: हेलमेट-मास्क के बिना रात में कर रहा था मटरगश्ती : कहीं दिखता भी नहीं है इसका अखबार, लेकिन हाथ में माइक का जलवा : महिला दारोगा और सिपाही से उलझ पड़ा :
कुमार सौवीर
देवरिया : कोरोना की महामारी पर कई कड़े नियम बनाये गये हैं। हिदायत है कि रात के वक्त बहुत इमरजेंसी होने पर ही कोई शख्स सड़क पर दिखेगा। नियम है कि बाइक पर केवल एक शख्स ही सड़क पर चलेगा। यह भी कानून है कि सड़क पर चलते वक्त उसके चेहरे पर मास्क होना अनिवार्य है। लेकिन इस कानून-हिदायत को ठेंगा पर रखते हैं कई पत्रकार लोग, जिनके अखबार का भले ही कोई अतापता लापता हो, लेकिन वे अंग-अंग में रंगबाजी से सराबोर होते हैं। अखबार तो कहीं नहीं दिखता, लेकिन वे अखबार के बजाय उस अखबार के नाम पर चैनल वाली माइक-आईडी लिये उधर उधर छुछुआते घूमा करते हैं। मकसद सिर्फ यह कि कैसे भी हो, उगाही कर ली जाए। इसके लिए रंगबाजी बहुत जरूरी होती है, इसलिए वे अपना रौब गांठने के लिए हमेशा हड़काऊ अंदाज अपनाये रखते हैं। खास कर लॉकडाउन के वक्त तो ऐसे रंगबाज पत्रकारों के तेवर निहायत बेहूदे होते जा रहे हैं। तनिक भी किसी जगह पुलिस ने पूछताछ कर डाली, तो लगता है कि उस पत्रकार की इज्जत ही मिट्टी में मिल गयी। ऐसे फर्जी पत्रकारनुमा रंगबाज लोग पुलिसवालों की नाम में दम किये घूम रहे हैं।
देवरिया में ऐसे ही एक ठेलुहे और ठेकेदार नुमा रंगबाज पत्रकार ने एक महिला दारोगा और उसकी सहयोगी महिला कांस्टेबुल के साथ जो बेहूदगी की, वह पत्रकारिता के नाम पर कलंक ही कही जाएगी। इस फर्जी पत्रकार ने यहां के हनुमान मंदिर चौराहे पर न केवल महिला पुलिसवालों के साथ निहायत बदतमीजी की, बल्कि हंगामा खड़ा करते हुए उनकी वर्दी तक उतारवाने की धमकी तक दे डाली। देवभूमि यानी देवरिया जिले के बुद्धिजीवी वर्ग में आजकल इस पत्रकार की चर्चा जबर्दस्त उफान पर है। रहे भी क्यो नही, पत्रकार के कर्म ही ऐसे हैं जो किसी कांड से कम नहीं। इन्ही में से एक पत्रकार ऐसा भी है जिसने अपनी करतूत से अपने नाम का आलूबम फोड़ कमिश्नर तक धमाके की आवाज पहुंचानी चाही। आलूबम तो बिलकुल फुस्स निकला, लेकिन इस पत्रकार की करतूत से देवरिया की पत्रकारिता जरूर शर्मसार हो गयी।
दो दिन पहले यहां शहर के हनुमान मंदिर चौराहे पर रात करीब 9 बजे लाकडाउन के सन्नाटे को चीरते बाइक पर एक अन्य व्यक्ति के साथ बिना हेलमेट और बिना मास्क लगाये एक पत्रकार हनुमान मंदिर चौराहे पर पहुँचे। जहाँ ड्यूटी पर तैनात महिला दारोगा और महिला कांस्टेबल समेत अन्य पुलिसकर्मियों ने बाइक को रोका, और बाइक सवार लोगों से मास्क और हेलमेट न होने की बाबत पूछा। महिला दारोगा ने यह भी पूछ लिया कि रात के वक्त दो लोगों की सवारी बाइक पर कैसे, कहां और क्यों जा रही है। इतनी सी बात पर ही पत्रकार की तड़तड़ाहट शुरू हो गई। यह सवाल पत्रकार की हनक और ऊंची नाक पर खास नागवार लगा। पत्रकार ने अपना परिचय शोले के धर्मेंद्र के अंदाज में दिया और पुलिसकर्मियों से उलझ गया और पुलिसकर्मियों को पत्रकारिता की हेकड़ी दिखानी शुरू कर दी। बोले:- तुमको दिखता नहीं है क्या कि बाइक पर प्रेस लिखा है।
बाइक सवार लोग पत्रकार हैं, यह जानकर पुलिसकर्मी चुप हुए। लेकिन यह पत्रकार ठंडा होने के बजाय ज्यादा चिल्लमचिल्ली करने लगा। मामला बढ़ता देख ड्यूटी पर तैनात महिला दरोगा ने सूझबूझ से मामला शांत कराने के लिए गाड़ी पर प्रेस न लिखे होने की बात कही और पत्रकार से जाने का आग्रह किया। लेकिन पत्रकार के तेवर शांत नहीं हुए। उसने चिल्लाते हुए कहा कि फिलहाल तो वह अपने साथ पेशेंट को लेकर जा रहा है, लेकिन लौट कर अभी तुम सब की औकात दिखाऊंगा।
थोड़ी देर बाद फिर से पत्रकार अपना तमगा तगाड़ी और माईक साथ लिए वहां आ धमका और महिला दरोगा समेत महिला कांस्टेबल और दीवान को धमकाते हुए पत्रकार होने का रौब झाड़ने लगा। देव भूमि की पत्रकारिता को कलंकित करने वाले इस पत्रकार की करतूत ऐसी थी, जैसे उसमें अपनी मर्यादा और महिला से बात करने की तमीज तक न हो। हत्थे से उखड़ चुके इस पत्रकार ने महिला दरोगा कांस्टेबल समेत उनके सहयोगियों की वर्दी उतरवा लेने की धमकी दी, और कमिश्नर समेत अन्य अधिकारियों को फोन करने की डींगें हांकता रहा बोला कि कल तक वह तुम सब को सस्पेंड करा देगा, और तुम सब की वर्दी उतरवा कर तुम सब की औकात दिखा देगा।
ऐसे पत्रकार वास्तव में पत्रकारिता जगत को कलंकित कर रहे हैं। आप पत्रकार हैं तो क्या आप गाड़ी के कागज इत्यादि दिखाने से आपकी पत्रकारिता पर बदनुमा दाग लग जायेगा?
आपकी तौहीन हो जायेगी ?
ऐसे पत्रकारों के पार्षदों में उतरने वाले भी कहीं न कहीं गंभीर आपराधिक कृत्य करने जैसा काम भी करते हैं। पत्रकार तो समाज को आईना दिखाने का काम करता है, ऐसे में वही अगर असामाजिक गतिविधियों में शामिल होकर कानून-व्यवस्था की खुलेआम धज्जियां उड़ाने लगेगा तो पत्रकारिता जगत का क्या हाल होगा इसका अंदाजा सहजता से लगाया जा सकता है।
ऐसे पत्रकारों के समर्थन में उतरने वाले भी कहीं न कहीं गंभीर आपराधिक कृत्य करने जैसा काम करते नजर आते हैं। ऊपर की टिप्पणी में टाइपिंग में त्रुटिवश पार्षद टाईप हो गया जिसे समर्थन पढ़ा जाए, सधन्यवाद।
पत्रकार और पत्रकारिता की गरिमा ऐसी ही नहीं धूमिल हुई है हमारे आपके बीच में ऐसे बहुत से महान पत्रकार हैं जो वास्तव में अपने आप को महानतम समझते हैं जिस तरह का निंदनीय कार्य इस तथाकथित पत्रकार के द्वारा किया गया या निश्चित रूप से निंदनीय और ऐसे पत्रकार जो कि वास्तव में तथाकथित ही हैं मेरी नजर में ऐसे लोगों को पत्रकारिता से बिल्कुल ही अलग कर देना चाहिए उनके संस्थान के द्वारा और समाज के द्वारा भी क्योंकि ऐसे पत्रकार जब तक भी समाज में भीषण करेंगे पत्रकार और पत्रकारिता को धूमिल ही करते रहेंगे
बहुत अच्छा लिखा है आपने
लेकिन हेडिंग थोड़ा मुझे सही नही लगी उसका कारण पत्रकार सब्द का जुड़ा हुआ होना है ,
आदरणीय पत्रकार बंधु पत्रकार की कोई कीमत नही होती बेशकीमती होता है दो कौड़ी अगर उसका दाम है वो पत्रकार नही है इसलिए किसी ब्यक्ति को आप दो कौड़ी को बोलिये परंतु उसके साथ पत्रकार जोड़कर ,पत्रकार की गरिमा को मत गिराइए
SAUVEER JI
KYA BAAT HAI WAKAI WAHI PURANA ANDAAZ BILKUL BHI NAHI BADLE HO.
ESWHAR KARE ESE HI NEWS KI UNCHAIYEON KO CHOOTE RAHO. DOLATTI.COM KO MERI TARAF SE BAHUT BAHUT BHADHAI…
SHATRUGHAN GUPTA
EX DY MANAGER FINANCE