बिहार, बिहारियों और सूर्य-षष्‍ठी के खिलाफ प्रगतिशील महिलाओं की लम्‍बी पींगें

बिटिया खबर

: छठ-पर्व को लेकर भड़कीं महिलाओं ने शुरूआती हल्‍ला खूब किया : प्रतिरोध उबलने लगा तो अब बचाव मुद्रा पर आ गयीं ऐसी अधिकांश महिलाएं : एक ने लिखा कि खुद तो छठ मइया का उपासक कहलाते हो, पर मुझ औरत को नंगी गालियां :

कुमार सौवीर

लखनऊ : धार्मिक परम्‍पराओं के खिलाफ आवाज उठाने वाली महिलाओं की संख्‍या भले ही बहुत कम या उंगलियां पर गिनने तक ही सीमित हो, लेकिन जो भी हैं वे बहुत मुखर हैं। ऐसी महिलाएं अभिव्‍यक्ति के मामले में बहुत पींगें मारती दिख रही हैं। कई तो सीधे बहिन-महतारी तक उतर आती हैं। हालांकि सूर्य-षष्‍ठी को हुए महीना बीत चुका है, लेकिन इन प्रगतिवादी महिलाओं ने छठ-पर्व और उसके उपासकों के साथ ही साथ पूरे बिहार और बिहारियों को गरियाना बंद नहीं किया है।

मेरी जानकारी में फेसबुक पर छठ-पर्व को लेकर करीब 18-20 औरतें खूब उचकीं। उन्‍होंने ऐसी-ऐसी गालियां दी बिहारी संस्‍कृति को लेकर कि सुनने वालों के कान लाल हो गये। मानो, आज बिहारियों और उनकी औरतों को बर्बाद करके ही मानेंगी। लेकिन अचानक ही जवाब आना शुरू हो गया। आक्रामक प्रगतिशील पत्‍थरों से जिन लोगों के घर के झोंपडों के शीशे चिटके थे, उन्‍होंने सीधे-सीधे बम फेंकना शुरू कर दिया। होना भी था।

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बहंगी लचकत जाए

नतीजा, जो आक्रामक और आक्रमण अंदाज में ताल ठोंक रही थीं, उनमें से कई महिलाओं ने तो झटपट अपना फेसबुक एकाउंट ही डिएक्टिवेट कर दिया, कुछ सन्‍नाटे में ही आ गयीं। जवाब ही नहीं दे रही। किसी ने किसी भी विषय से परहेज रखा है, तो लेकिन कुछ ऐसी भी हैं, जो कमर कसे बैठी हैं। बाकायदा ताल ठोंक रही हैं, गालियां बक रही हैं, और हमला के प्रति-हमलावरों के खिलाफ भी हमला कर रही हैं। एक ने तो लिखा है कि कुछ बिहारी मुझे गालियां दे रहे हैं। मेरी वाल पर अश्‍लील टिप्‍पणी कर रहे हैं। मुझे रंडी करार रहे हैं। खुद तो छठ मइया और स्‍त्री-जाति का उपासक कहलाते हैं, लेकिन मुझ औरत को नंगी गालियां दे रहे हैं। आक्‍क थू।

कोई कहता है चलता फिरता कोठा हो कोई रंडी, कोई कहता है कि रंडी की औलाद हूँ, कोई कहता है विदेशी स्पर्म हूँ जितने मुँह उतने नाम दिए है बिचारो ने वो भी इज्जत के साथ Deepti Singh। थोला छा छिंदूल पिछवाला में भी लगा लेते, तुमली छुहागन भी अमल हो जाती भोछलिके।

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