कांग्रेसी फंडा। नवोढ़ा नेताओं की मार्केटिंग पर छम्‍मक-छल्‍लो ?

बिटिया खबर

: फिर तो हर लौंडे-लफाड़ी पर लाखों रुपयों का न्‍यौछावर अखबारों पर उड़ेगा : कल कांग्रेस में शामिल, आज दो पन्‍ने का विज्ञापन जारी : ऑक्‍सीजन-मैन राजेश जायसवाल का दावा कि इतने भारी-भरकम विज्ञापन का खर्चा कांग्रेस ने उठाया : आखिर हैं कौन माननीय राजेश, कांग्रेसियों को ही पता नहीं :

कुमार सौवीर

लखनऊ : पिछले आठ बरसों के भीतर भाजपा ने अपने केंद्रीय मुख्‍यालय ही नहीं, बल्कि सभी प्रदेश मुख्‍यालयों के साथ जिला दफ्तरों को आलीशान दफ्तर के तौर पर सुसज्जित कर दिया है। लेकिन बाई गॉड की कसम, किसी को तनिक भी भनक नहीं मिल सकी है कि कांग्रेस भी इस दौड़ में शुरू होने लगी है। इसका खुलासा तब हुआ, जब कांग्रेस में एक ताजा-ताजा नेता ने यह ऐलान कर‍ दिया। इस नवेला नेता हैं राजेश कुमार जायसवाल। कांग्रेस में ताजा बने इस नेता राजेश कुमार सिंह के खुद के नव-कांग्रेसी होने के उपलक्ष्‍य में अमर उजाला नाम के अखबार ने दो पन्‍नों का एक विज्ञापन छाप दिया है। इसमें से एक पन्‍ने में तो विज्ञापन है, जब‍कि दूसरा पन्‍ना को खबर की शैली की घटिया शैली में भी विज्ञापन बना दिया गया है। इन दोनों में ही यह नेता के साथ सोनिया गांधी, खरके, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के साथ खुद राजेश कुमार जायसवाल गदगद भाव में मुस्‍की मारते दिखायी पड़ रहे हैं।
दरअसल, धन-पशु जब राजनीति में अपनी टांग अड़ानी की करतूत शुरू करते हैं, हंगामा अपने आप ही शुरू हो जाता है। ऐसे लोगों को लेकर कोहबर से लेकर सोहर तक के कर्मकाण्‍ड पर जो हंगामा होता है, वह अपने आप में ही खासा हैरतनाक होता है। इसकी वजह भी तो होती है। दरअसल, जब वे धंधा के साथ राजनीति में घुसपैठ करना शुरू कर देते हैं तो ढोल-ताशा लेकर शोर बहुत करते हैं। धन का प्रदर्शन करते हैं, लुटाने की शैली में। और इसमें ढोल-ताशा की आवाज आज आदमी को नहीं मिल पाये, इसकी वे पूरी की पूरी कोशिश करते हैं। इसके तहत वे अपना प्रचार सड़क पर करने के बजाय, सीधे चुपचाप अखबारों में विज्ञापन देने कर श्री-कोशिश करते हैं। उनका मकसद होता है कि इस तरह उनसे अहसानमंद अखबारों और पत्रकारों से उनके रिश्‍ते बन जाएंगे और आम आदमी को पता भी चल जाएगा कि:- सजनी ! हम हूं राजकुमार।
आपको याद होगा कि करीब साढ़े पांच बरस पहले जब योगी आदित्‍यनाथ प्रदेश के मुख्‍यमंत्री बने थे, उस समय एक निहायत घरेलू महिला ने कई दिनों तक योगी के सम्‍मान में सभी अखबारों के पहले पन्‍नों का विज्ञापन जारी किया था, जिसमें योगी के साथ उन महिला का भी नाम शामिल था। इस महिला का नाम सुशीला सिंह उन हर विज्ञापनों में बाकायदा फोटो के साथ प्रकाशित होती रही थी। ऐसे विज्ञापनों को खोदने, सूंघने और उसको परखने के बाद दोलत्‍ती डॉट कॉम को पता चला कि यह गोरखपुर की रहने वाले परिवार की महिला है और उनके पति रेल में एक बड़े पद पर कार्यरत हैं। इतना ही नहीं, इस परिवार का अधिकांश ठेकेदारी में संलिप्‍त है। साफ हो गया कि इस विज्ञापन का मकसद इस परिवार को राजनीतिक प्रश्रय दिलाना ही था, जिसकी माध्‍यम वह महिला सुशीला सिंह बन गयी थीं।
उसी तरह प्रेस जगत में भी अपना कदम जमाये किन्‍हीं मुकेश कुमार सिंह का नाम भी उसी दौर में बाकायदा उठा था, जब उन्‍होंने योगी सरकार की शुरूआत में अपनी छवि निखारने के लिए कई‍ दिनों तक कई-कई पन्‍नों का विज्ञापन दिया था। बताते हैं कि मूलत: रायबरेली के रहने वाले यह सज्‍जन यूपी प्रेस-क्‍लब के भी करीबी माने जाते हैं और साहित्‍य आदि क्षेत्र में भी अपना संपर्क भी बनाये रखते हैं।
दोलत्‍ती डॉट कॉम से बातचीत में राजेश बताते हैं कि उनकी एक ऑक्‍सीजन फैक्‍ट्री रैथा रोड पर है।
दोलत्‍ती डॉट कॉम से बातचीत में राजेश बताते हैं कि उनकी एक ऑक्‍सीजन फैक्‍ट्री रैथा रोड पर है। खुद को ऑक्‍सीजन-मैन कहलाते हैं राजेश। वे बताते हैं कि कोरोना-काल में उन्‍होंने एक भूखे हाथी को एक ट्रक गन्‍ना और उसके महावत को दस हजार रुपया दिया था। बल्‍ब बनाने वाले एडीसन जैसे महान आविष्‍कारक की सफलता भी अपने इस विज्ञापन में क्रेडिट के तौर पर विज्ञापित करते हैं। बताते हैं कि वे 25 कलाकारों को प्रतिमास तीन हजार रुपया देते हैं। बोलते हैं कि कारोना-काल में उन्‍होंने चार महीनों तक भूखे-बेहाल लोगों की सेवा की है। लेकिन दोलत्‍ती डॉट कॉम ने जब इस बारे में जानकारी चाही कि इन विज्ञापनों का खर्चा आपने तो बहुत ज्‍यादा कर दिया होगा, राजेश जायसवाल का कहना था कि इस बारे मे तो कांग्रेस ही बताये, मैंने तो एक भी पैसा नहीं खर्च किया।
लेकिन राजेश जायसवाल के इस दावे पर दूसरा तो दूर, खुद कांग्रेसी ही मानने को तैयार नहीं हैं। उनका तर्क भी जायज है कि जब राजेश जायसवाल ने इन दो पन्‍नों के विज्ञापन में केवल अपनी ही मार्केटिंग की है, ऐसी हालत में कांग्रेस इसका खर्चा क्‍यों करेगी। वह भी तो तब, जब राजेश पांडेय सन-13 तक भाजपा में ही शामिल थे, लेकिन उसके बाद उन्‍होंने भाजपा को त्‍याग दिया। मगर अचानक अभी दो दिन पहले यानी ठीक 14 नवम्‍बर अर्थात बाल दिवस पर उन्‍होंने कांग्रेस को ज्‍वाइन किया है। ऐसी हालत में इन नये-नवेले नेता पर पार्टी द्वारा खर्च किया जाना अविश्‍वसनीय ही है।

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