: शिक्षक, पत्रकार और वकील पहले अपने गिरहबान में झांकें तो बेहतर:
कुमार सौवीर
लखनऊ : दोस्तों,मासूम बच्चियां-महिलाएं के प्रति संवेदनशीलता, पत्रकारों के प्रति समीक्षक-सापेक्ष नजरिया और हरामखोर नेता-अफसर के खिलाफ जेहाद मेरी प्राथमिकता में हैं। स्त्रियों के खिलाफ इधर बढ़ी घटनाओं पर जब मैंने शिक्षक समुदाय की उदासीनता-खामोशी पर कोंचना-खंगालना शुरू किया, तो मेरा भारी विरोध शुरू हो गया। कई ह्वाट्सएप समूह मुझे गाली दे रहे हैं तो कुछ मुझे माफी न मांगने पर मुझे समूह निकालने का अभियान छेड़े हैं। खैर, सच बात यह है कि मैं ऐसे लोगों की परवाह ही नहीं करता हूं। लेकिन क्या आपको नहीं लगता है कि कुत्सित अपराधियों का विरोध करने का तनिक भी साहस आप नहीं जुटा पा रहे। कोई बात नहीं, मैं आपकी स्थिति का अंदाज लगा सकता हूं, कि एक अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता है। इसलिए विरोध का यह झण्डा मैंने मैंने उठाया, आपकी आवाज मैंने बोलना शुरू किया, जो काम नहीं कर पा रहे थे, वह काम मैंने शुरू कर दिया। हमने अपराधियों की दरिंदगी, पुलिस-प्रशासन की संवेदनशील बेशर्मी और आपकी खामोशी-चुप्पी पर हमला शुरू किया। लेकिन दुष्कर्मी भाग गये, पुलिस-प्रशासन ने अपनी पूंछ अपने पेट मेें घुसेड़ कर मामला लीपने-पोतने की साजिश शुरू कर दी, जबकि दूसरी ओर आप लोगों ने मेरी प्रशंसा करने के बजाय, मेरे खिलाफ तेल-पानी लेकर मुझ पर चढ़ाई कर दी। कोई बात नहीं, मुझ पर फर्क नहीं पड़ता। मैं साहसी हूं, आपके ऐसे विरोध से टूटूंगा नहीं, जो सच और गलत में फर्क तक न कर सके। जो काम मेरा स्पष्ट मानना है कि हमारे समाज की मौजूदा बदहालत के लिए शिक्षक, पत्रकार और वकील सीधे-सीधे जिम्मेदार हैं। कारण यह कि यह तीनों ही, दूर के ही सही, लेकिन न्यायपालिका के सगोत्रीय रिश्तेदार हैं। पर हकीकत यह है कि इन तीनों का अपना दायित्व था, जो अब धूल में मिल चुका है। किसी को मेरी बात बुरी लगी हो, तो उसे अपना विरोध दर्ज करने का पूरा अधिकार है। ठीक उसी तरह मुझे भी अपनी बात कहने का पूरा हक है। लेकिन कुछ शिक्षकों ने जुतियाने शब्द पर नाराजगी जतायी, उन्हें यह नहीं दिखायी पड़ता कि शिक्षक क्या-क्या नहीं कर रहे हैं। कुछ वकील साहब मेरे जन्मना-विरोधी हैं। अब मैं आपसे कहता हूं जो कि आपका क्या योगदान है। आपका स्वागत है कि आप मुझ पर खूब गरियाय लीजिए। लेकिन एक बार आप सभी लोग अपने दिल में झांक कर देखिये कि हमारे आसपास शिक्षा और वकालत की हालत क्या है। ऐसे में अगर मैं किसी मरीज की नब्ज पकड़ रहा हूं, तो उसमें किसी को ऐतराज नहीं होना चाहिए। मरीज में मर्ज क्या है, यह नहीं बताया जाएगाा, तो आप को पता कैसे चलेगा कि मामला कितना गम्भीर होता जा रहा है। मैंने वही किया जो करना चाहिए था एक पत्रकार को। मोटरसायकिल की टक्कर में एक मरा, दो घायल। खेत में रंगरेलियां करते दबोचे गये। अपराधी को जेल जाना होगा। न्यायपालिका को मजबूत बनायें वकील। अपराध मुक्त प्रदेश का संकल्प लिया सीएम ने। डीएम ने किया नाली का औचक निरीक्षण। कप्तान ने किया चक्रमण। यह क्या वाकई बहुत बड़ी खबर हैं? लेकिन आप उन्हें प्रसारित करते हैं, पूरे जोश के साथ। यह प्रवृत्ति को क्या नाम दिया जाए? आप पत्रकार हैं तो क्या यह भी नहीं देखेंगे-सोचेंगे कि आपकी प्राथमिकता क्या है? जरा सोचिये कि आप क्या कर रहे हैं? और जब मैं कुछ कर रहा हूंं तो आप मेरी लानत-मलामत करने में जुट गये हैं। कमाल है बेहतर हो कि आप मेरे शब्दों पर ऐतराज करने के बजाय, हालत को समझने और सम्भालने का प्रयास करें। यह मेरा सविनय निवेदन है। कृपया सोचिये-मानिये कि यह सटीक मौका है, इसलिए मैं बाेल रहा हूं। कल न बोलने वाला कोई मिलेगा और न करने वाला। इसीलिए अन्यथा लेने के बजाय, उसे खुले दिल से देखने, समझने की कोशिश करें आप सब। अाप जिले जौनपुर को देख लीजिए। कहाँ एक बच्ची सामूहिक बलात्कार की शिकार हुई, लेकिन प्रशासन ने मामला दबा दिया। जाहिर है कि पत्रकार, वकील और शिक्षक अब कठघरे में हैं हम किस पायदान पर हैं? कितना निर्वीय हो चुका है प्रशासन, समाज और हम सब। आप मुझे अपने समूह से निकालेंगे, क्यों? क्या मैंने अर्जी लगायी थी कि मुझे अपने समूह में शामिल कर लो। तो कर लो। मुझे क्या, मैं आपके समूह या वाल में आइंदा आऊंगा भी नहीं। मैं तो कहने की कीमतें खूब अदा कर चुका हूं, जिन्दगी भर। लेकिन याद रखना, कि तुम मुझे ब्लॉक करते हो तो आधा दर्जन समूह वाले मुझे शामिल कर लेते हैं। और अन्त में। मैं अपना पत्रकारीय दायित्व हर कीमत पूरा करता रहूंगा। आप ग्रुप संचालक हैं, तो आप अपना दायित्व पूरा करते रहें। आपके किसी भी निर्णय पर मुझे कोई भी ऐतराज नहीं, और न ही उसका सम्बन्ध आपसे निजी रिश्तों पर नहीं पड़ेगा। आपको मेरी खबरों को देखने में यदि कोई दिक्कत हो रही हो तो फेसबुक पर मेरी वाल को क्लिक कीजिए, या फिर फॉलो कीजिए, अथवा अपना मित्रता निवेदन भेज दीजिए। https://www.facebook.com/Kumar-Sauvir-869976806371183/?ref=hl