बाप रे ! सेवाआयोग के अफसर ने ही लीक किया परचा

सैड सांग

: आयोग के समीक्षा अधिकारी के कोचिंग सेंटर पर जो सवाल-जवाब सिखाये गये थे, वे ही हू ब हू आयोग की परीक्षा में आये : सवाल यह कि आयोग के अध्‍यक्ष पर अब तक क्‍यों प्रश्रय दिये हुए है जोगी सरकार : सपा सरकार में बड़े अफसरों और नेताओं के बच्‍चों को रेवडी की तरह बांटी थी नौकरी :

मेरी बिटिया संवाददाता

लखनऊ : उप्र लोक सेवा आयोग पूरी तरह नंग-धड़ंग हो चुका है, उसकी बेहूदा कार्यशैली और बेइमानियों के नित-नये सबूत किसी बड़ी नुमाइश की तरह जग-जाहिर होते जा रहे हैं। प्रतिभागियों को नम्‍बर देने में घालमेल, सवालों में गड़बडि़यां, प्रभावशाली लोगों के बच्‍चों को टॉप कराने जैसी कई करतूते हो रही हैं। खुलेआम कोचिंग सेंटरों पर सिखाये गये सवाल और उनके जवाब हू-ब-हू परीक्षाओं में आने लगे हैं। इतना ही नहीं, आयोग के एक समीक्षा अधिकारी ऐसी कोचिंग सेंटर के मालिक-संचालक हैं। लेकिन इसके बावजूद योगी सरकार इस आयोग की नंगई पर दंडित करने के बजाय, आयोग प्रशासन की नंगई को ओढ़-थोप देने की जुगत में है।

कल की ही घटना को देख लीजिये। कल इलाहाबाद में एक सेंटर पर तब हंगामा हो गया जब पीसीएस मेंस परीक्षा में सुबह हिंदी के पर्चे के बजाय शाम को होने वाला निबंध का पर्चा बंट गया। जब इस पर हल्ला हुआ तो दोनों पालियों की परीक्षायें रद्द कर दी गईं। इसी मामले से जुड़ी एक नई खबर आ रही है। खबर है कि आयोग का एक समीक्षा अधिकारी इलाहाबाद में एक मशहूर कोचिंग चलाता है। इस कोचिंग में विशेश तौर पर निबंध और हिंदी की कोचिंग दी जाती है। ऐसा बताया जा रहा है की कल की रद्द हो चुकी परीक्षा में जो हिंदी और निबंध के पर्चे बांटे गये उनमें दिये गये प्रश्न इस अधिकारी की कोचिंग द्वारा दिये गये सैंपेल पेपर्स के सवालों से मैच करता है। मिलता-जुलता नहीं, बल्कि पूरा का पूरा प्रश्न मैच करता है।

ये क्या मात्र संयोग हो सकता है की आयोग का ही एक अधिकारी एक नामी कोचिंग चलाता हो और उस कोचिंग के नोट्स में दिये गये प्रश्न परीक्षा में आये प्रश्नों से हूबहू मिल जायें। और अगर ये सब एक खेल के तहत हुआ है तो क्यूं नहीं योगी सरकार इस आयोग को भंग कर देती है? आखिर क्या मजबुरी है? पिछले चार महिनों से सीबीआई जांच का झुनझुना बजाया जा रहा है पर अब तक इस जांच का कोई निश्कर्ष नही निकल सका है। सीबीआई ने एक एफआइआर भी दर्ज कर रखी है पीसीएस 2015 परीक्षा में धांधली को लेकर पर अब तक कोई गिरफ्तारी नही की गई है। क्या परीक्षा में चयनित बड़े अधिकारियों के बच्चों को बचाने के लिये ही जांच को प्रभावित किया जा रहा है? या फिर जांच में कोई तथ्य निकले ही नहीं हैं और सारे आरोप फर्जी थे? जो भी हो सरकार को अब अपना श्रीमुख खोलकर स्थिति स्पष्ट करनी चाहिये।

आयेग के वर्तमान अध्यक्ष अनिरुद्ध यादव एक छोटे से कस्बे के इंटर कौलेज के प्राचार्य थे और उनको सीधे वहां से उठाकर इतने बड़े ओहदे पर बैठा दिया गया। अनिरुद्ध यादव सपा नेताओं के करीबी होने के अलावा पुराने संघी भी बताये जाते हैं। कहते हैं कि सरकार बदलने पर यादव ने संघ के पुराने संबंध खोज निकाले और अपनी कुर्सी बचा ली। अगर सरकार वाकई ईमानदार है तो इस स्थिति को देखते हुए संविधान में दी गई शक्तियों का प्रयोग करते हुए आयोग के अयोग्य अध्यक्ष अनिरुद्ध यादव को राज्यपाल की शक्ति से निलंबित करा के एक नये अध्यक्ष की नियुक्ति करनी चाहिये जो की किसी विश्विधालय का कुलपति रहा हो या बड़े स्तर का IIT-IIM का प्रोफेसर हो या फिर कोई ईमानदार बड़ा अधिकारी। जब तक ये आयोग की सत्ता दागी व अयोग्य लोगों के हाथ में रहेगी तब तक एसे कारनामे रोज़ होते रहेंगें।

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग- जी हां, ये है देश का सबसे बदनाम, बेशर्म और घटिया चयन आयोग। इस आयोग के बारे में जो कहा जाये कम है। इतनी बदनामी के बाद भी ये आयोग सुधरने का नाम नही ले रहा। अखिलेश यादव की सरकार ने इस आयोग में एसे निकम्मे और दुष्ट लोगों को अध्यक्ष और सदस्य बनाया की उसका परिणाम आज भी परीक्षार्थी भुगत रहे हैं।

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