डेंगू से ग्रसित एक महिला की जिन्‍दगी खतरे में, दौड़ पड़ी बच्चियां

सक्सेस सांग

: जिनकी डीएनए में यह आदत है, नियमित रक्‍तदान करना आपको संतोष और दूसरों को जिन्‍दगी देता है : सवाल प्रशंसा जुटाना नहीं, किसी का जीवन बचाना खुद को प्रेरणा दे जाता है : मैं केवल आत्‍म-स्‍तुति नहीं मानता, लेकिन अगर जो अगर यह करना भी चाहें तो इसमें हर्ज क्‍या :

कुमार सौवीर

लखनऊ : आज अचानक शिवानी कुलश्रेष्‍ठ ने अस्‍पताल में भर्ती डेंगू से ग्रसित एक बिटिया की खबर पोस्‍ट की है, जिसकी हालत काफी नाजुक है और उसे तत्‍काल पांच यूनिट खून की जरूरत है। मैंने स्‍वाभाविक तौर पर न केवल अपनी सहमति दे दी, बल्कि यह भी कह दिया कि दूसरा यूनिट ब्‍लड मेरी बड़ी बिटिया बकुल दे देगी। डोंट वरी। शिवानी मेरी बेटी की तरह है और लखनऊ हाईकोर्ट में बिलकुल अभी अभी प्रेक्टिस करने पहुंची है। हालांकि उसका मकसद न्‍यायिक सेवा अधिकारी बनना है। बहरहाल।

लेकिन यह केवल लफ्फाजी नहीं, यह सब मेरी आदतों में शामिल है। और सिर्फ मैं ही नहीं, मेरे परिवार के डीएनए में, रग-रग में शामिल हैं यह गुण। केवल बड़ी़ बेटी बकुल सौवीर ही नहीं, मेरी छुटकी बिटिया साशा सौवीर भी इस अभियानों में बढ़-चढ़ कर सक्रिय रहती है।

खैर, आइये। इस वीडियो को निहारिये। यह वीडियो, छह साल पुराना है और सात सितम्‍बर के दिन का ही है।

नियम से रक्त-दान करने वाली मेरी बेटी बकुल के चेहरे पर कितनी मुस्कुराहट और आत्मविश्वास है। है ना ? यह फोटो उन लोगों के लिए तो खासतौर पर प्रेरणा-स्रोत बन सकती है, जिनके मन में रक्तदान किसी हौवे की तरह बैठ चुका है। आपका खून किसी के काम आ जाए, इससे बढकर और क्या हो सकता है? भइया आप किसी की जान बचा रहे हैं, किसी का घर अंधेर …के घेरे से निकाल रहे हैं। यह पुण्य है। खूब कीजिए। बेहिचक।

वैसे मैं यह काम किसी प्रशंसा के लिए नहीं करता हूं। लेकिन यह भी मानता हूं कि पीठ थपथपाया जाना एक बहुत महत्वपूर्ण प्रेरणास्पद बात होती है। हां, एक बात और, किसी घटना को होता हुआ देखना भी उससे कई गुना ज्यादा प्रेरणा दे जाती है। मेरी बडी बेटी का नाम बकुल सौवीर है। बीए थर्ड इयर में पढती है। इसी साल जुलाई के पहले हफ्ते में मेरे एक मित्र की मां को खून की जरूरत थी। मेरे साथ मेरे सहयोगी कुलदीप द्विवेदी ने भी रक्त दिया। फिर भी कम पडा तो बकुल पहुंच गयी। आप देख सकते हैं कि नियम से खून दान करने वाली बकुल के चेहरे पर कितनी मुस्कुराहट और आत्मविश्वास है। यह फोटो उन लोगों के लिए तो खासतौर पर प्रेरणा-स्रोत बन सकती है, जिनके मन में रक्तदान किसी हौवे की तरह बैठ चुका है।

बकंल द्वारा किया गया रक्‍तदान का नजारा अगर आप देखना चाहें तो निम्‍न लिंक पर क्लिक कीजिए। इससे बकुल के चेहरे पर तनाव-रहित और दमकता उल्‍लास दिखेगा। इसे आप अपने घर-पड़ोस-मोहल्‍ले की बच्चियों को दिखा कर उन्‍हें प्रोत्‍साहित कर सकते हैं:- बे‍टी के लिए बेटी का रक्‍तदान

 

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