शरीयत पर हंगामा: पहले तो किया दस्‍तखत, फिर पछताने लगीं औरतें

सैड सांग

: जो बहस में शौहर तक को हरा देती थीं, उसने भी एकसाथ तीन तलाक के समर्थन में फार्म भर दिया : जरूरत तो इसी बात की है कि महिलाओं से फार्म जुटाने के बजाय उन्‍हें बहस-मुबाहिसा के लिए प्रेरित किया जाए : जैसे ही महिलाओं ने ऐतराज दर्ज करना शुरू किया, अभियान छेड़ने वाली महिला मौके से खिसक गयी :

कुमार सौवीर

लखनऊ : यह खबर मुरादाबाद शहर के एक बड़े मुस्लिम मोहल्‍ले की है। यहां पिछले कई दिनों से दो-चार महिलाएं घूम-घूम कर शरीयत-समर्थन वाले फार्म लेकर महिलाओं से दस्‍तखत करवा रही हैं। इस मोहल्‍ले में ऐसे अभियान को लेकर अब तक कितने फार्म भर चुके हैं, इसका तो कोई अंदाजा नहीं है। लेकिन आज इसी मसले पर हंगामा खड़ा हो गया। नतीजा यह हुआ कि फार्म भरवा रही महिलाओं को उल्‍टे पांव वापस जाना पड़ा। इतना ही नहीं, अब हालत तो यहां तक बतायी जाती है कि जिन महिलाओं ने इस शरीयत-समर्थक फार्म पर दस्‍तखत कर दिया था, वे अब अपनी गलती पर पछता रही हैं और उन महिलाओं की करतूत पर खासी नाराज है जिन्‍होंने फार्म भरवाने की कवायद छेड़ी थी।

हमारी एक फेसबुक मुस्लिम मित्र मूलत: लखनऊ की रहने वाली हैं और अब मुरादाबाद में सपरिवार रहती हैं। अभी शाम को ही उनका फोन आया। खासा गुस्‍सा था उनकी आवाज में। साफ लग रहा था कि वे बात तो मुझे कर रही थीं, लेकिन आसपास की महिलाओं को भी सुना रही थीं। उनकी आवाज के तेवर लगातार बढ़ते-चढते ही जा रहे थे। समाज और खास कर महिलाओं के अधिकारों पर सजग यह महिला फेसबुक पर भी खासी चर्चित हैं।

उनके फोन से पता चला कि आज उनकी गली में रहने वाली एक महिला ने मोहल्‍ले की महिलाओं के घर-घर जाकर एकसाथ तीन तलाक को लेकर शरीयत के समर्थन और सरकार द्वारा छेडी गयी सिविल कोड बहस के विरोध में फार्म भरवाना शुरू कर दिया। यह फार्म केवल अंग्रेजी और उर्दू में था। इसमें लिखा था कि मैं सरकार द्वारा प्रस्‍तावित शरीयत विरोधी सिविल कोड के प्रस्‍ताव का विरोध करती हूं और शरीयत के समर्थन में अपनी आस्‍था रखती हूं। इस महिला ने अब तक करीब कई दर्जन महिलाओं से इस प्रारूप में सह‍मति का हस्‍ताक्षर करवा लिया।

लेकिन इसी बीच इसी गली की एक महिला ने इस पर हंगामा खड़ा कर दिया। उस महिला का कहना था कि यह अभियान मुस्लिम महिलाओं को भ्रमित कर रहा है। उन्‍हें पूरी बात समझाने के बजाय उन्‍हें केवल धार्मिक दिशा पर ही एकांगी किया जा रहा है, जो अन्‍ततोगत्‍वा मुस्लिम महिलाओं के भविष्‍य के लिए भारी महंगा पड़ सकता है। इस महिला का आरोप था कि कोई फार्म भरवाने के पहले तो सबसे से उस फार्म के मजमून को लेकर महिलाओं के बीच बातचीत होनी चाहिए, बहस-मुबाहिसा का मौका दिया जाना, समझाना चाहिए कि किसी भी अभियान से क्‍या-क्‍या लाभ और क्‍या-क्‍या नुकसान हो सकता है। लेकिन फार्म भरवाने वालों ने इस अनिवार्य तत्‍व को खारिज करते हुए केवल एकांगी तरीके से उनके साथ व्‍यवहार किया है। उनसे नफा-नुकसान की बात करने के बजाय केवल उन्‍हें भ्रमित ही किया जा रहा है।

यह बात जैसे ही शुरू हुई तो वहां मौजूद महिलाओं में से कई लोगों ने फार्म भरवाने वाली महिला से अपनी आपत्ति दर्ज करना शुरू कर दिया। कुछ महिलाओं ने यहां तक कह दिया कि वे अपनी सहमति वाला कागज वापस करें और फिर इस मसले पर बहस-मुबाहिसा करने की कोशिश करें। लेकिन जैसे ही यह ऐतराज उठने लगे, फार्म भरवाने वाली महिला कोई बहाना करके मौके से खिसक गयी। अब यह महिलाएं इस बात पर बातचीत कर रही हैं कि वे लोग कैसे उस समर्थन पत्र को वापस हासिल करें।

मेरी मित्र बताती हैं कि फार्म पर दस्‍तखत करने वालों में वह महिला भी शामिल है, जो अक्‍सर रोजाना ही समाज और धर्म को लेकर प्रवचन दिया करती थी, अपने पति को झिड़क कर देती थीं। ऐसे में ऐसे अभियान का क्‍या औचित्‍य है, समझे से परे है। (क्रमश:)

तीन तलाक पर हंगामा खूब चल रहा है। अधिकांश मुसलमानों में इसको लेकर बेशुमार गुस्‍सा है, केवल चंद महिलाएं ही इस सिविल कोड के समर्थन में आगे आ खड़ी दिख रही हैं। शरीयत का समर्थन के लिए बाकायदा अभियान भी चल रहा है। लगभग सभी मुस्लिम मोहल्‍लों में सिविल कोड के खिलाफ और शरीयत के समर्थन में मुस्लिम औरतों से बाकायदा समर्थन-पत्र पर दस्‍तखत कराये जा रहे हैं। हैरत की बात है कि ऐसे अधिकांश अभियानों के तहत फार्म भरवाने के लिए औरतों को ही जिम्‍मा दे दिया गया हे। बहरहाल, इस मामले में अधिक खबरें देखने के लिए कृपया निम्‍न लिंक पर क्लिक कीजिए:- शरीयत पर हंगामा

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