यह पत्रकारिता है, या पोतन-तौलन ?

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: नागपुर में स्‍वयंसेवक संघ के समारोह में संघ प्रमुख को परम पूज्‍य के तौर पर मान्‍यता दे दी राज्‍यसभा चैनल ने : सरकारी खजाने से संचालित हो रहे इस चैनल ने पैरों तले रौंद डाली पत्रकारिता की सारी मर्यादाएं : सवाल यह है कि किस के इशारे पर संचालित हो रहा है इस सरकारी चैनल में बेहूदगी का यह मंजर :

मेरी बिटिया संवाददाता

नोएडा : “परम पूज्य” सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत “जी” मंच पर मौजूद?? ये हाल हो गया है राज्यसभा टीवी का। आपके-हमारे पैसे से चलता है, पर चिलम नागपुर की भरता है। कभी चैनल की चर्चा भारत का बीबीसी कहते हुए होती थी, क्योंकि सरकार से पैसा लेकर भी सरकार की जगह दर्शकों के प्रति ज़्यादा वफ़ादार था। मोदी लहर एक-एक कर जाने कितनी संस्थाओं को लील गई है। उनमें अब इस Rstv को भी शरीक कीजिए।

यह हालत है राज्‍यसभा चैनल का, जहां सरकारी खजाना लुटा कर अपने आकाओं को बुलंदियों तक पहुंचाने की कोशिशें बुनी जाती हैं। इसी चैनल ने आरएसएस के नागपुर मुख्‍यालय में आयोजित एक समारोह में प्रणब मुखर्जी को आमंत्रित किया, तो इस चैनल ने उस आयोजन का लाइव टेलीकास्‍ट कर दिया। इतना ही नहीं, पत्रकारिता की सारी मर्यादाओं को कुचलते हुए इस चैनल ने जो कुछ भी किया, वह पत्रकारिता के इतिहास में निहायत भद्दा प्रमाणित होगा।

वरिष्‍ठ पत्रकार ओम थानवी ने इस बारे में अपनी वाल पर ऐतराज दर्ज किया है। उनकी इस पोस्‍ट को अब तक दो सौ से ज्‍यादा शेयर दर्ज हो चुके हैं। उधर वरिष्‍ठ पत्रकार संजय कुमार सिंह का कहना है कि चैनल में जब चुन-चुन कर या छांट-छांट कर रखा जाएगा तो यही होगा। इससे चुनने या रखने की शर्त मालूम होती है। जिसके परम पूज्य होंगे वो तो लिखेगा ही। मुझे नहीं लगता कि किसी ने कहा होगा परमपूज्य लिखने के लिए। दरअसल लिखने वाले वही हैं जिनके वो परमपूज्य हैं। यही है पत्रकारिता की दुकान। अफसोस सिर्फ इस बात का है कि ये दुकान सरकारी है और वहां ऐसे लोग पहुंच गए। पर यह सरकारी संस्थाओं को नष्ट करने की कोशिशों का हिस्सा है।

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