मासूमों से यौन-उत्‍पीड़न का अंदेशा: यह अधूरी कहानी आप लोग ही पूरा करें

सैड सांग

: आधी चॉकलेट के बहाने एक जरूरी बातचीत। सतर्कता बहुत जरूरी है, चाहे वह स्‍कूल टीचर हो या फिर कोई पड़ोसी : बच्‍चों से बातचीत करते रहना ही इस समस्‍या का असल समाधान : तैश में आने के बजाय मामले की तह तक पहुंचने की कोशिश कीजिए :

अमित मंडलोई

इंदौर : करीबी मित्र की नौ साल की बेटी ने तीन दिन पहले शाम को घर आकर बातचीत में अपनी मां से कहा, आज छुट्टी के बाद स्पोर्टस वाले सर मिलने आए थे। हम बैग उठाकर बस की तरफ बढ़ रहे थे तब वे मेरे पास एक चॉकलेट लेकर आए और बोले अपन दोनों आधी-आधी खाएंगे। हम तीन लोग थे वहां, लेकिन सर ने सिर्फ मुझे ही आधी चॉकलेट दी और बाकी की खुद गए। बच्ची खुश थी, लेकिन यह सुनकर मां के होश ठिकाने पर नहीं थे।

अगले ही दिन मित्र का फोन आया, क्या करना चाहिए। क्या प्रिंसिपल से जाकर मिल लूं एक बार। पता नहीं कैसा आदमी है। मैंने कहा, थोड़ा धीरज भी धर सकते हैं। वह बोला, हां लेकिन पता नहीं क्यों दिमाग से बात निकल नहीं रही है। मैं तो फिर भी ठीक हूं, लेकिन पत्नी ज्यादा चिंतित है। कल बस किसी कारण से 15 मिनट लेट हो गई तो स्कूल में तीन फोन लगा दिए। जब तक बेटी घर नहीं पहुंची, वह गैलरी में खड़ी थी। मुझसे कहने लगी, क्या ये हो सकता है कि हम उसे स्कूल छोडऩे और लाने की जिम्मेदारी खुद ले लें।

मैंने कहा, ये आइडिया प्रैक्टिकल नहीं है। दो-चार दिन तो ठीक है, लेकिन रोज कैसे मैनेज करेंगे। उसने कुछ कहा नहीं, लेकिन चेहरा उतर गया।

मैंने कहा, भाभी को समझाओ की टीचर और स्टूडेंट के बीच अलग तरह की बांडिंग होती है। चूंकि तुम्हारी बेटी पढ़ाई के साथ स्पोट्र्स में भी ठीक है, इसलिए टीचर के करीब होगी। अच्छा कर रही है, इसलिए सहज स्नेह के चलते स्पोट्र्स टीचर ने चॉकलेट खिलाई होगी। वह बोला, हां मैं भी खुद को यही समझाने की कोशिश कर रहा हूं, लेकिन पता नहीं क्यों घबराहट होती है। नए-नए सवाल मन में आते हैं। लगता है कि अगर वहां तीन बच्चे और थे तो सिर्फ मेरी ही बेटी को चॉकलेट क्यों खिलाई। वे बाकी बच्चों के साथ भी शेयर कर सकते थे। भले ही वे करीब न हो, लेकिन इस तरह से बाकी बच्चों के बीच में सिर्फ उसे स्पेशल क्यों फील कराना चाहते थे कि वह टीचर की खास है।

फिर उसके अगले दिन उन्होंने उसे वॉलीबॉल मैच के लिए भोपाल ले जाने का कहा। मैंने कहा, ये तो अच्छी बात है, जाने देना चाहिए। उसने जवाब दिया, नहीं पत्नी ने सिरे से खारिज कर दिया। ऐसे में कैसे भेज सकती हूं। मैंने पूछा, ये बेटी के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं होगा। उसे कितना खराब लगा होगा कि मौका होने के बाद भी उसे जाने नहीं दिया गया। वह बोला, नहीं मैंने उसे मना लिया है किसी तरह। अंदाजा नहीं होने दिया कि किसी और वजह से उसे मना कर रहे हैं। वैसे भी स्कूल की तरफ से कोई लेटर नहीं आया था। सर ने सिर्फ उसी को कहा था, इसलिए और ठीक नहीं लगा। मैंने कहा, अगर इस बात पर शक था तो प्रिंसिपल को फोन करके किसी बहाने पूछ सकते थे कि सर कब जाएंगे, कितने बच्चे जाएंगे, कैसे पहुंचेंगे। वह बोला, हिम्मत ही नहीं हुई, पत्नी तो खारिज कर ही चुकी थी। प्रिंसिपल से पूछ कर फिर कर भी क्या लेता।

मैंने कहा, बेटी अभी बहुत छोटी है, उसके आसपास शक की ऐसी बाड़ लगाना क्या ठीक रहेगा। वह बोला, इसी बात का तो डर है कि अभी वह बहुत छोटी है। कुछ जानती-समझती नहीं। बड़ी हो जाएगी तो उसे इतना तैयार कर देंगे कि तमाम चुनौतियों का मुकाबला कर लेगी। तब डर नहीं रहेगा, अभी लगता है, क्योंकि वह मासूम है, लेकिन लोग कैसे हैं, इसका अंदाजा लगाना नहीं जानती। वह तो इस बात से खुश थी कि बाकी सबको छोडक़र सर ने उसे ही चॉकलेट खिलाई। मैंने कहा, उसे समझा दो कि दोबारा ऐसा होने पर वह कह दे कि मैं अकेले नहीं खाती, मेरे सभी दोस्तों को देंगे तभी खाऊंगी। उसे कोई जवाब नहीं सुझा। मैं देर तक उसके चेहरे के भाव पढऩे की कोशिश करता रहा, लेकिन नाकाम रहा। उसके चेहरे से लेकर मन तक अजीब सा खालीपन महसूस हो रहा था।

मुझसे यह बेचारगी बर्दाश्त नहीं हुई। मैंने कहा, बेहतर होगा, प्रिंसिपल से जाकर मिल लो। वह बोला, यार मैं भी यही चाहता हूं लेकिन समझ नहीं पा रहा हूं कि कैसे बात करूंगा। अगर आधी चॉकलेट को लेकर उन्होंने स्पोट्र्स टीचर को कुछ कहा या कार्रवाई की तो ऐसा न हो कि वह इस बात की रंजिश पाल ले। वक्त आने पर कोई मेरी बेटी के लिए कोई बड़ी मुसीबत खड़ी कर दे। फिर अगर यह बात किसी दूसरे तरीके से मेरी बेटी तक पहुंची तो वह भी परेशान होगी कि पापा ने सर की शिकायत क्यों की।

वह कुछ समझ ही नहीं पा रहा था। मेरी सलाह मानना भी चाहता था, लेकिन उसके लिए खुद को तैयार नहीं कर पा रहा था। आधी चॉकलेट ने उसके पूरे दिन बर्बाद कर दिए थे। उसकी पत्नी स्पोट्र्स वाले दिन अजीब से पसोपेश में रहती है। बेटी को समझाती है कि पूरे समय बाकी बच्चों के साथ ही रहना। बेटी जवाब में सवालों से भरा चेहरा आगे कर देती है तो वह कुछ नहीं बोल पाती। बस इतना ही कहती है, अपना ध्यान रखना।

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