नोट-बंदी: पंडित, नाई और हिजड़े का खर्चा किस खाते में दर्ज करें ?

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: अमां यार। यह शादी में भी इतनी रस्‍में नहीं होतीं, जितनी खर्चों की फेहरिस्‍त : यानी पहले खाता खुलवायें, फिर नेग की अदायगी : जूता-चोरी, पैर छुआई और रसोई रस्मी नेग, वर के जीजा, दीदी मान्य लोगों के शगुन बवाल-ए-जान बन गये :

उपेंद्र पाण्डेय

चंडीगढ़ : इस नोट-बंदी कथा के सारे पात्र काल्पनिक हैं, केवल कथा असली और अभी तक जिन्‍दा है। हिजड़े मुझे माफ करें, साथ ही वे अन्‍य पात्र लोग भी मुझे क्षमा कर दें जो इस कथा में शामिल हैं और नोट-बंदी से बेहाल हैं।

तो किस्‍सा यह है कि अभी तीन दिन बाद यानी 26 नवंबर को पूर्वा अन्नू की शादी है। उनके पिता रवींद्र नाथ ने समधी इंद्रदेव को फोन लगाया। वर दीपक के साथियों और रिश्तेदारों का नाम पूछना शुरू किया और अन्नू को पकड़ा दिया कलम कागज। भावी वधू बना रही है उस कैश के लेनदारों की लिस्ट, जिसके लिए पिता जी ने बैंक में लगा रखी है अर्जी।

26 को ही शादी है उमेश कुमार के पुत्र आशीष की, वे भी सारा काम छोड़कर समधी मनोज को फोन लगा रहे हैं और बना रहे हैं आशीष की सालियों और वधू शिवांगी की सहेलियों की सूची। साथ ही पूछ रहे हैं उनके बैंक अकाउंट का ब्योरा।

अब यह कोई अनोखी बात तो है नहीं। शादी तो होती ही रहेगी, जहां भी होनी होगी। खुशियां भी होंगी और कष्‍ट भी। तो इन दोनों घरों में ही नहीं, जिनको भी आगामी 30 दिसंबर के पहले होने वाली शादियों के लिए बैंक से कैश चाहिए, उन तमाम परिवारों में पंडित जी की पोथीपत्रा जन्मकुंडली और आमंत्रित रिश्तेदारों की लिस्ट बनाने का काम छोड़कर तैयार हो रहा है वर-वधू का बहीखाता।

पूर्वा अन्नू अमेरिका में रहती हैं। उनका इंडिया में कोई खाता नहीं है। उनके पिता रवींद्र नाथ ने बेटी की शादी के लिए ढाई लाख रुपये कैश लेने की अर्जी स्टेट बैंक में लगाई। लेकिन पूर्वा के अमेरिकी बैंक खाते का भी ब्योरा बैंक ने मांग लिया है। उधर, रवींद्र और पत्नी उषा परेशान हैं शादी के नगद खर्च के बहीखाते में किन्नरों के नेग के ब्योरे में क्या लिखें। पिछली बार किन्नरों को बमुश्किल 5 हजार रुपये देकर मनाया था। इस बार डिमांड 21 हजार की है।

रिजर्व बैंक की ओर से बैंकों में पहुंचे नए निर्देश वरवधू व उनके घरवालों को निजता में घुसपैठ जैसे महसूस हो रहे हैं। उदाहरण के लिए वर को लिख के देना होगा कि शादी में जूता छुपाने और फीता काटने की रस्में निभाते हुए वे कितना नेग देंगे। नेग मांगने वाली सालियों और वधू की सहेलियों का किसी बैंक में कोई खाता तो नहीं है। क्योंकि अगर खाता है तो नगद नेग नहीं दे सकते। सालियों की मुश्किल यह है कि नेग नगद न हो तो कैसे करेंगी मनुहार और ठनगन। कैसे कराएंगी 11 हजार के नेग को 21 हजार या 51 हजार। शादी की तैयारियों में जुटे लोगों की समझ में नहीं आ रहा है कि वे जरूरी रस्मों को पूरा करें और रिश्तेदारों  को बुलाने में जुटें या फिर नोटबंदी के बाद हुई परेशानी से जूझें।

खाता है तो नहीं ले सकते नगद नेग

रिजर्व बैंक की नयी शर्तों में सबसे कठिन शर्त यह है कि वर-वधू को यह साबित करना होगा कि यह पैसा उन्हीं लोगों को दिया जाए जिनके पास कोई बैंक अकाउंट नहीं है। मतलब पंडित, नाई, सहयोगी, साली, समधिन, ननद, प्रजा सहयोगियों के नेग, बहू की पैर छुआई और रसोई रस्म के नेग, वर के जीजा, दीदी मान्य लोगों के शगुन कैश में तभी दिये जा सकते हैं यदि इन लोगों का कहीं कोई बैंक अकाउंट न हों। ऐसे सभी लोगों का विवरण बैंक में जमा करना होगा जिन्हें बैंक से मिले ढाई लाख में से कैश दिया जाना है। साभार:ट्रिब्‍यून

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