और अब केरल में मुस्लिम मैरिज रजिस्‍ट्रेशन पर बवाल

बिटिया खबर

सरकार का हुक्म कि नाबालिग बच्चियों का भी पंजीकरण हो

तिरुवनंतपुरम : केरल में एक सरकारी फरमान से बवाल पैदा हो गया है. राज्य के स्थानीय प्रशासनिक विभाग द्वारा स्थानीय निकायों को 18 साल से कम उम्र की मुस्लिम लड़कियों और 21 साल से कम उम्र के लड़कों के विवाहों का पंजीकरण (रजिस्ट्रेशन) करने के लिए जारी किए गए आधिकारिक सर्कुलर से केरल में विवाद पैदा हो गया है. सरकारी फरमान चाहता है कि नाबालिग बच्चियों की शादी का भ्‍ज्ञी रजिस्‍ट्रेशन किया जाए। लेकिन इस मामले में एक खास वर्ग चाहता है कि इस मामले सरकारी आदेश इस हालत में तूल डालेगा।

स्थानीय प्रशासनिक विभाग के प्रमुख सचिव द्वारा जारी इस सर्कुलर में स्थानीय निकायों को यह निर्देश दिया गया कि वे उन मुस्लिम लड़कियों और लड़कों की शादियों का रजिस्ट्रेशन करें, जिन्होंने विवाह के लिए जरूरी क्रमश: 18 साल व 21 साल की उम्र पूरी नहीं की है. निकायों को यह रजिस्ट्रेशन धार्मिक संस्थान की ओर से जारी प्रमाण पत्र के आधार पर करने के निर्देश दिए गए.

आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि ऐसी शिकायतें आ रही थीं कि स्थानीय निकायों में पंजीयकों के तौर पर कार्य करने वाले सचिव ऐसी शादियों का पंजीकरण करने में आनाकानी कर रहे हैं. इस वजह से खाड़ी देशों में जाने की इच्छा रखने वाले इन लोगों को परेशानी होती है. खाड़ी देश प्रवास के लिए स्थानीय निकायों द्वारा जारी मैरिज सर्टिफिकेट की मांग करते हैं.

आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि इन शिकायतों को देखते हुए यह सर्कुलर जारी किया गया. वाम समर्थक महिला व सांस्कृतिक संगठन इस सर्कुलर के खिलाफ सामने आए हैं. उनका कहना है कि यह कदम राज्य को मध्यकालीन युग में धकेल देगा. सीपीएम समर्थक सांस्कृतिक संगठन ‘पुरोगामना कला साहित्य संगम’ के अध्यक्ष प्रोफेसर वी एन मुरली ने कहा, ‘बाल विवाह पर कानूनी प्रतिबंध है. रूढ़ीवादी धड़ों के दबाव में लिए गए फैसले को निरस्त कर दिया जाना चाहिए.’

केरल स्थानीय प्रशासनिक संस्थान के निदेशक पी पी बालान ने भी ऐसे विवाहों के केरल विवाह पंजीकरण के प्रावधानों के नियम तहत पंजीकरण पर सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है. सरकार का स्पष्टीकरण यह है कि मुस्लिम विवाह नियम, 1957 उम्रसीमा पर जोर नहीं देता और बाल विवाह रोक कानून, 2006 यह नहीं स्पष्ट करता कि 21 साल से कम उम्र के लड़के और 18 साल से कम उम्र की लड़की के बीच विवाह अवैध है. इसलिए न्यूनतम उम्र पूरी किए बिना मुस्लिमों के विवाहों का पंजीकरण किया जा सकता है.

इस सर्टिफिकेट का कड़ा विरोध करने वालों का कहना है कि यह संविधान की भावना के खिलाफ और इसके द्वारा सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का उल्लंघन है, जिसमें उसने विवाहों के लिए उम्रसीमा तय की थीं. वकीलों के अनुसार, कानून के खिलाफ जारी किए गए किसी प्रशासनिक आदेश को अदालत में चुनौती दी जा सकती है.

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