अपने ही पिछवाड़े पर तलवार चलवायी बीएचयू के राजा ने: मामला सफाचट, चिल्‍ल-पों शुरू

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: पहले तो जिस चीज को राजा साहब अपने हाथ से धोते थे, आज उसी से हाथ धो बैठे हैं बीएचयू के राजा साहब : पचास साल पहले मेरी नानी ने सुनाया था यह किस्‍सा, आज जीवन्‍त हो गया : बोलती मैना को कुतिया-लौंडिया बताओगे, तो अंजाम ऐसा ही निकलेगा :

कुमार सौवीर

बनारस : एक कहानी है। घने बीहड़ गांव में रहने वाली मेरी नानी ने सुनाया था। करीब पचास साल पहले। बोलीं :- एक राजा था। एक दिन एक बोलती मैना राजा के मुंडेर पर आयी और कहने लगी कि राजा राजा। प्रजा बहुत परेशान है, तुम्‍हारी हरकतों से। लेकिन कुछ करने के बजाय तुम साबित कर रहे हो कि तुम लड़बोंग यानी बकलोल ही हो। राजा को गुस्‍सा आ गया। उसने पुलिसवालों को आदेश दिया कि इस बदतमीज चिडि़या को पकड़ लाओ।

पुलिसवालों का क्‍या, सरकारी कर्मचारी-अफसर तो इसी जुगाड़ में रहते हैं कि उन्‍हें कोई मस्‍त काम मिल जाए। सो, तीन-चार हफ्ते बाद हांफते-हांफते लौटे और पिंजरे में बंद मैना को सामने रख दिया।

राजा ने मैना को घूर कर देखा, तो मैना ने हिकारत से पूछा :- काहे घूर रहे हो राजा जी।

अब फिर कहोगी मुझे अत्‍याचारी : राजा

मैना : आज ही नहीं, हमेशा कहूंगी कि तुम अत्‍याचारी हो। आज भी कहूंगी, बार-बार कहूंगी। या तो खुद को सुधार लो, या फिर मुझ जैसी प्रजा के ताने सुनते रहो।

राजा ने गुस्‍से में पुलिसवालों को आदेश दिया: इस मैना को अभी का अभी कत्‍ल कर दो

मैना: मुझे कत्‍ल कराओगे राजा, तो भी कुछ नहीं होगा

राजा : मरवा दूं

मैना : मरवा लो, अगर हिम्‍मत हो तो

राजा : सैनिकों, इस लौंडिया को मार डालो

सैनिकों ने उसका गर्दन रेत कर उसे मार डाला

लेकिन मरने के बाद भी वह ढीठ मैना बोलती ही रही : मैं तो मार दी गयी। राजा अत्‍याचारी है। मैं तो मार दी गयी। राजा अत्‍याचारी है।

राजा : हो त्‍तेरी की। यह तो बहुत ढीठ लौंडिया है। मगर गयी, लेकिन बोल रही है। रसोइया, चलो इधर आओ। इस मैना को साफ कर उसे मसाला में डाल कर पका डालो।

काम स्‍टार्ट हो गया।

मैना : मैं तो मसाले में सानी जा रही हूं, मैं तो मसालों में सानी जा रही हूं।

राजा : अरे भोजनशाला के अध्‍यक्ष, इस मैना के गोश्‍त को फौरन तल दो

मैना : मैं तो तली जा रही हूं राजा जी, मैं तो तली जा रही हूं राजा जी।

राजा : अरे कुलानुशासक। तत्‍काल धनिया-मिर्च की चटनी बनाओ, मैं इस मैना की पकौड़ी खाकर खत्‍म करूंगा। पूरा लफड़ा ही निपटा दूंगा।

मैना : मेरे लिए चटनी पीसी जा रही है राजा, राजा मेरे लिए चटनी बन रही।

राजा ने आनन-फानन चटनी के साथ सारी पकौडि़यां भकोस ली।

मैना : मैं तो खायी जा रही हूं राजा जी, मैं तो खायी जा रही हूं राजा जी।

राजा ने लोटा भर पानी पी कर डकार लिया, कि मैना-पकौडि़यों की गर्मी खत्‍म हो जाए। मैना शांत हो जाए। मगर अचानक फिर आने लगी आवाजें मैना की।

मैना : मैं तो राजा के पेट के भित्‍तर, मैं तो राजा के पेट के भित्‍तर।

राजा बहुत बौखलाया। उसका पेट रात भर मरोड़ मारता रहा। बार-बार यही आवाज आती थी मैना की, कि:- मैं तो राजा के पेट के अंदर, मैं तो राजा के पेट के अंदर।

राजा ने फैसला कर लिया। कि आज तो उस मैना को तलवार से कीमा में ही तब्‍दील किया जाएगा। चाहे कुछ भी हो जाए।

उसने अपने खास शातिर तलवारबाजों को बुलाया। उधर राजवैद्य को भी बुलाया। पेट साफ करने वाला जमालगोटा मंगवाया। पानी के साथ निगल लिया ढेर सारा जमालगोटा।

बीस मिनट भर पेट गुड़गुड़ करने लगा।

राजा ने तलवारबाजों को सतर्क किया। पेट पर दबाव बढ़ने लगा था, इसलिए वह लपक कर शौचालय गया। खुड्डी पर इधर-उधर पैर चियार दिया। घुटना उचका दिया। 90 परसेंट तक ऊंचा किया। चूतड़ हल्‍का सा उप्‍पर किया, जैसे उड़ान भरने से कन्‍तूतर चिडि़या अपना हग-स्‍थान उचकाय लेती है।  तलवारबाजों ने निशाना लगाया। इशारा हुआ, राजा ने पेट पर दबाव बनाया तो धच्‍च से पाखाना छुर्र से निकल पड़ा। तलवारबाजों की तलवारें चमक पड़ीं। लेकिन यह क्‍या, सटीक निशाने पर तलवार पहुंचने से ठीक  पहले ही वह मैना फुर्र से उड़ गयी। राजा जमीन पर लेट कर बुरी तरह चीत्‍कार करने लगा। राजा के तीनों अंग-उपांग और पृष्‍ठांग का काफी कुछ हिस्‍सा जमीन पर बीएचयू के कुलपति की तरह धराशायी पर पड़ा था। राजा हाहाकार कर रहा था।

सारे दरबारी मौका-ए-चिल्‍लपों पर पहुंचे। पाया कि जमीन पर राजा दर्द से बेहाल लोटपोट हो रहा है। जमीन पर खून का सैलाब फैला हुआ है। राजा साहब का अगवाड़ा-पिछवाड़ा यानी सब का सब बिलकुल सफाचट हो चुका था। सब हैरत में थे, कि आखिर यह हुआ तो क्‍या और कैसे हुआ।

सब के सब एक दूसरे की तरफ देख रहे थे। आंखों ही आंखों में पूछ रहे थे कि यह माजरा क्‍या हुआ। लेकिन जवाब कोई देता भी तो क्‍या देता।

अचानक एक विदूषक ने रहस्‍यमयी मुस्‍कान बिखेरी और खुसफुसा कर बोला:- कुछ खास नहीं हुआ है। बस हुआ इतना ही है कि पहले तो जिस चीज को राजा साहब अपने हाथ से धोते थे, आज उसी से हाथ धो बैठे हैं।

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