कुमार सौवीर की शुरू से ही नजर थी अदालती कार्रवाई पर
: लेकिन केवल मातहतों के बस का कैसे हो सकता था इतना बड़ा कांड : अब तक परदे में छिपे रहे अफसरों का नकाब नोंचना जरूरी है : अब शायद अब मुंह खोल की हिम्मत कर पायें फांसी पाये लोग : पुलिसिया कार्रवाई पर तमाचा है अदालती फैसला :
लखनऊ : एक डिप्टी एसपी की हत्या के मामले में सीबीआई अदालत ने गोंडा के माधोपुर हत्याकांड में तीन पुलिसकर्मियों को फांसी का हुक्म सुना दिया है, साथ ही पांच अन्य पुलिसवालों को उम्रकैद की सजा दी गयी है। अदालत के इस फैसले से जहां पिछले 31 साल तक शोक-संतप्त रहे परिजनों को सांत्वना मिली है, वहीं यह सवाल भी पूरी शिद्दत के साथ उभर कर आया है कि आखिर क्या यह हत्याकांड केवल छोटे स्तर के पुलिसवालों के बस का था, या फिर उसके पीछे कुछ बड़े अफसर भी शामिल हैं, जो अपने रूतबे और राजनीतिक पैरोकारों के चलते कानून के शिकंजे से बच निकले। ( अगर आप 13 दिसम्बर-1989 को दैनिक जागरण के देश भर के सभी संस्करणों के पहले पन्ने पर प्रकाशित इस खबर को पढ़ना चाहें तो कृपया क्लिक करें )
उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में 31 वर्ष पुराने फर्जी मुठभेड़ मामले में सीबीआई अदालत ने शुक्रवार को एसओ आरपी सरोज, प्लाटून कमांडर रमाकांत दीक्षित और कांस्टेबल रामकरन को फांसी की सजा सुनाई है। इसके साथ ही दारोगा नसीम अहमद, मंगल सिंह, परवेज हुसैन व आरपी सिंह के साथ हेड कांस्टेबल पीएन पाण्डेय को उम्र कैद की सजा दी है। जबकि हेड कांस्टेबल प्रेम सिंह को बरी कर दिया गया। इस दौरान कोर्ट में दिवंगत सीओ केपी सिंह की पुत्री (जिलाधिकारी,बहराइच) किंजल सिंह भी मौजूद थीं।
गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय के आदेश पर जांच में सीबीआई ने 28 दिसंबर 1989 को कोर्ट में आरोपपत्र दाखिल किया था। इसमें 19 पुलिसकर्मी आरोपी बनाए गए हैं। जांच में पता चला कि केपी सिंह की मौत एक सब इंस्पेक्टर से दुश्मनी के चलते हुई, क्योंकि वह सब इंस्पेक्टर के खिलाफ जांच करवा रहे थे। जाँच एजेंसी के मुताबिक वहां पहुंचे पुलिसवालों ने जानबूझकर 12 गांववालों को घर से बाहर घसीटकर गोली मार दी।
आपको बताते चलें कि केपी सिंह हत्याकांड पर कुमार सौवीर जैसे पत्रकारों की निगाह शुरू से रही है। हालांकि शुरूआत में यह यह मामला पुलिसथाने तक ही सिमटा रहा है, लेकिन बाद में केपी सिंह की पत्नी की पैरवी के चलते यह प्रकरण सीबीआई को सौंप दी गयी। आज से ठीक करीब 24 साल पहले यानी 12 दिसम्बर-1989 को सीबीआई अदालती आदेश के बाद प्रदेश सरकार के गृह सचिव ने इस मामले में शामिल पाये गये 19 पुलिसकर्मियों को निलंबित करते हुए उनको तत्काल गिरफ्तार करने के आदेश जारी कर दिये थे। ( अगले अंक तक जारी )
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