भगोड़ा-लिस्‍ट में नया नाम ब्रजेश पाठक, जिसे बसपा ने हैसियत अता की

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: हरदोई से केवल कच्‍छा लेकर लखनऊ आये थे ब्रजेश पाठक, आज सल्‍तनत हड़प ली : जिसे भी ब्रजेश का सहारा दिया, ब्रजेश ने उसे तोड़ने की साजिश की : एलटीसी घोटाला में लिप्‍त ब्रजेश पाठक पर सीबीआई की तिरछी नजर, फिलहाल जमानत पर हैं पूर्व सांसद ब्रजेश पाठक : जेड-सुरक्षा हासिल है, लेकिन खतरा किस बात का है, किसी को भी पता नहीं :

कुमार सौवीर

लखनऊ : एक बार लोकसभा और एक बार राज्‍यसभा की सांसदी थमायी थी बसपा ने, अपना मीडिया प्रभारी बना लिया, हैसियत अता फरमायी। लेकिन ख्‍वाहिशों के पंख कुछ ज्‍यादा ही निकल पड़े। नतीजा, राजनीति को खिलवाड़ मान चुके इस शख्‍स ने इस बार उसी सीढ़ी को तोड़ने की कोशिश की जिसने उसे एक कद्दावर हैसियत दी थी।

जी हां, हम यहां बात कर रहे हैं ब्रजेश पाठक की। बसपा ने आज ब्रजेश पाठक को खुलेआम गद्दार घोषित किया और पार्टी से ब्रजेश पाठक को निकाल बाहर कर दिया। यह तब हुआ जब इसके ठीक एक दिन पहले ही ब्रजेश पाठक आगरा में बसपा के एक अधिवेशन में मंच से अपने दोनों हाथ हिला कर कार्यकर्ताओं पर मुस्‍कान बिखेर रहे थे। लेकिन आज शाम होने के पहले ही पता चला कि ब्रजेश पाठक ने अब उचक कर भारतीय जनता पार्टी की गोद में बैठ गये हैं। फिलहाल अब तक यह पता नहीं चल पाया है कि भाजपा के लोग ब्रजेश के लिए एक नयी चुसनी के बारे में सोच रहे भी या नहीं।

हरदोई के मल्‍लावां के रहने वाले ब्रजेश पाठक कोई 30 साल पहले लखनऊ में पढ़ने आये थे। लखनऊ विश्‍वविद्यालय में उनका परिचय विनय तिवारी से हुआ, जो उस वक्‍त के पूर्वांचल के बाहुबली हरिशंकर तिवारी के पुत्र हैं। विनय तिवारी बेहद पढ़ाकू और अपने सौम्‍य व्‍यवहार वाले थे, जबकि ब्रजेश अक्‍खड़, ढीठ और मनबढ़। ब्रजेश को लगा कि विनय तिवारी की ताकत से वे राजनीति में खुद को स्‍थापित कर सकते हैं। नतीजा, ब्रजेश पाठक ने विनय का दामन थाम लिया। अपने रणनीति के तहत ब्रजेश पाठक ने लखनऊ विश्‍वविद्यालय छात्रसंघ में विधि प्रतिनिधि का चुनाव लड़ने की ख्‍वाहिश विनय से की।

परिचय अब मित्रता की सीढ़ी तक पहुंचने लगा था। छात्रों में विनय तिवारी की छवि सर्वाधिक लोकप्रिय थी। लेकिन विनय राजनीति से अलग थे। लेकिन ब्रजेश की मदद के लिए विनय की पूरी टीम तैयार हो गयी। और बिना किसी कोशिश के ही ब्रजेश इस चुनाव में भारी मतों से जीत गये।और इसके साथ ही ब्रजेश पाठक से विनय तिवारी की दोस्‍ती निरन्‍तर प्रगाढ़ ही होती रही।  (क्रमश:)

यह लेख-श्रंखला है। इस श्रंखला का अगला अंक और ब्रजेश पाठक को देखने, पढ़ने और समझने के लिए कृपया निम्‍न लिंक पर क्लिक कीजिए: अथ-श्री ब्रजेश पाठक कथा

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