: एक-समान हैं पत्रकार शिवानी हत्याकांड और अयोध्या का श्रद्धा सुसाइड केस : मानीलाल फरार हैं, दिनेश चंद्र दुबे मौज ले रहे। आशीष तिवारी और अनिल रावत यौन-शोषण में संलिप्त : प्रमोद महाजन की स्वीकारोक्ति के बावजूद पुलिसवालों ने महाजन को सिरे से निर्दोष बताया :
कुमार सौवीर
लखनऊ : क्या गजब संजोग हैं। अयोध्या में पीएनबी की अफसर श्रद्धा और इंडियन एक्सप्रेस की दिल्ली में पत्रकार शिवानी का कहानी आलमोस्ट ठीक ऐसी ही है। शिवानी हत्याकांड के मामले में एनसीआर के एक वरिष्ठ आईपीएस अफसर रविकांत शर्मा पर आरोप लगाये गये, जबकि श्रद्धा ने अपने मृत्यु-पूर्व बयान में फैजाबाद समेत कई जिलों में कप्तान रह चुके आशीष तिवारी और अनिल रावत पर आत्महत्या के लिए प्रेरित करने का आरोप लगाते हुए अपनी जान दे दी है। शिवानी हत्याकांड के मामले रविकांत शर्मा फरार हो गया था, जबकि श्रद्धा के मामले में दो बड़े आईपीएस अफसरों की भी फरारी की आशंकाएं मजबूत होने लगी हैं। वैसे भी यूपी में मानीलाल पाटीदार नाम का एक आईपीएस करीब एक साल से फरार चल रहा है, जबकि पशुचारा घोटाले में फंसे दिनेश चंद्र दुबे पर गम्भीर आरोप होते हुए सरकारी संरक्षण में अब तक गिरफ्तर नहीं किया गया है। चर्चाएं तो चल रही है कि यूपी की पुलिस के कई विभागों के दिग्गज अफसरों ने पुलिस के सारे अफसरों को बचाने के लिए सुरक्षित रणनीति बुन ली है।
तो पहले चर्चा कर ली जाए दिल्ली की पत्रकर शिवानी पर। इंडियन एक्सप्रेस दैनिक में एक खूबसूरत पत्रकार थी शिवानी भटनागर। खूबसूरती के चलते उसके रिश्ते राजनीति, प्रशासन, उद्योगपतियों और पुलिसवालों से भी हो गये। और इन्हीं सारी खासियतों को शिवानी ने अपने पक्ष में खूब भुनाया। लेकिन इन्हीं गुणों के चलते शिवानी बहुत जल्दी ही धाकड़ पत्रकार हो गयी। लेकिन उसकी खूबसूरती, उसके रिश्ते, उसकी धाकड़ता, उसकी पत्रकरिता और उसका जीवन बहुत कम ही दिनों तक जिन्दा रहा। 23 जनवरी-99 को शिवानी अपने दिल्ली अपार्टमेंट में मरी पायी गयी।
मामला हत्या का ही था। इस हत्या में एक बड़े पुलिस अफसर का नाम आया तो दिल्ली पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। लेकिन इसी के साथ एक और बड़े आईपीएस अफसर रविकांत शर्मा की संलिप्तता पायी गयी। सुनते ही रविकांत शर्मा फरार हो गया। जैसे यूपी में पाटीदार और दिनेश चंद्र दुबे जो प्रमोटेड पीपीएस से आईपीएस अफसरी पाये था। इसमें मानीलाल पाटीदार तो अपनी गठरी लेकर लापता हो गया है, जबकि दुबे अपने प्रशासनिक और धंधों के चलते ठाठ से जीन्दगी पूरी कर रहा है। ठीक उसी तरह, जैसे अब फैजाबाद समेत कई जिलों में कप्तान रहा आशीष तिवारी और अनिल रावत। यह दोनों ही आईपीएस अफसर हैं, और शिवानी की ही तरह अयोध्या में पंजाब नेशनल बैंक की वरिष्ठ अधिकारी श्रद्धा ने इन दोनों अफसरों का नाम अपनी आत्महत्या के लिए प्रेरित करने और उसके पहले उसकी जिन्दगी तबाह कर डालने का आरोप लगाते हुए आत्महत्या कर लिया है।
बहरहाल, रविकांत शर्मा पर पचास हजार रुपयों का इनाम लगाया पुलिस ने। ठीक वैसे ही जैसे मानीलाल पाटीदार पर ईनाम लगा दिया यूपी की पुलिस ने। लम्बे समय तक रविकांत शर्मा ही लापता रहा, ठीक उसी तरह जैसे पाटीदार का अतापता नहीं है। लेकिन दोनों पर साफ-साफ चर्चाएं चल रही थीं कि इन दोनों पर बहुत ऊंचे स्तर पर संरक्षण मिला हुआ है। इतना ही नहीं, पुलिस के कई प्रभावशाली अफसर भी उसके पक्ष में पलक-पांवड़े बिछाये हुए हैं। इसलिए ही इन सब का जीवन सुखमय ही चलता रहा। कमाई तो उन सब ने बेहिसाब की हैं, और आज भी उनके धंधे चौचक चल रहे हैं।
ऐसी हालत में श्रद्धा के मामले में योगी सरकार इन कथित दुराचारी आईपीएस अफसरों की करतूत को किस तरह हैंडल करेगी, यह गम्भीर मामला है। खास तौर पर तब, इसके पहले मानीलाल पाटीदार को सुरक्षित फरार बनाये रखने की साजिश और पशुपालन घोटाले में फंसे दिनेश चंद्र दुबे की खुलेआम रंगबाजी और मौज-मस्ती पर अब तक कोई भी अंकुश लगाने की जरूरत न सरकार ने की है, और न ही पुलिस के विभिन्न दिग्गज पुलिसवालों ने।
बहरहाल, शर्मा की पत्नी मधु ने पहले तो इशारा किया कि शिवानी की हत्या में एक बड़े राजनीतिज्ञ का हाथ है, लेकिन इसके बाद अचानक ही मधु ने खुलेआम ऐलान कर दिया कि शिवानी के बेटा का असली बाप कोई और नहीं, बल्कि भाजपा का कुबेर माना जाने वाला प्रमोद महाजन ही है। मधु का कहना था कि शिवानी के बेटे और प्रमोद महाजन के डीएनए की रसायन-जांच होनी चाहिए। दिलचस्प बात तो यह है कि प्रमोद महाजन ने मधु के आरोप को कुबूल कर लिया। लेकिन दिल्ली पुलिस ने बेशर्मी की सारी हदों को पार कर दिया, और प्रमोद व शिवानी के बेटे के डीएनए की जांच कराने में घोटाला कर दिया। मामला ही खत्म कर लिया गया।