पत्रकार जी अमर रहें। ब्‍लैकमेल कर रहे थे, जेल चले गये

सैड सांग

: रायपुर के जिला शिक्षाधिकारी को दुराचार के झूठे मामले में वसूलना चाहते थे 5 लाख रूपया : काम किसी समाचार संस्‍थान में नहीं, लेकिन धौंस पत्रकारिता की : तम्‍बोली-तमोलियों का संगठन बनाया अखिल भारतीय अंतर्राष्‍ट्रीय बरई समाज:

संजय कुमार सिंह

रायपुर : अपना पुश्‍तैनी धंधा छोड़ कर दूसरे धंधे में आपराधिक धंधागिरी करना कितना खतरनाक हो सकता है, इसका अहसास इन दोनों को हर्गिज नहीं रहा होगा। वरना, आज यह लोग छत्‍तीसगढ़ की राजधानी रायपुर की जेल में चक्‍की न पीस रहे होते। एक शिक्षा अधिकारी को छेड़खानी के झूठे मामले में फंसा कर पैसा उगाहने के धंधे में लिप्‍त जिन दोनों लोगों को अब पुलिस ने दबोचा है, अब उनकी पूरी कहानी की सारी फाइलें पुलिस अब छान रही है। प्राथमिक तौर पर छन कर आयी इन खबरें के अनुसार इन दोनों ने कई सरकारी अफसरों और व्‍यवसाइयों को ब्‍लैकमेल करके उनसे भारी-भरकम रकम उगाह रखी है।

खैर, फिलहाल इस खबर के ऊपर चस्‍पां इन दोनों लोगों की फोटो को निहार लीजिए। इनमें से पीली शर्ट वाले शख्‍स का नाम है राकेश तम्‍बोली, और नीली शर्ट पहने शख्‍स का नाम है प्रह्लाद दुबे। यह दोनों ही लोग खुद को पत्रकार के तौर पर पेश करते रहे हैं। छत्‍तीस गढ़ की राजधानी रायपुर से करीब 40 किलोमीटर दूर स्थित दुर्ग के रहने वाले इन दोनों लोग किस-किस समाचार संस्‍थान से सम्‍बद्ध हैं, उसका तो अब तक कोई ठोस जानकारी नहीं मिल पा रही है, लेकिन यह इतना जरूर है कि इनका असल धंधा केवल ब्‍लैकमेलिंग ही रहा है।

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रायपुर, जहां बिखरी पड़ी हैं पत्रकारों की कमीनगी

इसमें राकेश तम्‍बोली खुद को आईएनडी 24 न्‍यूज चैनल का पत्रकार बताता है, जबकि प्रह्लाद दुबे खुद को दबंग दुनिया नामक अखबार से सम्‍बद्ध होने का दावा करता है। हालांकि यह लोग दुर्ग के ही रहने वाले हैं, लेकिन सूत्र बताते हैं कि उनके गिरोह की करतूतों में छत्‍तीसगढ़ और मध्‍यप्रदेश तथा बिहार-झारखण्‍ड आदि भी शामिल है। हाल ही दुर्ग के एक सिपाही को भी एक महिला के साथ दुराचार के आरोपों में इस गिरोह ने तीन लाख रूपया झटक लिया था।

सूत्र बताते हैं कि भले ही इन लोगों का चैनल कहीं नहीं दिाता हो, लेकिन यह लोग नियमित रूप से बड़े अफसरों और पुलिस कर्मियों के यहां दिखायी पड़ते थे। महंगी कार पर घूमते इन दोनों में से राकेश ने अपना धंधा गजब फैला रखा था। उसने एटूजेड प्रहरी नामक एक साप्‍ताहिक पत्र का रजिस्‍ट्रेशन भी कर रखा था, जिसकी धौंस वह अक्‍सर अफसरों-पुलिस को दिया करता था। इतना ही नहीं, राकेश ने एक संगठन भी बना रखा है, जिसका काम सारे तमोली-तम्‍बोलियों को एकजुट करना है। संगठन का नाम है अखिल भारतीय अंतर्राष्‍ट्रीय बरई समाज। राकेश इसी संगठन का अध्‍यक्ष बताता है।

ताजा घटना रायपुर की है। यहां के जिला शिक्षा अधिकारी है गेंदाराम  चंद्राकर। उनकी पत्‍नी कांति चंद्राकर एक आवासीय कन्‍या विद्यालय में कक्षा छह से कक्षा आठ तक की प्रभारी वार्डेन हैं। एक दिन अचानक गेंदाराम  के मोबाइल पर फोन आया जिसमें दो लोग आये और खुद को वरिष्‍ठ पत्रकार राकेश तम्‍बोली के तौर पर परिचय देते हुए कहा कि कांति चंद्राकर के स्‍कूल में रहने वाली एक बच्‍ची के साथ बलात्‍कार की कोशिश के मामले में उसके पास प्रमाण हैं। इन दोनों ने गेंदाराम को धमकाया कि उस लड़की का बयान वाला वीडियो उनके पास है, और इसके एवज में अगर पांच लाख रूपया नहीं दिये गये तो यह मामला वायरल कर दिया जाएगा। इसके बाद वह वीडियो गेंदाराम के वाट्सऐप पर आया, जिसमें एक बच्‍ची ने आरोप लगाया कि उसके साथ गैंडाराम ने अभद्रता की है।

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यह वीडियो गैंडाराम ने कांति को दिखाया और फिर उस स्‍कूल की अन्‍य टीचरों को भी दिखाया तो पता चला कि यह बच्‍ची उस स्‍कूल में सात साल पहले पढ़ती थी। तय हुआ कि यह मामला पुलिस को दे दिया गया। एएसपी विजय अग्रवाल ने यह मामला इंस्‍पेक्‍टर अनवर अली की टीम को सौंप दे दिया। यह पत्रकार लगातार गेंदाराम के साथ सौदा की बातें और धमकियां दे रहे थे। पुलिस ने 6 मई को उन्‍हें सर्किट हाउस में बुलाया। सादी वर्दी में पुलिस पहले से ही तैनात थी। यह भांप कर यह लोग वहां नहीं आये, और गेंदाराम को टाटी बंद पर बुलाया। फिर काफी देर तक प्रतीक्षा होती रही। आखिरकार पुलिस ने इन दोनों को  ने दुर्ग के इंद्रा मार्केट और पचरीपारा से दबोच ही लिया।

एक स्‍थानीय सक्रिय समाजसेवी संजय सिंह बताते हैं कि आजकल पत्रकारिता के नाम पर ब्‍लैकमेलिंग करने वालों की बाढ़ आ गयी है।

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