केवल भजन नहीं, कन्याओं का यशोगीत है दुर्गा-सप्तशती

मेरा कोना

मातृ-शक्ति की विविध अवस्थाओं का दर्शन

अवध राम पाण्डेय

दुर्गा सप्तशती पाठ के प्रारंभ मे ही देवी कवच आता है जो उसका अंग कहा गया है। इसमे नवदुर्गा के नव नामों का वर्णन आया है। यथा- प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी —— नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा प्रकीर्तिता!! ज्यादातर लोगों ने इसका अनेक बार पाठ किया होगा। पर स्थूल रूप से देखा जाय तो ये देवी के नव नाम हैं। स्थूल जगत के मूल में थोडा अन्दर जाने पर यही नाम मातृ शक्ति के विविध अवस्थाओं के प्रतीक हो जाते हैं। स्त्रियों के भारतीय वांग्मय मे कितना आदर है इसका यह एक छोटा उदाहरण मात्र है। पर जरा गंभीरता से विचार करें तो दुर्गा सप्तशती के यह नौ नाम देवी के नहीं है अपितु घर के कन्या के ही नौ स्वरूप है!

प्रथमं शैलपुत्री च (जन्म से शिक्षा प्रारंभ पर्यन्त) – जब कन्या का पिता के घर मे जन्म होता है। वह पिता के पुत्री के रूप मे प्रसिद्ध होती है।

द्वितीयं ब्रह्मचारिणी (शिक्षा प्राप्ति काल)- कन्या बालिका के रूप पढती लिखती है। वृद्धि को प्राप्त होती हुई वह पिता के नाम व अपने योग्यता का वर्धन करती है।

तृतीयं चन्द्रघंटेति (शिक्षित हो कर अन्य गुणों के अर्जन का काल) – कन्या यौवन को प्राप्त होती है सुन्दर रूप और गुणों के लिये प्रसिद्धि पाती है।

कुष्माण्डेति चतुर्थकम (विवाहित हो कर गर्भधारण पर्यन्त) – कन्या अब पितृ गृह छॊड कर एक विवाहिता होकर ससुराल मे असूर्यदर्शना होकर सुख पाती है सुख देती है।

पंचमं स्कन्दमातेति (मातृत्व काल) – वही कन्या अब जो विवाहिता होकर मातृसुख से आप्लावित हो जाती है। षष्ठं कात्यायनीति च (स्वतन्त्र काल) – विवाहिता महिला के रूप मे गुण और रूप से घर मे सबको सुख देती है एक सुखी संसार की निर्मात्री बन प्रतिष्ठित होती है।

सप्तममं कालरात्रिती(प्रौढवास्था) – कदाचित कुसमय के फ़ेर मे यदि विवाहिता आ जाय तो यह रूप अत्यन्त सुलभ है। जैसे बच्चे को कुछ हो जाय तो, पति को कुछ हो जाय तो या पति से ही कुछ हो जाय।

महागौरीति चाष्टमम ( प्रौढावस्था का अन्त )- एक सुखी परिवार की सुखी मालकिन जिसका भरा पूरा परिवार हो जिसको कोई कमी न हो वह परिवार की मुखिया होकर प्रतिष्ठित रहती है।

नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा प्रकीर्तिता( वृद्धावस्था) – सिद्धिदात्री स्त्री का वह रूप जिसमे वह परिवार की मुखिया होकर नये शक्तिस्वरूपा के स्वागत के लिये तत्पर होकर अपने संचित समस्त भौतिक वस्तुओं सुखभॊग की सामग्री को पारिवारिक जनों को हस्तांतरित कर सुख प्राप्त करती है।

कर्मकाण्ड के प्रख्यात विद्वान हैं अवधराम पाण्डेय। काशी के रहने वाले श्री पाण्डेय फेसबुक आदि अनेक सोशल साइट्स पर भी खासा हस्तक्षेप रखते हैं।

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