अमित शाह से इंटरव्‍यू: सुमित अवस्‍थी मिमियाते रहे, लखनऊ का पत्रकार ललकार रहा है

बिटिया खबर
: जस्टिस लोया की मौत पर उठने वाले सवालों पर भी कुछ सुमित बोलते, तो पत्रकारिता जिन्‍दा हो जाती : अमित शाह के पुत्र का व्यापार किस गणित से इतनी अल्पावधि में इतनी ऊंचाईयों पर पहुंच गया? :

दोलत्‍ती रिपोर्टर
लखनऊ : लखनऊ के एक पत्रकार हैं संजय आजाद। भले ही किसी बड़े अजीमुश्‍शान चैनल या अखबार में न काम कर रहे हों, लेकिन अपने छोटे अखबार के बावजूद उनके तेवर लगातार हमलावर रहते हैं। अभी-अभी एबीपी न्यूज चैनल पर प्रसारित हो रहे शिखर सम्मेलन को लेकर उन्‍होंने अपनी हुंकार भरी। और सुमित अवस्‍थी और उनके एबीपी न्‍यूज चैनल को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया।
हुआ यह कि इस शिखर सम्‍मेलन पर एबीपी न्‍यूज चैनल के सुमित अवस्‍थी भाजपा के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष अमित शाह से सवाल कर रहे थे। लेकिन इस पूरे कार्यक्रम में उन्‍होंने एक बार भी जस्टिस लोया की मौत के बारे में कोई भी सवाल नहीं उठाया। जाहिर है कि यह या तो बिकाऊ मीडिया की करतूत थी, या फिर सुमित अवस्‍थी में इतनी औकात भी नहीं बची होगी कि वे इस बारे में कोई आवाज उठा सकें। लेकिन लखनऊ के पत्रकार संजय आजाद ने इस पर सवाल उठा ही दिया। फेसबुक वाल पर संजय ने पूछा है कि, सुमित अवस्थी जी इनसे जरा ये पूछिए कि जस्टिस लोया को मौत के घाट किसने उतरवा दिया???जरा इस नेता से यह भी पूछिए कि इनके सुपुत्र का व्यापार किस गणित से इतनी अल्पावधि में इतनी ऊंचाईयों पर पहुंच गया??? इसका राजफाश होना ही चाहिए… ताकि घाटे में चल रहे व्यापारी भी इसका लाभ उठा सकें।
संजय आजाद की इस वाल पर अब इस सवाल को लेकर बहस शुरू हो गयी है।
धर्मेन्द्र दीक्षित धर्मदास आपकी सरकार आये तो सी बी आई जाँच करवा लेना भाई।दूध का दूध पानी का पानी हो जायेगा।
Sanjay Azad धर्मेन्द्र दीक्षित धर्मदास जी पत्रकार की कोई सरकार नहीं आयेगी।
धर्मेन्द्र दीक्षित धर्मदास पत्रकार की खुद एक सत्ता होती है चौथा स्तंभ है वो आपकी कलम से सब डरते है भाई मै भी
Sanjay Azad धर्मेन्द्र दीक्षित धर्मदास जी आपने तो अपने छोटे भाई की दिन भर की थकान ही एक ही टिप्पणी में छू मंतर कर दी!!!
सादर साभार अभिनंदन आपका
धर्मेन्द्र दीक्षित धर्मदास भाई जस्टिस लोया की नेचुरल डेथ आपके कहने से हत्या नही हो जायेगी।पत्रकारिता का मतलब ये नही होता है कि हर मुद्दे को लेकर राजनीति करें।
Sanjay Azad वैसे आप भी राजनीति के पक्के खिलाड़ी हो चुके हैं!
चुनावी समर में …जय श्री राम! जय श्री राम!
धर्मेन्द्र दीक्षित धर्मदास नही भाई राजनीति से कोई खास प्रेम नही और मै अपनी भावनाओं को प्रकट करता हूँ बाकी पक्का खिलाड़ी बनाना तो आप जैसे पत्रकारों का काम है।
Sanjay Azad Dilip Tiwari Ji इस तरह मत रोईये वर्ना मैं भी…
अब बस भी कीजिए एक दिन सब ठीक हो जाएगा!
Ajay Raikwar इन गद्दारो से कुछ नहीं होगा ये नेता देश को खोखला कर रहे,सारा का सारा सिस्टम बेकार,देश मे राजनीति जड़ से खत्म होनी चाहिए!
Kumar Sauvir इतनी औकात नही है सुमित में
Sanjay Azad जी भईया बिल्कुल सही फरमाया आपने इन जैसे पत्रकारों की औकात सिर्फ और सिर्फ धन उगाही तक ही सीमित रहती है। तभी तो ये भ्रष्टाचारी बाहुबली नेताओं – नौकरशाहों भू-माफियाओं के आगे घिगियाते रहते हैं। यही नहीं इसी के सहारे अपनी – अपने आकाओं की जेबें भी गरम करते रहते हैं।

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