: जी-हिन्दुस्तान की परिचर्चा में दो पढ़ी-लिखी मुस्लिम महिलाओं पर मौलाना काजमी ने तमाचों की बारिश की : रूढिवादी कहने पर इंसानियत के पायजामा से बाहर कूद कर निकल पड़े पर्सनल लॉ बोर्ड के मौलाना : क्या ऐसी हरकतों से मुस्लिम महिलाओं को एकजुट कर पायेंगे इस्लामी झंडाबरदार :
कुमार सौवीर
लखनऊ : अगर मौलानाओं का यही असली इस्लाम है, तो लानत है ऐसे मौलानाओं पर, जो महिलाओं पर भी सरेआम हाथ छोड़ देने पर अपनी मर्दानगी दिखाते हैं। और लानत तो उन लोगों पर भी है इस मौलाना की हरकत को जायज ठहराते हुए धर्मनिरपेक्ष की डगर छोड़ कर सांप्रदायिकता का चोंगा में जा घुसते हैं। सच बोलने वालों को यही लोग उसे बाकायदा ट्रोल-हूट तक कर देते हैं।
मामला है मंगलवार की शाम का। आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना ऐजाज अरशद काजमी जी-हिन्दुस्तान की बहस में आये थे। विषय था बरेली की निदा खान को तलाक समेत कई इस्लामी मसाइल पर मुफ्तियों द्वारा इस्लाम से काफिर करार देने पर बात करना।
इस चर्चा में तीन तलाक की मुख्य याचिकाकर्ता फराह फैज थीं और साथ ही अम्बर जैदी भी मौजूद थीं। चर्चा के दौरान तनातनी शुरू हो ही गयी थी। मौलाना भी अपने पायजामे से बाहर निकले जा रहे थे। अचानक अम्बर जैदी बोलीं कि मौलाना काजमी रूढिवादी हैं।
अम्बर बोलते ही मौलाना ने अपना कट्टर चेहरा दिखा दिया। वे उठ खड़़े़े हुए , और फराह पर उल्टा-पुल्टा सुनाना शुरू कर दिया। हालत भयावह बनने लगी। गालियां शुरू हो गयीं मौलाना की ओर से। आजिज आकर फराह ने मौलाना की बदतमीजी का जवाब एक हल्के से तमाचे से दिया, तो मौलाना का अंहकार उसे सहन नहीं कर पाया। उसके बाद मौलाना ने फराह पर तमाचों की बारिश कर डाली। उनका बाल और चोटी पकड़ कर घसीटा। इसी बीच कई लोग भी जुटे और फिर मौलाना पर तमाचों की बारिश हो गयी। बाद मेंं शिकायत होने पर पुलिस ने मौके पर हस्तक्षेप किया और हमला व हुड़दंग करने के आरोप में मौलाना काजमी को गिरफ्तार कर लिया।
जनसत्ता समेत कई समाचार संस्थानों ने जो भी वीडियो प्रसारित किया है, वह मौलानाओं की शर्मनाक हरकत का नंगा नाच है। और मौलाना साहब, अगर आप यह समझ रहे हों कि इससे इस्लाम पुख्ता हो जाएगा, तो आपकी गलतफहमी है। सच बात तो यह है कि आप की ऐसी हरकतों से मुस्लिम महिलाएं आपके खिलाफ अब घृणा के साथ थूक रही हैं। आपकी सल्तनत अब धूल में मिलने ही वाली है।
खैर, यह तो कहानी-किस्सा चलता ही रहेगा। टीवी चर्चा में ऐसे ही बेहूदों को केवल इसी लिए बुलाया जाता है, ताकि हंगामा हो। जो मंगलवार को फिर हो गया। वह होता ही रहेगा भविष्य में भी।
मैं एक पत्रकार हूं। किसी भी घटना को समग्रता के साथ देखना मेरा पेशा नहीं, मेरा दायित्व और मिशन है। मैं किसी संस्थान या राजनीतिक दल के खजाने से गड्ढियां उगाह कर अपना परिवार नहीं चलाता, बल्कि अपने दायित्व-मिशन को पूरा करने के लिए अपने पाठकों से भिक्षा मांगता हूं, विज्ञापन या चंदा नहीं। यह दीगर बात है कि चंद लोगों को छोड़ कर बाकी लोग मुझे भिक्षा भी नहीं देते।
मगर मुझे आज इस बात का सर्वाधिक दुख है कि खुद को पड़ा धर्म निरपेक्ष लोग साफ देखते-जानते हुए भी मौलाना को क्लीन चिट दे रहे हैं। अगर आपको लगता है कि तमाचों की बारिश की शुरूआत फराह ने की थी, तो भी कोई उज्र नहीं। आप भी तो लगातार उस दौरान अभद्रता और चिल्ल-पों कर रहे थे या नहीं। आप गालियां देंगे, तो महिला तमाचे जड़ेगी ही जरूर। और फिर एक खास बात यह भी कि काजमी जेसे मौलाना को महिलाओं के साथ तमीज से बात करना सीखना ही होगा। वरना आज तो स्टूडिया में हुआ है, कल आप सरेआम भी इसी तरह पीटे जा सकते हैं।
हजरात, मैं आप की इस घिनौनी हरकत को लेकर आप पर लानत फेंक कर मार रहा हूं। इस उम्मीद में, कि शायद आप आपनी करनी पर शर्म आ जाए।