भिड़ गयी नर्स, पूंछ दबा भागा बलरामपुर अस्‍पताल का निदेशक

दोलत्ती

: सीतापुर, जौनपुर व मिर्जापुर में सीमाएं तोड रहे हैं अफसर : अपमान  व अभद्रता का विरोध कीजिए, अपराध कम, और हौसले बढने लगेंगे : जीभ-लिंग 3 :
कुमार सौवीर
लखनऊ : (गतांक से आगे)। मैंने शिव-शम्‍भू और दुर्वासा पर केंद्रित चर्चा वाला जीभ-लिंग किस्‍सा शुरू किया तो कई लोगों ने उसे अभद्र, अश्‍लील और बेहूदा करार दे दिया। सभी नहीं, लेकिन कुछ बड़े-बड़े अफसर, नेता, विचारक, लेखक, पत्रकार और सामाजिक क्रांति के झंडाबरदारों ने इस धारावाहिक को लेकर मुझ पर पानी पी-पी कर कोसना शुरू कर दिया। बिना विषय को पढ़े-समझे। बहरहाल, ऐसे लोगों को केवल इतनी ही सलाह देना चाहता हूं कि गुस्‍सा करने के बजाय बेहतर होगा कि वे शिवपुराण और ब्रह्मवैवर्तपुराण बांच लें।
खैर, संक्षेप में एक बार फिर मैं बता दूं कि जीभ-लिंग का किस्‍सा सुनाने का मकसद केवल इतना ही है, ताकि लोग समझ लें कि दुनिया के अधिकांश झंझटों का इकलौता कारण होता है जीभ या फिर लिंग पर नियंत्रण खो देना। आप की जुबान अनियंत्रित हो जाए तो आप गम्‍भीर सामाजिक संकट में फंस सकते हैं, और अगर आपको अपने शिश्‍न पर नियंत्रण नहीं रह पाया है तो वे अपनी बेकाबू यौन आचरण के चलते समाज में गम्‍भीर हालत तक पहुंच सकते हैं।
तो पहले जुबान की करामात को देख लिया जाए। जिह्वा का मतलब इतना ही नहीं, कि हम ने क्‍या और कितना अहंकारी और विध्‍वंसकारी इस्‍तेमाल कर डाला। बल्कि इस पर भी विश्‍लेषण किया जाना चाहिए कि किसी जुबान से निकले शब्‍दों में कितनी मारक या अनर्थकारी क्षमता थी। लेकिन ऐसे शब्‍द, व्‍यंग्‍य, अपमान या अपराध का आप अगर विरोध नहीं करेंगे, केवल अपने ही दिल-दिमाग में ही उस को लेकर अपमानबोध से लिथड़े पड़े रहेंगे, तो फिर आपका अंत हो जी जाएगा। हो सकता है कि आप घटना का जवाब किन्‍हीं कारणों से तत्‍काल नहीं दे पायें। लेकिन आज न सही, कल तो आपको ऐसी घटना को अपने दिल में निकाल बाहर करना ही पड़ेगा। इससे आप खुद पवित्र होकर सहज होने लगेंगे, साथ ही ऐसे घटनाओं को सुन कर दूसरे लोगों को भी एक मजबूत बैरियर मिल जाएगा, जिसके आधार पर आप ऐसा व्‍यवहार रोकने की कोशिश कर सकेंगे। दूसरों को भी बल मिलेगा, और वे ऐसे लोगों का प्रतिवाद करने की क्षमता विकसित करने लगेंगे। प्रतिरोध नहीं होगा, तो अत्‍याचारियों के हौसले बुलंद होने लगेंगे, और प्रतिरोध होगा तो ऐसी घटनाओं पर रोका जा सकेगा।
फिलहाल तो हम आपको स्‍वास्‍थ्‍य विभाग से जुड़ी घटनाओं की गठरी खोलने जा रहा हूं। लखनऊ के विशालकाय और प्रख्‍यात बलरामपुर अस्‍पताल का नाम तो आपने सुना ही होगा। उसके निदेशक हैं पूर्व मुख्‍यमंत्री रहे रामप्रकाश गुप्‍ता के पुत्र डॉ राजीव लोचन। अहंकार से लबरेज। किसी को भी कहीं भी अपमानित कर देना उनकी आदत है। राजनीतिक रिश्‍ते हैं, इसलिए कोई बोलता नहीं, इसलिए राजीव लोचन का हौसला बढ़ता ही रहता है। अभी कोई तीन हफ्ता पहले ही कोरोना संक्रमण मरीजों की जांच के लिए राजीव लोचन ने मोबाइल पर एक फिल्‍म बनवायी। उसी दौरान वे राजीव बदतमीजी पर आमादा हो गये। वहां मौजूद एक नर्स के साथ अनाप-शनाप बकते हुए उन्‍होंने अपने उतारे गये दस्‍ताने उस नर्स की एप्रेन की जेब में घुसेड़ दिया।

महिला कर्मियों से प्रमुख चिकित्‍सा अधीक्षक बोला:- आओ मेरे … पर तेल लगाओ

यह एक कोरोना-योद्धा का अपमान ही नहीं था, बल्कि एक महिला की अस्मिता का भी प्रश्‍न था। नर्स ने इस ऐतराज किया, तो राजीव बदतमीजी पर आमादा हो गया। नतीजा यह हुआ कि नर्स ने हंगामा किया तो पूरे अस्‍पताल का स्‍टाफ उस नर्स के पक्ष में आ गया। राजीव की छुच्‍छी निकल गयी। आनन-फानन निदेशक डॉ राजीव लोचन ने बिना शर्त माफी मांग ली। कहने की जरूरत नहीं कि इस घटना के बाद से किसी भी निदेशक या किसी दूसरे अफसर की इतनी हिम्‍मत नहीं पड़ेगी, कि वह किसी नर्स या किसी अन्‍य कर्मचारी के साथ ऐसी शर्मनाक घटना करने का साहस जुटा पाये।

महिला कौंसलर से चिकित्‍सा अधीक्षक बोले, रात को मेरे घर आया करो

हरदोई में एक काउंसिलर हैं ममता द्विवेदी। ममता का वेतन रोके था अस्‍पताल का अधीक्षक। उसने निवेदन किया, तो बोला:- अकेला ही रहता हूं। रात को कभी आ जाया करो मेरे बंगले पर। सेलरी तो दूर, मालामाल कर दूंगा।
ममला ने कमर कस ली और उस अधीक्षक को औकात में लाकर खड़ा कर दिया। अब हालत यह है कि ममता का सारा बकाया वेतन मिल गया, विभाग में हनक भी बढ़ी।

चिकित्‍सा अधीक्षक ने किया महिलाकर्मी के शील पर हमला, गौरव दयाल के ठेंगे से

एक और घटना सुनाता हूं आपको। जौनपुर के जिला महिला अस्‍पताल में एड्स परामर्शदाता हैं सीमा सिंह। कोरोना संक्रमण को लेकर सरकार ने उनका प्रतापगढ़ और भदोही में क्‍वारंटाइन किये गये लोगों का मनोवैज्ञानिक उपचार करने का दायित्‍व दिया था। इसी बीच एक स्‍थानीय न्‍यूज पोर्टल ने कोरोना को लेकर सीमा सिंह का एक इंटरव्‍यू प्रकाशित कर दिया, तो जौनपुर के जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ राकेश सिंह की अफसरी जाग गयी। राकेश सिंह एड्स परियोजना के प्रभारी भी हैं। उन्‍हें लगा कि उनके कद को छोटा कर देगा सीमा सिंह का यह साक्षात्‍कार। इस पर उन्‍होंने जिले के बड़े अफसरों और स्‍वास्‍थ्‍य विभाग के डॉक्‍टरों और तत्‍सबंधी कर्मचारियों के बीच संवाद के लिए बनाये गये अपने वाट्सएप समूह पर सीमा सिंह पर अपमानजनक टिप्‍पणियां करने शुरू कर दीं।

कोरोना से जंग में डॉक्‍टर का ठेंगा, महिलाकर्मी से बेहूदगी

डॉ राकेश सिंह की यह हरकत एक सरकारी कर्मचारी के प्रति अपमानजनक तो थी ही, साथ ही एक महिला की अस्मिता, गरिमा और सम्‍मान को लेकर भी गहरी चोट दे रही थी। लेकिन आजकल की पत्रकारिता में सबसे बडी दिक्‍कत यह है कि वे वाहवाही वाली खबरों के साथ ही साथ जुगाड़ी-उगाहू वाली खबरों को तो खूब छाप देते हैं, लेकिन किसी अफसर पर सीधा हमला करने में उनकी हिम्‍मत टूटने लगती है।
दोलत्‍ती ने इस मामले को उठाया और डॉ राकेश सिंह की इस करतूत को बिलकुल नंगा कर दिया। नतीजा यह हुआ कि खबर छपने के अगले ही दिन राकेश सिंह ने सार्वजनिक रूप से क्षमा-याचना की।
ठीक ऐसी ही घटना मिर्जापुर के मंडलीय में भी हुआ, जहां के अधीक्षक ने एक काउंसिलर से कहा था कि वेतन तो तब ही मिल पायेगा, जब तुम मेरे लिंग पर तेल-मालिश करोगी।
दोलत्‍ती संवाददाताओं ने उस डॉक्‍टर की जम कर बखिया उधेड़ी। उसके बाद से ऐसी भी हरकत करने का साहस किसी भी अधिकारी की नहीं पड़ी। (क्रमश:)

( पौराणिक गाथाएं को आप खारिज कर सकते हैं, लेकिन उसमें छिपे मर्म को कैसे छिपायेंगे, जो लोगों में साहस भरता है, जोश और स्फूर्ति देता है? शिव और दुर्वासा की कथा इसका सशक्त प्रमाण है। हमने इसी कथा को लेकर यह धारावाहिक श्रंखला बुनी है।
इसके माध्यम से आपके लिए हम एक नया प्रस्‍ताव लाये हैं। आप के जीवन में जो भी कोई खट्टी-कड़वी स्‍मृतियां आपको लगातार कचोटती जा रही हों, आप तत्‍काल उससे निजात हासिल कीजिए। खुद को कुरेदिये, उन घटनाओं को याद कीजिए और उनको सविस्‍तार लिख डालिये। उन घटनाओं को सीधे ईमेल पर भेज दीजिए या फिर वाट्सएप पर भेज दीजिए। आप अगर अपना नाम छपवाना नहीं चाहते हों, तो हमें बता दीजिए। हम आपकी हर याद को आपका जिक्र किये बिना ही प्रकाशित कर देंगे। और उसके साथ ही आपके दिल में छिपा गहरा अंधेरा अचानक समाप्‍त हो जाएगा, और पूरा दिल-दिमाग चमक पड़ेगा। यह लेख-श्रंखला अब रोजाना प्रकाशित होगी। कोशिश कीजिए कि आप भी इस श्रंखला का हिस्‍सा बन जाएं।
हमारा ईमेल है kumarsauvir@gmail.com, आप हमें 9453029126 पर वाट्सएप कर सकते हैं। संपादक: कुमार सौवीर)

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1 thought on “भिड़ गयी नर्स, पूंछ दबा भागा बलरामपुर अस्‍पताल का निदेशक

  1. 🙏
    हृदय से मेरा नमस्कार आपको।
    आपके शब्दों की माला की प्रशंशा और उसमें छुपे संदेशों के लिए मैं निः शब्द हूं। कई बार रोकने के बाद आज मैं स्वयं को रोक नहीं सका और आपको संदेश भेज रहा हूं।
    आप आज के अधजल गगरी वाले पत्रकारों से अलग हैं ऐसा आपकी श्रेष्ठ रचनाओं से झलकता है।
    पुनः आपको सहृदय नमस्कार🙏

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