: फिल्म अभिनेता आदर जैन ने कुबूला अपने मांसाहार-प्रेम के प्रति आग्रह-भाव : अपनी नयी “कैदी बैंड” फिल्म के प्रमोशन के लिए दिल्ली पहुंचे आदर जैन, जैन समुदाय के अखबार नवभारत टाइम्स ने आदर की तारीफ के कसीदे काढ़े : अन्या सिंह के साथ “कैदी बैंड” में दिखने वाले हैं आदर जैन :
कुमार सौवीर
लखनऊ : भारतीय धर्म-समुदाय और आध्यात्म जगत में दो ही विशेष धर्म ऐसे हैं जो पूरी दुनिया में अपनी इस आस्था को लेकर खास तौर पर सम्मानित किये जाते हैं, कि उनकी रीढ़ प्राणियों के प्रति दया-भाव से ओतप्रोत है। पूरी तरह अहिंसा और प्राणियों के प्रति अगाध आस्था और संकल्प लिये इन धर्मों में एक तो बौद्ध धर्म मशहूर है, जबकि दूसरा धर्म है जैन-समुदाय।
लेकिन सदियों से अपने उपरोक्त संकल्पों के लिए सम्मानित इन धर्मों ने लगता है कि अपनी डगर को पूरी तरह बदलना शुरू कर दिया है। अब जैन समुदाय के प्रमुख लोग खुलेआम न केवल मांसाहार करते ही हैं, बल्कि सरेआम कुबूलते भी हैं कि वे मांसाहार को अपनी शीर्ष रूचियों में तब्दील कर चुके हैं।
पिछली 18 अगस्त-17 को इस विषय पर सरेआम प्रचार करने वाले आदर जैन ने इस बारे में अपनी रूचियों का खुलेआम प्रदर्शन कर दिया। आदर जैन एक फिल्म कलाकार हैं, जो आदित्य चोपड़ा की नयी रिलीज होने वाली फिल्म “कैदी बैंड” के प्रमोशन में दिल्ली आये थे। आदर के साथ उनकी हिरोइन अन्या सिंह के साथ दिल्ली आये थे। यह फिल्म जल्द ही रूपहले परदे पर रिलीज होने वाली है।
आपको बता दें कि बौद्ध धर्म और जैन धर्म के मूल सिद्धांतों में ही प्राणियों और जीवों के प्रति अहिंसा और दया के शील प्रमुख तौर पर दर्ज हैं। हालांकि इन धर्मों के स्थापना के बाद के बरसों में में बौद्ध धर्म इस मामले में थोड़ा रिलैक्स होने लगा, और हत्या के रास्तों को छोड़ कर बाकी रास्तों में हत्या और मांसाहार की अनुमति सार्वजनिक रूप से मान्य होने लगी।
लेकिन जैन समुदाय लगातार इस मामले में कट्टर ही बना रहा। हालांकि जैन समुदाय के कई अनुयायी मांसाहार करते हैं, लेकिन उसका सार्वजनिक घोषणा या सहमति जुटाने जैसा कोई भी अभियान कभी भी किसी जैनी ने नहीं छेड़ा।
मगर आज आदर जैन ने सारी परम्पराओं को धता बताते हुए कुबूल लिया है कि वे मांसाहार को पसंद करते हैं। उन्होंने कुबूल लिया कि वे मांसाहार न केवल करते हैं, बल्कि उस बारे मे में खुल कर अपनी रूचियों का प्रदर्शन भी करने में गुरेज नहीं करते हैं। उन्होंने बताया कि अन्या सिंह उनके लिए आंध्रा भवन से अक्सर चिकन लेकर आती हैं।
इतना ही नहीं, वे बिरयानी खाने के लिए परांठे वाली गली में निजाम के यहां या फिर करीम के यहां चिकन खाने के लिए जाने वाले हैं।