नानी बन गई बेटी के लिए मां

सक्सेस सांग

: एक नयी मिसाल कायम कर दी अहमदाबाद की शोभना ने : एक मिनट के अंतराल पर एकसाथ दो नाती जन्‍मे : छह साल बाद पता चला कि गर्भाशय ही नहीं है भावना में : बेटी के बच्‍चों के लिए सोरोगेट मदर बन गयी नानी : दामाद का शुक्राणु अपने गर्भ में पाल लिया सास ने :  देश में एक लाख महिलाएं जन्‍म से ही गर्भाशयविहीन :

नानी अब लोरी ही नहीं सुनाएगी, जरूरत होने पर वह अपने नातियों को जन्म भी दे सकती है। अपनी बेटी की खुशी के लिए राजकोट की शोभना बेन चावड़ा उसके बच्चों की सरोगेट मां बनीं। अब वह अपने ही नातियों की मां बन चुकी है। अपनी बेटी की खुशी का अंदाजा उसके चेहरे को देख कर आसानी से लगाया जा सकता है। भाविका के पति के शुक्राणुओं और उनके अंडाणुओं के निषेचन से तीन भ्रूण विकसित किए गए। बाद में इन्हें शोभना के गर्भाशय में स्थानांतरित कर दिया गया। कुछ दिन बाद परीक्षण करने पर तीनों ही भ्रूण विकसित होते पाए गए। एक भ्रूण कमजोर होने के कारण बाहर निकाल दिया गया। शोभना ने शुक्रवार को दिन में 11 बजकर 16 मिनट पर पहले और एक मिनट बाद दूसरे बच्चे को जन्म दिया।

जुड़वां बच्चों के जन्म पर जहां भाविका और उनके परिजन खुशियां मना रहे थे, डॉ. पूर्णिमा भी अपनी उपलब्धि पर बेहद खुश हैं। अपने 35 साल के करियर में वह टेस्ट ट्यूब और सरोगेट पद्धति से छह सौ से अधिक बच्चों का जन्म करा चुकी हैं लेकिन मां के जरिये ही उसकी बेटी को औलाद की खुशी दिलाने का उनके लिए यह पहला मौका था। इससे पहले गुजरात के ही आणंद और यूरोप में भी दो महिलाएं अपने नाती को जन्म दे चुकी हैं। डॉ. पूर्णिमा का दावा है कि नानी द्वारा जुड़वां बच्चों को जन्म देने का यह शायद पहला मामला है।

तो इस घटना ने साफ कर दिया है कि अब सूनी नहीं रहेगी कोई कोख। शोभना को इस बात की खुशी है कि वह अपनी बेटी के वंश को आगे बढ़ाने में मददगार बनीं। इसके लिए वह डॉ. पूर्णिमा की सलाह को वरदान मानती हैं। शोभना के मुताबिक डॉ. ने उन्हें बताया था कि देश में करीब एक लाख ऐसी महिलाएं हैं जिन्हें जन्म से ही गर्भ नहीं है लेकिन वे इस संकोच से मां नहीं बन पाई कि दुनिया को इसका पता चल जाएगा। यदि उनकी मां भी उनके लिए सरोगेट मदर बनने के लिए तैयार हो जातीं तो उनके घरों में भी बच्चों की किलकारियां गूंज रही होती।

शोभना कहती हैं कि महिलाओं में सरोगेसी के प्रति जागरूकता के लिए ही वे अपना और बेटी का नाम उजागर करने को राजी हुईं। बेटी के बच्चों को अपनी कोख से जन्म देने के मुद्दे पर समाजशास्त्री व सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. गौरांग शास्त्री कहते हैं, आज विज्ञान पुरानी मान्यताओं को बदल रहा है। यह विज्ञान और एक दूसरे की समस्‍या में कदम से कदम मिला कर खडे होने की मानवीय प्रव़त्ति को नये सिरे से और बेहद खूबसूरत तरीके से सामने ला रहा है। समाज के बदलते मानवीय चरित्र का अंदाजा अकेले ऐसी ही घटनाओं से आसानी के साथ लगाया जा सकता है। 45 वर्षीय शोभना अपनी ही बेटी के बच्चों को जन्म देने वाली दुनिया की तीसरी सरोगेट मां बन गई हैं। राजकोट की भाविका बेन ने गौरव कठवाडिया के साथ प्रेम विवाह किया था।

शादी के छह साल बाद भी जब उनकी गोद नहीं भरी तो उन्होंने अपने माता-पिता के साथ जाकर 21 सेंचुरी अस्पताल की डॉ. पूर्णिमा नादकर्णी को दिखाया। चिकित्सकीय जांच में पता चला कि भाविका को तो जन्म से ही गर्भाशय नहीं है। इस पर डॉ. पूर्णिमा ने भाविका की मां शोभना को अपनी बेटी के लिए सरोगेट मां बनने को कहा। पूर्णिमा कहती हैं कि शोभना बेन के चार बच्चे हैं, जब उन्हें यह पता चला तो उन्हें लगा कि उनमें बच्चों को जन्म देने की क्षमता है। उन्होंने शोभना को टेस्ट ट्यूब पद्धति के जरिये बेटी के लिए सरोगेट मां बनने को राजी कर लिया। डॉ. पूर्णिमा ने बताया कि टेस्ट ट्यूब में भाविका के पति के शुक्राणुओं और उनके अंडाणुओं के निषेचन से तीन भ्रूण विकसित किए गए। बाद में इन्हें शोभना के गर्भाशय में स्थानांतरित कर दिया गया। कुछ दिन बाद परीक्षण करने पर तीनों ही भ्रूण विकसित होते पाए गए। एक भ्रूण कमजोर होने के कारण बाहर निकाल दिया गया।

समाचार के कुछ अंश जागरण से साभार

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