रामपुर से दिनदहाडे उठाया, उत्‍तराखण्‍ड में बेची गयी

सैड सांग

दलित महिला से गैंगरेप, फिर बारह हजार में बेचा
मायावती सरकार की पुलिस का क्रूर चेहरा उजागर
हर दर पर लगायी फरियाद, मगर पुलिस ने साधी चुप्‍पी
ना कोर्ट, ना पुलिस और ना थाना कर रहा है कार्रवाई
मायावती के राज्य में माया की पुलिस का एक खौफनाक चेहरा सामने आया है। जी हाँ, एक दलित महिला को दिनदहाड़े गाव के ही गोपाल ने अपने दो साथियों की मदद से अगवाकर कर खेत में ले गए जहा तीनो ने बारी-बारी से इस महिला के साथ अपना मुहं काला किया बाद में इन दरिंदों ने उत्तराखंड के एक व्‍यक्ति को महज़ १२ हज़ार रूपयों में बेच दिया। किसी तरह से उसके चुंगल से छूटी दलित महिला अब अपने परिज़नो के साथ संबनधित पुलिस और अधिकारीयों के चक्कर कट रही है लेकिन पुलिस उसकी रिपोर्ट तक नहीं लिख रही है।
यूपी में एक दलित महिला का गेंग रेप कर बारह हज़ार में सौदा कर देना कोई बड़ी बात नहीं है क्‍योंकि यहाँ की पुलिस भी उन्ही गुंडों का साथ दे रही है जिन्होंने पहले तो उसे अपनी हवस का शिकार बनाया। दलित महिला बिलखती फिरे तो फिरे, लेकिन यहाँ तो कानून के रखवाले इस मसले पर एक नज़र डालना तक पसंद नहीं कर रहे है। पीडित महिला अब कोतवाली से लेकर एसपी आफिस के चक्कर पर चक्कर काट रही है लेकिन इस दलित महिला की आपबीती सुनने को कोई भी तैयार नहीं है। हद तो तब हो गयी जब वह तहसील दिवस पर भी गई जहां जिलाधिकारी को आना था, लेकिन वहां भी कोई अधिकारी उसकी उसकी व्‍यथा सुनने को तैयार नहीं हुआ। इस दलित महिला को वहां से भी उसे टरका दिया गया।  यही वजह रही कि अब तक उसकी किसी ने रिपोर्ट नहीं लिखी।
तारीख  २८ अप्रैल दिन जुमेरात को ९ बजे  मीना नाम की दलित महिला एक स्‍थानीय मेडिकल स्‍टोर पर दवा लेनी गई थी। जैसे ही वह दवा लेकर घर के लिए वापस हुई, तो गांव का ही राम गोपाल अपने दो साथियों की मदद से उसे अगवाकर जंगल में ले गया। जहां इन दरिंदों की दरिंदगी तो देखिये इन्होंने तो पहले इस महिला को जबरन शराब पिलाई, फिर बारी-बारी से अपना मुंह काला किया। वे लोग उसे उठाकर उत्‍तराखण्‍ड ले गये थे, जहां बलात्कार के बाद उसे एक ढाबे वाले के हाथों बारह हज़ार रूपयों में बेच दिया।
बताते हैं कि जब उसे यह दरिन्दे उठाकर ले जा रहे थे, तब वह चिल्‍लाकर रहम की भीख मांग रही थी। उसकी गुहार सुनकर कुछ लोगों ने उसे छुडाने का प्रयास किया, लेकिन दरिंदों ने यह कह दिया कि हमारे घर का निजी मामला है, लोग पीछे हट गये।
दलित महिला के साथ जो भी हुआ, वह किसी को भी शर्मसार कर देने वाला था। लेकिन जब आप यूपी पुलिस का असली रूप देखेंगे तो आप जरूर यही कहेंगे कि इस खाकी वर्दीवाले  दरोगा  को जरूर सजा मिले क्‍योंकि यहाँ पर अपराध को बढ़ावा देने वाला कोई और नहीं, सीधे है यूपी पुलिस के नुमाइंदे। जिन्होंने ज़िम्मा उठाया है लोगों की सुरक्क्षा करने का। जब इस मामले पर लेखक ने पुलिस के थानेदार से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने बड़ी ही बेशर्मी से जबाब देते हुए कहा कि हमारे यहाँ रिपोर्ट दर्ज कराने ऐसी कोई महिला आई ही नहीं है। वहां मौजूद पत्रकारों ने जब उसे कैमरे में कैद करने की कोशिश की तो वह दारोगा कैमरों से अपना मुंह छुपाते हुए भागते नज़र आया।
सूबे की मुख्‍यमंत्री मायावती भले ही दावा कर रही है कि हमारे राज्य में दलित महिला सुरक्षित हैं, लेकिन इस महिला की आप बीती सुनकर किसी भी अधिकारी का दिल नहीं पसीज रहा है जिसके चलते उसकी आज तक रिपोर्ट दर्ज नहीं हुई। अब देखना यह है कि आख़िरकार कब इसकी कोई आपबीती सुनकर रिपोर्ट दर्ज करेगा या फिर  रामपुर की सड़कों पर महिला के साथ हुए हादसे के आरोपित खुले आम आम लोगों को दहशतजदा करते ही रहेंगे।

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