दुलुरूआ बिटिया। तेरा बाप अभी जिन्‍दा है

दोलत्ती

: गुंजा की मां बहुत समझदार महिला हैं.. और उतने ही समझदार उसके पापा : एक दिन कुछ ऐसा हुआ कि गुंजा और उसका परिवार गहरे अवसाद में डूब गया : अरे हो गयी गलती, मां-पापा के सपोर्ट ने उसे एक गलत कदम उठा लेने से बचा लिया : यौवन- तीन :
दीपिका सिंह
नई दिल्‍ली : गुंजा .. 14-15 साल की एक प्यारी सी बच्ची.. ये उम्र यौवन के शुरुआत की है.. सो गुंजा भी हर दिन खिल रही थी.. उसकी नानी के घर के नीचे दुकान थी.. सो जब भी भाई-बहनों के साथ दुकान के बाहर बैठकी लगती.. गुंजा खूब खिलखिलाती.. गुंजा की खूबसूरती के सब कायल थे.. दरअसल गुंजा की मां अपने माता-पिता की इकलौती संतान है.. इसीलिए जब नानी स्वर्गवासी हुईं.. तो नाना की देखभाल करने के लिए मां बच्चों समेत शहर से गांव रहने पहुंच गई थी.. लेकिन गुंजा के पापा अभी भी शहर में ही नौकरी कर रहे थे.. नाना की दुकान भी अब बच्चे ही संभाल रहे थे.. शहर के बच्चे आने से मोहल्ले में भी रौनक बढ़ गई थी.. शहर की युवा और खूबसूरत लड़की गांव के जिस मोहल्ले में हो.. वहां आवारा लड़कों का भी जमघट लगना शुरू हो जाता है.. सो ऐसा ही गुंजा के मोहल्ले में भी होने लगा.. अलग-अलग स्टाइल और टशन से लड़के उसे अपनी तरफ आकर्षित करने की जुगत में लगे थे… इसी दौरान गुंजा के परिवार की जान पहचान का एक लड़का उसके करीब आ चुका था… वो अक्सर उसके साथ घंटों बैठकर बातें करता.. अपनी गाड़ी से उसे और उसके भाई-बहनों को घुमाने भी ले जाता.. मोहल्ले के बाकी लड़कों और लोगों में इसको लेकर फुसफुसाहट भी शुरू हो गई थी… इस सब बातों से अनजान वो प्यारी बच्ची यौवन के उन खुशनुमा पलों में पूरी तरह डूबी थी… लेकिन एक दिन कुछ ऐसा हुआ कि गुंजा और उसका परिवार गहरे अवसाद में डूब गया.. गुंजा के सुंदर सपने.. सब कुछ बिखर गया… ऐसा क्या हुआ जिसने ना सिर्फ कल्याणी बल्कि उसके परिवार की भी खुशी छीन ली.. आगे इस सब पर लिखें.. उससे पहले यौवन को समझना ज़रूरी है..
यौवन- उम्र का ऐसा पड़ाव है.. जब कोई भी बचपन से जिम्मेदारी की तरफ बढ़ रहा होता है.. वो समय जब आप सबसे ज्यादा ऊर्जा महसूस करते हैं… वो उम्र जब आप शारीरिक मानसिक रूप से किसी को पा लेना चाहते हैं.. या उसके हो जाना चाहते हैं.. ये पड़ाव हर किसी की ज़िंदगी में आता है.. ये वो खूबसूरत लम्हे होते हैं.. जब आप आसमान में होते हैं.. जब आप दूसरे क्या सोचेंगे.. इस सोच से भी अनजान होते हैं… कुछ भी कर गुजरने का माद्दा रखते हैं.. या यूं कहें.. ये वो वक्त होता है.. जब आप सबसे ज्यादा ऊर्जावान होते हैं… कहते हैं वायु से भी तेज चलने वाला युवा… इस वक्त ऐसी भूख होती है.. जिस पर कोई बात नहीं करना चाहता.. चाहे फिर लड़का हो या लड़की.. दोनों एक दूसरे की तरफ बेहद आसानी से आकर्षित होते हैं.. ये यौवन 14 साल से 30 साल तक देखा जाता है… इस उम्र भर में आपकी भी कोई प्रेयसी या प्रेमी रहा होगा.. या किसी को आपने दिलो जां से चाहा होगा..
यौवन की शुरुआत को आखिरी शब्दों में समझूं.. तो इस उम्र में ग़लत और सही दोनों फ़ैसले हो सकते हैं… गलत फ़ैसलों के बाद संभलने में परिवार का साथ सबसे ज़रूरी है.. और फ़ैसला सही हो तो ज़िंदगी खुद ब खुद चमक उठती है.। यौवन के ग़लत और सही फ़ैसलों पर फिर किसी दिन बात करेंगे.. लेकिन अब ये बताते हैं.. कि गुंजा के साथ ऐसा क्या हुआ था.. कि उसे खुदकुशी के ख्याल आने लगे..।
दरअसल गुंजा की उसके प्रेमी के साथ कुछ निजी तस्वीरें वायरल हो गई थी.. तस्वीरें मोहल्ले और गांव के हर मोबाइल तक पहुंच चुकी थी.. और आप सब जानते हैं.. ऐसी तस्वीरों पर बुजुर्गों से लेकर बच्चे तक सब चटकारे लेते हैं.. सो तस्वीरें बहुत तेजी से वायरल हो रही थीं.. और अब ये तस्वीरें गांव से शहर तक पहुंच रही थीं.. ऐसे में एक और अफवाह उड़ी.. कि गुंजा प्रेग्नेंट है… कल्याणी को लेकर गांव भर में अफ़वाहों का बाजार गर्म था.. हर कोई दबे मुंह गुंजा की ही बात कर रहा था.. सब गुंजा से लेकर उसके माता-पिता तक पर तंज कस रहे थे..
ऐसे में एक लड़की और उसके परिवार पर क्या बीतती है.. ये हम सभी जानते हैं… गुंजा का परिवार जहां इस स्थिति से कैसे निपटा जाए.. ये सोच रहा था.. वहीं गुंजा अपनी प्रेमी से मिले धोखे से परेशान… वो फूट-फूटकर रो रही थी.. जबकि उसके भाई-बहन उसे उसकी बेइज्जती होने का अहसास दिला रहे थे.. लेकिन वो बेज्जती-इज्जत जैसा भारी-भरकम शब्द तो नहीं समझ पा रही थी.. उसे सबसे ज्यादा दुख इस बात का था.. कि जिस पर उसने इतना भरोसा किया.. जिसे सबसे ज्यादा चाहा.. जिससे दिल की हर बात कर लेनी चाही.. उसी ने उसे धोखा दे दिया.. उसका भरोसा.. उसका दिल तोड़ दिया… अब वो किससे कहे अपनी दिल की बात.. किससे बात कर गुस्से का गुबार उतारे.. किसे अपना दर्द सुनाएं.. वो विश्वास नहीं कर पा रही थीं.. वायरल तस्वीरों वाली बात पर… उसे यकीन ही नहीं हो रहा था.. कि उसके ही प्रेमी ने.. जो उसपर अपना होने का अब तक हक जताता रहा था.. अपने सबसे करीब लाने की कोशिश करता रहा था.. जिसके साथ उसने भविष्य के सुंदर सपने सजाने शुरू किए ही थे.. उसी ने धोखा दे दिया.. उसने उसके प्रेम का मजाक बना दिया.. गुंजा की आंखों से चुपके से आंसू लुढ़क ही जाते थे.. वो सबसे बचकर खासकर अपनी मां से छिपकर आंसू पोंछ लेती..
गुंजा की मां बहुत समझदार महिला हैं.. और उतने ही समझदार उसके पापा.. मां ने बेटी के साथ हुई घटना पति के साथ साझा की.. तो वो तुरंत शहर से गांव चले आए.. और गुंजा को सब कुछ ठीक हो जाने का भरोसा दिया.. पापा की तरफ से मिले आश्वासन से गुंजा में थोड़ी हिम्मत आई.. मां ने बाकी बच्चों की मदद से दुकान खोली.. जो फोटो वायरल होने के बाद से बंद थी.. मां बच्चों समेत घर में ही क़ैद थी.. ताकि गुंजा या उसके भाई-बहनों को किसी तरह के तंज का सामना ना करना पड़े… पापा के आते ही मोहल्ले के बाकी लोगों की तीखी नज़रें भी अब उठना बंद हो गईं… एक दिन गुंजा के पापा और मां.. गुंजा को एक कार में बैठाकर कहीं ले गए.. मोहल्ले में फिर फुसफुसाहट हुई कि अस्पताल ले जाया गया था उसे… गर्भपात कराने.. फिर गुंजा भी भाई-बहनों के साथ धीरे-धीरे दुकान पर बैठने लगी.. हां चेहरे पर पहले जैसी मुस्कान तो ना थी… लेकिन गंभीर चेहरे पर थोड़ी राहत नज़र आ रही थी.. अब गुंजा खुद को गंभीर कर लेना चाहती थी.. वो थोड़ी ‘समझदार’ जो हो गई थी.. कुछ दिन बाद गुंजा को लेकर कानाफूसी फिर तेज हुई.. लेकिन इस बार बातें गुंजा को लेकर नहीं.. उसके प्रेमी को लेकर हो रही थीं… बातें हो रही थीं.. कि लड़के ने गुंजा के पिता से माफी मांगी है.. और गुंजा से शादी करने की बात कह रहा है.. इसके बाद गुंजा को लेकर गांव में अफवाहों का बाजार बंद हो गया था.. लेकिन गुंजा की वो खिलखिलाहट अब सुनाई कम ही देती..
क्या गुंजा उस धोखेबाज ल़ड़के से शादी करेगी… क्या वो अपने टूटे भरोसे के साथ उसे फिर से अपना पाएगी.. या फिर अफवाहों का बाजार बंद करने के लिए और अपनी बेटी को बचाने के लिए उसके पिता की ये एक रणनीति थी.. लेकिन जो कुछ भी हो.. गुंजा के मां-पापा के सपोर्ट ने उसे एक गलत कदम उठा लेने से बचा लिया.. उनकी सकारात्मक सोच ने गुंजा को उसकी छोटी सी भूल को भुलाकर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया.. और उसे सही दिशा मिली.. अब वो इंसान परखने में शायद गलती नहीं करेगी..।

( दीपिका सिंह एक जोशीली पत्रकार का नाम है। फिलहाल न्‍यूज नेशन न्‍यूज चैनल में वरिष्‍ठ पद पर कार्यरत दीपिका की शैक्षिक शुरूआत देव संस्‍कृति विश्‍वविद्यालय से हुई। उसके बाद वे विश्‍व गायत्री परिवार से जुड़ीं। महुआ न्‍यूज चैनल में दीपिका ने अपनी सहेलियों के साथ ट्रेनिंग ली।

बच्चियों को उनके नैराश्‍य भाव से उबारने केदोलत्‍ती-अभियान के तहत दीपिका सिंह ने यह अपना एक संस्‍मरण लिखा है, जो उनके पडोसी बच्‍ची के साथ हुआ और जिस तरह उसके अभिभावकों ने उसकेसाथ डील किया, वह वाकई प्रेरक था।

आपके पास अगर ऐसे कोई अनुभव हो, तो कृपया हमें भी अपने अनुभव शेयर कीजिएगा। हो सकता है कि आपके सहयोग से बेहाल-व्‍याकुल बच्चियां अपना भविष्‍य बचा सकें। :- संपादक दोलल्‍ती )

5 thoughts on “दुलुरूआ बिटिया। तेरा बाप अभी जिन्‍दा है

  1. Bahut badhiya….aap isi tarah se ese visayo ko chue aur likhe jo aam insaano ko saral bhasha me samaj aaye….

    Khub khub shubhkamanayan

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