: आखिरी बड़े मंगल पर खुद ही हनुमान बन गयीं मंत्री स्वाति सिंह, भक्तों को भोजन के साथ करारे नोट भी बांटे : लगातार चर्चाओं में रहना तो कोई स्वाति सिंह से सीखे : बियर-बार के उद्घाटन से ही चर्चित हुई थीं बसपा-फेम मंत्री :
कुमार सौवीर
लखनऊ : अब तो यह लगने लगा है कि लगातार चर्चाओं में बने रहना यूपी की एक मंत्री का खास शगल बन चुका है। लगातार नये-नये शिगूफों के चलते समाचारों में खास जगह बनाती जा रही इस मंत्री का एक नया शिगूफा सामने आया है। इसके पहले कि वह राजधानी के आशियाना में एक शराब-ठेके वाले से अपनी पूरी सफाई हाईकमान तक पहुंचा पातीं, अचानक वे बजरंग बली के भक्तों के बीच बाकायदा किसी दाता-साईं भगवान का अवतार बन कर सामने आ गयीं। उन्होंने आज भक्तों के बीच प्रसाद ही नहीं, बल्कि प्रसाद के दोना-पत्तल में सौ-सौ के करारे नोट लुटाये। जमकर हुई इस नोट-लुटउव्वर का अभियान सुबह से देर शाम तक चलता ही रहा।
जी हां, यह हैं यूपी सरकार की मंत्री। नाम है स्वाति सिंह। बसपा-फेम महिला हैं स्वाति सिंह।
लेकिन इस मामले को समझने के पहले जरा एक किस्सा सुन लीजिए। हुआ यह कि भाजपा के एक बड़बोले नेता दयाशंकर सिंह की बेअंदाजगी से जब बसपा उन पर भड़क गयी, तो भाजपा ने इस नेता को अपने प्रदेश उपाध्यक्ष पद से ही बर्खास्त कर दिया था। दरअसल दयाशंकर सिंह ने बयान दिया था कि बसपा की सुप्रीमो मायावती पैसों-रूपयों को लेकर ऐसा तोल-मोल करती हैं, कि कोई बाजारू वेश्या तक शर्मा जाए। जाहिर है कि दयाशंकर सिंह मायावती की यह तुलना वेश्या से की, तो बसपा का इस पर भड़का लाजमी ही था।
बयान आते ही नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने मायावती की ओर से भाजपा और दयाशंकर सिंह पर हमला बोला। अरे नसीमुद्दीन सिद्दीकी वही, जो बसपा की नोट-वोट-टिकट के धंधे में फंस गये। नतीजा बसपा सुप्रीमो मायावती ने उन्हें बसपा से बेइज्जत करके बर्खास्त कर दिया। लेकिन इसके पहले सिद्दीकी ने बड़बोले दयाशंकर की बेटी को लेकर बेहद गम्भीर और घिनौनी बातें करना शुरू कर दिया। करीब चार घंटों तक हजरतगंज चौराहे को जाम किये नसीमुद्दीन और उनके चिलाण्डुलों ने वह-वह गालियां बकीं, कि सुनने वालों का कान पक गये।
इस बात पर पहले तो भाजपा सकपकायी, और उसने फौरन ही दयाशंकर के पंख पूरी तरह कतरे हुए उन्हें प्रदेश उपाध्यक्ष से निकाल बाहर कर दिया। लेकिन इसके तत्काल जैसे ही भाजपा को यह अहसास हुआ कि स्वाति सिंह का मामला भुनाया जा सकता है, हाईकमान ने न केवल स्वाति सिंह को चुनाव का टिकट दे दिया, बल्कि जीतने के बाद स्वाति सिंह को मंत्री का पद भी थमा दिया। दरअसल, भाजपा हाईकमान स्वाति सिंह को यह ओहदा देकर बसपा सुप्रीमो मायावती को नीचा दिखाने का प्रदर्शन करना चाहती थी। और यह हो भी गया।
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लेकिन इसके दो महीनों के भीतर ही स्वाति सिंह लगातार विवादों में घिरती जा रही हैं। अभी कोई दस दिन पहले ही वे आशियाना स्थित एक नये बने बियर-बार का उद्घाटन करने पहुंच गयीं। इतना ही नहीं, वे अपने साथ दो अन्य आईपीएस अफसरों को भी बुला ले गयीं, जिनको अपना जिला छोड़ने की इजाजत तक नहीं थी। दरअसल इन दोनों आईपीएस अफसरों ने लखनऊ आने के लिए अपने बड़े अफसरों से इजाजत ही नहीं ली थी। क्योंकि इसकी खबर फैलने के फौरन बाद ही आईजी जोन ने इन दोनों अफसरों से कड़ाई से पूछा कि वे किन परिस्थितियों में लखनऊ आये थे। यह दोनों ही अफसर मियां-बीवी हैं और पत्नी उन्नाव में तथा पति रायबरेली में पुलिस कप्तान के पद पर तैनात हैं। उसी दिन योगी ने भी स्वाति से जवाब तलब दिया कि वे उस कार्यक्रम में क्यों गयीं। स्वाति का जवाब था कि वे बियर शराब की दूकान में नहीं, बल्कि फ्रूट बियर की दूकान का उद्घाटन करने गयी थीं।
इसके बाद वे बिहार के औरंगाबाद स्थित अपनी ससुराल गयीं, और वहां एक महादलित परिवार के साथ भोजन किया।
मगर वहां से लौट कर वे फिर विवादों में आ गयीं। हुआ यह कि लखनऊ में मनाये जाने वाले एक महीना तक चलने वाले बड़ा मंगल के अंतिम दिन आलमबाग स्थित अपने चुनाव कार्यालय के बाहर एक भण्डारा आयोजित किया गया था। इस कार्यक्रम में स्वाति भी पहुंचीं, और उसके बाद उन्होंने उस भण्डारा में आने वालों को प्रसाद के साथ सौ-सौ के करारे नोट भी खूब बांटे। खबर मिलते ही आसपास की मलिन बस्तियों से लोगों की भाााारी भीड़ जुट गयी। लेकिन किसी भी भक्त को स्वाति सिंह ने निराश नहीं किया।
हर पत्तल पर दो पूड़ी, सब्जी, खीर, अचार, और नेग के तौर पर सौ रूपयों वाला बसपाई कलर वाला एक करारा नोट। बताते हैं कि इस पूरे आयोजन के दौरान करीब पचास हजार से ज्यादा पत्तलों पर ऐसा कर्म-काण्ड आयोजित हुआ। सूत्र बताते हैं कि इस पूरे दौरान बेहिसाब खर्च होने के साथ ही साथ अकूत रकम दान-पुण्य के तौर पर इस तरह बांटा-लुटाया गया। सूत्रों के अनुसार कहने की जरूरत नहीं कि यह पूरा आयोजन का सारा खर्चा सूबे के कई तकनीकी विभागों के अफसरों, इंजीनियरों, बाबुओं और ठेकेदारों ने किया था।