सीपीआई वाले अतुल अंजान क्‍या वाकई यूपी की हालत से अंजान हैं

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: प्रशंसा से खुश सरकार की मशीनरी ने बुलंद कर दिया बुलंदशहर का नाम : हैरत की बात है कि वामपंथी सोच वाले नेता यूपी में कानून-व्‍यवस्‍था की तारीफ कर दी : यूपी की अतुल अंजान उसी छात्रसंघ के अध्‍यक्ष रह चुके हैं, जहां दयाशंकर जैसे अध्‍यक्ष रह चुके हैं : अगले अंक में हम आपको पढ़ायेंगे सीपीआई के राज्‍य सचिव डॉ गिरीश का बयान, जो अतुल अंजान से ठीक उलट है :

कुमार सौवीर

लखनऊ : भारतीय कम्‍युनिस्‍ट पार्टी के राष्‍ट्रीय सचिव हैं अतुल अंजान। कोई 35 साल पहले लखनऊ विश्‍वविद्यालय छात्रसंघ के अध्‍यक्ष रह चुके हैं। अरे यह वही अतुल अंजान वाला छात्रसंघ है, जहां के अध्‍यक्ष रह चुके हैं दयाशंकर सिंह। दयाशंकर सिंह ने ही अभी हाल ही बसपा की प्रमुख मायावती पर एक निहायत गंदा कमेंट किया था कि वे पार्टी चुनाव के टिकट के लिए पैसा वसूलते वक्‍त इतनी हुज्‍जत और मोलभाव करती हैं, जितना तो कोई वेश्‍या नहीं करती होगी।

बहरहाल, दयाशंकर सिंह के अनुभवों के बारे में मैं कोई टिप्‍पणी नहीं कर सकता, कि मैंने कभी किसी वेश्‍या के संग वक्‍त बिताने की जहमत नहीं उठायी। ले‍किन अतुल अंजान के बारे ने दो दिन पहले जो बयान दिया था, वह निहायत बचकाना और केवल चापलूसी की चाशनी से सना हुआ था। निहायत घटिया, बेईमान, ब्‍लैकमेलर और भ्रष्‍टतम पत्रकारों की टोली वाले जी-टीवी न्‍यूज चैनल के एक सम्‍पादक वासिन्‍द्र मिश्र की किताब के लोकार्पण के मौके पर उन्‍होंने यूपी की खुले दिल और खुले दिमाग से तारीफ की, कि कानून-व्‍यवस्‍था के मामले में यूपी लाजवाब है।

हैरत की बात है कि अतुल अंजान जब यह प्रवचन दे रहे थे, उसी समय अकेले लखनऊ में चार नृशंस हत्‍याएं हो गयीं। इनमें दो महिलाएं शामिल थीं। पूरा लखनऊ उनके खून से सन्‍नाटे में था। और उसी रात बुलंदशहर में एक 14 साल की बच्‍ची और उसकी मां के साथ बदमाशों ने सामूहिक बलात्‍कार कर डाला। अब यह समझ में नहीं आ रहा है कि सचाई क्‍या है, इन हादसों की या फिर अतुल अंजान के बयान की।

इस कार्यक्रम में अतुल अंजान को प्रमुख वक्‍ता के तौर पर बुलाया और बोलवाया गया था। यह कार्यक्रम मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव के आवास में आयोजित किया गया था। अपने भाषण में उन्‍होंने दावा किया कि दिल्‍ली में जब वे अखबार पढ़ते हैं तो उसमें केवल छेड़खानी, बलात्‍कार, हत्‍या की खबरें ही होती हैं। जबकि अतुल अंजान का दावा था कि यूपी में बेहद शां‍त माहौल है, हर ओर शांति है, सुख है, सम्‍पन्‍नता है, विकास है और इसीलिए यूपी एक बेहतर प्रदेश है।

जाहिर है और यह सच भी है कि अतुल अंजान ने यह सारी बातें झूठ ही बोलीं। सूत्र बताते हैं कि मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव के सामने मंच पर बैठ कर वे इतना गौरवान्वित हुए कि यूपी की माली हालत और अपनी पार्टी की लाइन से बिदक कर मुख्‍यमंत्री की खुशामदी वाले बयान बोलते गये। वहां मौजूद लोगों का कहना है कि जब अतुल अंजान बोल रहे थे तो उनकी बातें सुनने का साहस अपने कान विश्‍वास नहीं कर पा रहे थे।

बहरहाल, पत्रकारों की भीड़ में एक भी पत्रकार ने अतुल अंजान के इस बयान का प्रतिकार-प्रतिरोध नहीं किया। लेकिन वहां मौजूद कुछ महिलाओं ने अतुल अंजान के इस बयान पर सख्‍त ऐतराज जता दिया। उन्‍होंने यहां तक कह दिया कि अतुल अंजान वाकई हैं। उनका ऐतराज था कि या तो अतुल अंजान को हकीकत नहीं पता है, या फिर वे जानबूझ कर असल तथ्‍यों से मुंह मोड़ रहे हैं। और अगर ऐसा है तो यह निहायत दुख की बात है, और देश में वामपंथी आंदोलन का चरित्र भी साबित-प्रमाणित करता है।

बहरहाल, अतुल अंजान के उस बयान के ठीक बाद  भारतीय कम्‍युनिस्‍ट पार्टी में लम्‍बे समय तक राज्‍य सचिव रहे डॉ गिरीश से बातचीत की। अगले अंक में हम आपको बतायेंगे कि डॉ गिरीश की निगाह में यूपी की हालत और यहां कानून-व्‍यवस्‍था की माली स्थिति क्‍या है।

अगले अंक में हम आपको पढ़ायेंगे सीपीआई के राज्‍य सचिव डॉ गिरीश का बयान, जो अतुल अंजान से ठीक उलट है

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