: बकरीद के दिन अखिलेश ने अपने चाचा शिवपाल को जिबह किया, कल दे सकते हैं इस्तीफा : दो दिनों में जितने भी कर्म-कुकर्म हो सकते हैं समाजवादियों ने मिल कर निपटा लिया : कृष्ण-कालीन द्वापर में यादवों के आपसी संघर्ष का महासंग्राम दोहराया मुलायम सिंह यादव के कुनबे ने :
कुमार सौवीर
लखनऊ : साढ़े चार साल तक यूपी के भयानक संत्रास देने वाली समाजवादी पार्टी अब अपने अन्तर्कलह से भीषण दौर तक पहुंच चुकी है। बेईमानों के खिलाफ जेहाद करने के अखिलेश यादव के अभियान का पहला नश्तर जैसे ही चला, सपा के दिग्गजों में हाहाकार मच गया। गायत्री प्रजापति समेत दो मंत्रियों और उसके बाद मुख्य सचिव दीपक सिंघल को उनके पदों से बर्खास्त करने के अखिलेश यादव के फैसले ने तो मानो सपा में आग ही लगा दी। फिलहाल हालत यह है कि इस हालत को सम्भालने के लिए की गयीं मुलायम सिंह यादव की सारी कोशिशें बेअसर हो चुकी हैं। उल्टे अखिलेश ने शिवपाल सिंह यादव का कद उनके घुटने से दो इंच तक तराश दिया है। सारे अहम विभाग छीन कर शिवपाल को ढक्कन बना दिया गया है। देर रात तक की खबर यह है कि अखिलेश यादव ने राज्यपाल से भेंट करने के लिए समय का अनुरोध किया है। ठीक इसी तर्ज में शिवपाल सिंह यादव ने भी राजभवन से गुजारिश की है। मतलब यह कि सपा की इस आगजनी का मामला कल और तेज भड़केगा।
यूपी आईएएस ऑसिसर्स एसोसियेशन द्वारा बीस साल पहले महाभ्रष्ट के तौर पर पहुचाने गये दीपक सिंघल को जैसे ही मुख्य सचिव हटाने का फैसला अखिलेश यादव ने किया, यूपी की राजनीति में बवंडर मच गया। हालांकि अमर सिंह के दिल्ली आवास पर आयोजित एक चकाचौंध पार्टी में दीपक सिंघल के होने की खबर पाते ही अखिलेश सरकार ने दीपक को उनकी औकात में खड़ा कर दिया, लेकिन इसके बावजूद खबर है कि दीपक सिंघल आज देर रात तक दिल्ली में ही मुलायम सिंह यादव और अमर सिंह के साथ अपनी अगली रणनीति बनाने में जुटे हैं।
आपको बता दें कि कल अखिलेश ने यूपी के कुख्यात खनन माफिया के तौर पर पहचाने गये यूपी के खनन मंत्री गायत्री प्रजापति के साथ ही साथ एक अन्य मंत्री राजकिशोर सिंह को उनके पदों से बर्खास्त कर दिया था। इन दोनों पर आरोप था कि यह लोग बेईमानी और अपराध में संलिप्त हैं। खास तौर पर गायत्री प्रजापति का नाम तो खासी कुख्याति हासिल कर चुका था। लेकिन यूपी में खनन माफियाओं की करतूतों को लेकर तीन दिनों पहले यूपी हाईकोर्ट ने जिस तरह आक्रामक तेवर दिखाये थे, अखिलेश यादव ने उनका नाम अपनी लिस्ट से हटा लेने का मन बना लिया था।
लेकिन इसके बावजूद हकीकत यही थी कि गायत्री प्रजापति के करीबी रिश्ते सीधे मुलायम सिंह यादव से थे। सूत्र बताते हैं कि अखिलेश के इस फैसले से शिवपाल सिंह यादव को मौका मिल गया और उनके लेफ्टीनेंट माने गये दीपक सिंघल समेत कई असरदार लोगों ने अखिलेश के खिलाफ जेहादी रणनीतियां बनाना शुरू कर दिया था1 हालांकि अखिलेश को इस बारे में लगातार सूचनाएं मिल रही थीं, इसलिए उन्होंने दो दिन पहले अपने आवास पर आयोजित एक समारोह में दीपक पर एक तीखी टिप्पणी कर दी थी। बताते हैं कि इसके बाद से ही दीपक की त्योरियां चढ़ गयीं और बीती शाम अचानक ही दीपक ने अखिलेश को विश्वास में लेने के बजाय सीधे दिल्ली पहुंच कर अमर सिंह द्वारा आयोजित एक पार्टी में शिरकत कर ली थी।
बस, अखिलेश ने यह खबर पाते ही अचानक कैंची उठायी और दीपक के पंख तराश दिये।
साथ ही साथ यह संकेत देना शुरू कर दिया कि सरकार के खिलाफ षडयंत्र करने वालों का हश्र भी यही किया जाएगा। इशारा साफ था कि अखिलेश अब शिवपाल की साजिशों को बर्दाश्त नहीं करेंगे। यह संकेत शिवपाल तक पहुंचा तो शिवपाल हत्थे से उखड़ने लगे। मामला गड़बड़ सूंघते हुए मुलायम सिंह ने इस मामले में हस्तक्षेप किया और सरकार के समानान्तर शिवपाल को महत्वपूर्ण ओहदा देते हुए उन्हें सपा का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया। लेकिन अखिलेश किसी घायल शेर की तरह पलटवार करने लगे। मुलायम सिंह यादव के खिलाफ पहली बार एक करारा वार करते हुए आज शाम शिवपाल सिंह यादव के सारे महत्वपूर्ण विभाग छीन लिये हैं।
जाहिर है कि अखिलेश अब अपने विरोधियों से हर कीमत पर भिड़ने को तैयार हैं। भले ही वह उनके चाचा शिवपाल सिंह हो या फिर खुद उनके अपने ही पिता मुलायम सिंह यादव। अखिेलेश के लिए अपना हर विरोधी कट्टर शत्रु ही है, जिससे किसी भी तरह की रहम की गुंजाइश अखिलेश नहीं करेंगे। कम से कम आज की कवायद से अखिलेश ने यह बिलकुल साफ संदेश दे दिया है।