जीआरपी मानसिक रूप से मंदित, सफेद झूठ बोलते हैं पुलिसवाले

बिटिया खबर

: 7 बरस पहले एक हादसे में अपना पैर गंवा चुकाने के बावजूद एवरेस्‍ट विजय कर चुकी अरूणिमा सिन्‍हा का कानपुर हादसे पर आक्रोश फूट पड़ा : हर हादसे पर अपनी हर असफलता को छिपाने के लिए झूठ का परदा डालने पर माहिर है पुलिस : काश, हर पीडि़त महिला अरूणिमा सिन्‍हा बन जाती :

कुमार सौवीर

अम्‍बेदकर नगर : शोहदों के आतंक से आजिज होकर एक मां-बेटी को जब जीआरपी से कोई राहत नहीं मिल पायी, तो अपनी अस्मिता बचाने के लिए यह दोनों मां-बेटी चलती ट्रेन से ही कूद गयीं। वह तो गनीमत थी कि बाद में इन महिलाओं को नागरिकों ने जब घायल अवस्‍था में देखा, तो उसे फौरन अस्‍पताल भिजवा दिया। अब इस हादसे का कींचड़ अपनी कमीज से साफ करने के लिए राजकीय रेलवे पुलिस उन मां-बेटी को मजबूर मानने का तैयार ही नहीं है। पुलिस का दावा है कि यह मां-बेटी दोनों ही मानसिक रूप से पागल हैं।

लेकिन इस पूरे हादसे के तीन दिन बाद आज एक बहादुर युवती ने इस मामले पर पुलिस के झूठ का खुलासा करते हुए उसके खिलाफ अपनी कमर कस लेने का ऐलान किया है। इस युवती का कहना है कि केवल यह घटना ही नहीं, बल्कि इस तरह की घटनाएं अक्‍सर ही रेल और ट्रेन में होती ही रहती हैं। लेकिन पुलिस अपराधियों पर कोई ठोस कार्रवाई करने के बजाय पीडि़त महिलाओं पर ही दोषारोपण कर देती है। इस युवती की मांग है कि कानपुर से गुजरती ट्रेन से शोहदों को पकड़ने के बजाय सीधे उस हादसे से जुड़े सारे पुलिसवालों को दंडित किया जाए। ताकि देश की ट्रेनों महिलाओं की अस्मिता और आबरू को सुरक्षित रख सकें।

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अरूणिमा सिन्‍हा का नाम आपने खूब सुना होगा। अरे वही हौसलामंद अरूणिमा, जो चुटकियों में ही एवरेस्‍ट चोटी पर चढ़ गयी थी। वही साहसी अरूणिमा, जिसे शोहदों ने तब ट्रेन से फेंक दिया था, जब वह अपनी नौकरी के इंटरव्‍यू के लिए दिल्‍ली जा रही थी। इसी हादसे ने उसका दाहिना घुटने से हमेशा-हमेशा के लिए छीन लिया था। लेकिन अरूणिमा को अपना पैर गंवाने पर उतना दुख नहीं है, जितना उस हादसे पर पुलिस की करतूत पर। इस पूरे हादसे में पुलिस ने जिस तरह का शर्मनाक व्‍यवहार किया था, कोई और युवती होती तो उस के बाद ही घुट-घुट कर मर चुकी होती। शर्मनाक बात तो यह है कि तब के एडीजी जीआरपी अरविंद जैन ने उस हादसे पर शोहदों को क्‍लीन चिट दे दी थी, जबकि अरूणिमा को दुष्‍चरित्र और आवारा जैसे घटिया शब्‍दों से नवाजा था। लेकिन आज वही अरूणिमा दीगर पीडि़त-दुखियारी युवतियों-महिलाओं के लिए एक बड़ी मजबूत बैसाखी बन चुकी है।

उसी अरूणिमा से प्रमुख न्‍यूज पोर्टल मेरीबिटियाडॉटकॉम संवाददाता ने इस हादसे पर बातचीत की। अरूणिमा का मानना था कि सच झुक नहीं सकता। उनकी सलाह है कि चाहे कुछ भी हो जाए, ट्रेन से कूदना नहीं चाहिए था। खुलेआम विरोध करो। अन्‍याय का सामना करो, उससे बचने की कोशिश मत करो। जीत तुम्‍हारी हो जाएगी। अरूणिका का कहना है कि ट्रेन में होने वाले ऐसे हर हादसे पर सिर्फ झूठ ही बोलती है जीआरपी। हमारे मामले में भी झूठ बोली। लेकिन दुख इस बात का है कि हर महिला अरूणिमा नहीं बन पाती है, वरना कड़ा जवाब दे देती।

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बड़ा दारोगा

अरूणिमा का कहना है कि जीआरपी वाले तो ऐसे किसी भी हादसे पर सबसे पहले पीडि़ता पर ही आरोप लगा देते हैं। सोचते तक नहीं कि ऐसे हादसे के बाद पीडि़त युवती की मन:स्थिति क्‍या हो सकती है। विकलांग हो जाते हैं, जिन्‍दगी तबाह हो जाती है, लेकिन यह अपनी असफलता पीडि़त पर थोप देते हैं।

मेरे परिवार के लोग जैसे जिद्दी और पागलपन की स्‍तर तक जुझारू हैं। अगर यह पागलपन है, तो हां, हम सब पागल हैं। मानसिक मंदित हैं।

आपको बता दें कि कानपुर में शोहदों के आतंक और छेड़खानी से बचने के लिये मां-बेटी ने ट्रेन से छलांग लगा दी थी। उधर पुलिस ने इस मामले में लापरवाही बरतने के आरोप में एक महिला दारोगा समेत दो रेलवे पुलिसकर्मियों को निलम्बित कर दिया गया है। लेकिन साथ ही जीआरपी ने यह भी ऐलान किया है कि यह हादसा शोहदों के चलते नहीं हुआ था, बल्कि यह दोनों ही मां-बेटी ही पूरी तरह मानसिक रूप से मंदित हैं।

पुलिस सूत्रों ने आज यहां बताया कि गत शनिवार को कोलकाता से दिल्ली जा रही हावड़ा-जोधपुर एक्सप्रेस की सामान्य श्रेणी के डिब्बे में यात्रा कर रही नूरजहां 36 और उसकी 14 वर्षीय बेटी सोनिया से कुछ शोहदों ने छेड़खानी की थी। बलात्कार की कोशिश कर रहे अपराधियों से बचने के लिए मां-बेटी ने हावड़ा-जोधपुर एक्सप्रेस से छलांग लगा दी। घटना शनिवार (12 नवंबर) रात की है। बताया जाता है कि मां और बेटी कोलकाता से दिल्ली आने के लिए ट्रेन के अनारक्षित कोच में सफर कर रही थीं। तब कुछ दरिंदों ने 15 साल की युवती को जबरन बाथरूम में खींचने की कोशिश की, ऐसे में दोनों ने बचने के लिए ट्रेन से छलांग लगा दी। घटना चंदारी और कानपुर रेलवे स्टेशन के बीच की है। बेहोशी की हालत में दोनों करीब दो घंटे तक ट्रेक पर पड़े रहे। होश आने के बाद मां-बेटी चंदारी रेलवे स्टेशन पहुंचे। जहां यात्रियों ने उन्हें गंभीर हालत में देख तुरंत एंबुलेंस को बुलाया। तब दोनों को लाला लाजपत राय हॉस्पिटल ले जाया गया। घटना की जानकारी गर्वमेंट रेलवे पुलिस को रविवार (12 नंवबर) देर रात लगी। घटना के संबंध में कानपुर एसएचओ ने बयान जारी कर कहा, ‘हम मामले में एफआईआर दर्ज करने की तैयारी कर रहे हैं।’

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दूसरी तरफ पीड़ित महिला ने पुलिस को दिए बयान में बताया, ‘करीब 10-15 लोगों के संगठन ने हावड़ा पार करते ही मेरी बेटी को परेशान करना शुरू कर दिया। उन्होंने उसके साथ शारीरिक छेड़छाड़ करने की कोशिश की। मैं रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स (आरपीएफ) कांस्टेबल के पास पहुंची। मैंने दो बार बेटी के साथ हो रहे दुर्व्यवहार की शिकायत की। पहली बार तब जब ट्रेन इलाहबाद पहुंचने वाली थी जबकि दूसरी बार ट्रेन के इलाहबाद पहुंचने पर की।’ खबर के अनुसार महिला की शिकायत पर कांस्टेबल ने तीन आरोपियों को धर-दबोचा। लेकिन कांस्टेबल के साथ मारपीट कर वो वहां से भाग निकले। करीब तीस मिनट बाद आरोपी दोबारा वापस आए और मेरी बेटी को ड्रग्स देने और उसे बेचने की धमकी दी। रात करीब दस बजे पांच में से चार लोगों ने मेरी बेटी के चेहरे पर हमला किया। ऐसा तब हुआ जब वो बाथरूम जा रही थी। मुझे डर था की कहीं बेटी के साथ कुछ गलत ना हो जाए इसलिए हमारे पास ट्रेन से छलांग लगाने के अलावा दूसरा रास्ता नहीं बचा। गौरतलब है कि महिला के पति दिल्ली की किसी निजी फर्म में कार्य करते हैं जबकि युवती कोलकाता में कक्षा 9 की छात्रा है।

उन्होंने बताया कि ट्रेन में तैनात राजकीय रेलवे पुलिसकर्मियों ने सूचना मिलने पर उस बोगी से शोहदों को हटाया। मगर थोड़ी ही देर बाद वे वापस आ गये और मां-बेटी से फिर छेड़छाड़ करने लगे। कोई मदद ना मिलते देख वे दोनों कानपुर सेंट्रल और चंदेरी रेलवे स्टेशनों के बीच ट्रेन से कूद गयीं। सूत्रों ने बताया कि रविवार सुबह स्थानीय लोगों ने नूरजहां और सोनिया को बेहोशी की हालत में अस्पताल में भर्ती कराया। होश में आने पर उन्होंने आपबीती बतायी। इलाज के बाद दोनों को आज छुट्टी दे दी गयी। रेलवे पुलिस ने बताया कि इस मामले में अग्यात लोगों के खिलाफ भारतीय दण्ड विधान की धारा 354 तथा 506 एवं पाक्सो कानून की विभिन्न धाराओं के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया गया। इस मामले में लापरवाही बरतने के आरोप में दारोगा हसीना खातून और सिपाही प्रेमा वर्मा को निलम्बित कर दिया गया है।

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