नदी का भी हाजमा होता है, गंगा का खराब है

मेरा कोना

डॉ भानुशंकर कहते हैं कि मर रही है काशी

: छह हजार साल की उम्र हासिल कर चुकी है जीवनदायिनी गंगा : प्रयोगों ने दीमकों की तरह काशी को चाट डाला : गंगा सूख रही है और साहित्य  भाग कर दिल्ली जा बसा : काशी बस के क्या किया जो घर औरंगाबाद :

कुमार सौवीर

वाराणसी : ( गतांक से आगे ) डॉक्टर भानुशंकर मेहता लीजेंड्री शख्सियत हैं। गंगा, विश्व नाथ, मणिकर्णिका, हरीशचंद्र, बीएचयू जैसी ख्यातिनाम प्रतीक जैसों की सीरीज में दर्ज है डॉक्टर भानुशंकर मेहता का नाम। वे केवल पैथॉलॉजी के ही विशेषज्ञ नहीं है, बल्कि काशी की हर नाडी पर उन्हें महारत है। वे साफ कहते हैं कि रसायनों का गड़बड़ी मिश्रण चाहे बोतल में हो, शरीर में या फिर समाज में, गड़बड़ी तो पैदा करता ही है। वे चुटकी नहीं लेते हैं, बल्कि साफ कहते हैं कि वाराणसी में देवताओं ने अमृत पिया और परिणामस्वरूप निर्वंश हो गये। अब केवल शंकर के ही गण बचे हैं।

…हालातों से बढी आबादी ने काशी को गहरी चोट दी। एक सौ दस साल पहले वाटर वर्क्स ने दो लाख की आबादी के हिसाब से पेयजल की जरूरत के लिए खुद को तैयार किया था। सन 40 तक यही हाल रहा, लेकिन उसके बाद आबादी में एकदम से उछाल आया। चाहे शरीर हो या फिर कोई काशी जैसा नगर, यह कैसे मुमकिन होगा कि आप लगातार उसके साथ अराजकता व्यरवहार करते रहें, और सब सामान्य ही बना रहे। हमारे व्यवहारों के चलते काशी बुरी तरह जर्जर होती जा रही है।

भानुशंकर कहते हैं कि काशी मर रही है। कुछ भी तो नहीं बच रहा। दबाव बढा मगर शहर नहीं फैला। लोग कहते ही रहे कि काशी बस के क्या किया जो घर औरंगाबाद। बनारस का कल्चर पक्के महाल तक ही सिमट कर रह गया। प्रयोगों ने शहर को मार डाला। न आरसीसी की सड़क बची न पटरियां-फुटपाथ। बरसाती पानी के लिए बनी व्यवस्था न जाने कहां लुप्त हो गयी। साहित्य उठ कर दिल्ली भाग गया।

अब जरा एक डॉक्टर की नजर से शहर को देखने की कोशिश कीजिए:- …हर नदी का अपना हाजमा होता है। वह सब कुछ नहीं पचा सकती है। यानी जो गंदगी में हम तेजी से गंगा में समाहित कर रहे हैं, उससे गंगा का हाजमा बुरी तरह खराब हो चुका है। गड़बड़ हाजमा का असर तो पूरे शरीर पर ही पड़ेगा ना। गंगा पहले की 40 फीट की गहराई से उतर कर अब 9 फीट तक बची है। हमने कभी गंगा को घाट छोड़ते नहीं देख-सुना था। पर आज घाट उजाड़ दिखते हैं। आज कौन गंगा जल पीता है? कहां गये तांबे के बर्तनों को भरने वाले पनभरा? चलो, फिर भी रासायनिक प्रदूषण रुके तो सब ठीक हो जाएगा। काशी खत्म हो रही है और उसी के साथ ही छह हजार साल की उम्र हासिल कर चुकी जीवनदायिनी गंगा भी। (समाप्त)

डॉक्टर भानुशंकर मेहता पर प्रकाशित रिपोर्ट के पिछले अंक को देखने के लिए कृपया क्लिक करें:- 6 हजार साल की उम्र हासिल कर चुकी है जीवनदायिनी गंगा

यदि आप वाराणसी की विभूतियों वाली सीरीज को देखना-पढ़ना चाहें तो कृपया क्लिक करें:- लीजेंड्स ऑफ बनारस

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