रिय समाज का ही एक परिवार है। जब क्षत्रिय समाज दुशरे की बहन बेटियो का अपमान सहन नहीं कर सकता तो अपनी बहन बेटियो का अपमान तो कभी बर्दाश्त नहीं कर सकता…….इसलिए *अखिल क्षत्रिय सभा* सभी क्षत्रियो से निवेदन करता है की सवर्ण समाज के सम्मान के लिए समर्थन करे। हम केंद्र एवं उत्तरप्रदेश सरकर से यह अनुरोध करते है कि अभद्र टिप्पणी करने वाले बसपा नेता *मायवती एवं नसीमुद्दीन सिद्दीकी* पर तुरंत FIR कर उन्हें गिरफ्तार करे… क्योकि इस देश में एक ही संविधान चलना चाहिए दयाशंकर सिंह के लिए अलग और मायावती तथा निजामुद्दीन के लिए अलग नहीं……….

क्षत्रियो की सहनशीलता को उनकी कमजोरी ना समझे…. क्षत्रियो को ललकारने की भूल बिलकुल ना करे “क्षत्रिय एकता जिन्दाबाद”

अब यह तो रही अमरेज सिंह की, लेकिन हकीकत यह है कि जब-जब भी क्षत्रियों पर कोई हमला हुआ है, यह नेता या तो खामोश रह कर अपनी पूंछ समेत न जाने कहां लुप्‍त हो जाते हैं, या फिर केवल प्रदर्शन के लिए अपने भाले-तेजे-तलवारें चमका कर नारा लगाते हैं, लेकिन उसके बाद फिर परम्‍परागत तरीके से लापता हो जाते हैं।

मुझे याद है कि जब 12 साल पहले जलालपुर में एक विख्‍यात युवा वैज्ञानिक डॉ अजीत सिंह की हत्‍या राजेश यादव ने की थी, तब भी ऐसे ही क्षत्रिय नेताओं ने बड़ी नारेबाजी की थी। अजीत की तेरहवीं में तो करीब तीन हजार ठाकुरों ने खूब डींगे मारी थीं, लेकिन किया कुछ भी नहीं। यह तक नहीं कि अजीत के परिवारीजनों को तसल्‍ली तक ही देते।

उधर प्रतापग़ढ में एक डीएसपी जियाउल हक की हत्‍या पर सरकार ने रघुराज प्रताप सिंह पर आरोप लगने पर मंत्री पद से बर्खास्‍त कर दिया। उस समय समाजवादी पार्टी की सरकार थी, लेकिन यह ठाकुर खामोश रहे। तब भी जब यह पता चल गया कि रघुराज सिंह का उस  हत्‍या से कोई लेना-देना नहीं है, और उसके बाद सरकार ने उन्‍हें अपनी कैबिनेट में ओहदा वापस दे दिया, तो भी ठाकुरों ने कोई उज्र नहीं उठाया। और तो और, खुद रघुराज सिंह ने सपा के एक इशारे में सरकार में मंत्री की शपथ ग्रहण कर ली, लेकिन कोई शिकायत तक नहीं की।

ऐसे में ऐसे क्षत्रिय-आर्तनाद नुमा हुंकार का क्‍या मतलब समझा जाए बहादुर और अति-सम्‍मानित ठाकुर बाबू साहब जी।

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