: पीलीभीत में मेनका के नाम की दहशत, दलित परिवार गांव छोड़ कर भागा : केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने हरामजादा कह कर दी थी एक दलित को धमकी : अगवा हुई बेटी समेत सारे घरवाले गांव से लापता, शंकरलाल सहारा की भीख मांग रहा : अब तक नहीं दर्ज की पुलिस ने कोई भी रिपोर्ट, जांच का नाटक :
कुमार सौवीर
लखनऊ : चिडि़या फुर्र, जानवर पुच्च-पुच्च, मछली जल की रानी है, कुत्ता प्यारा बच्चा है, जैसे जुमले उछालने वाले मेनका गांधी को तो आपने खूब सुना-देखा होगा। अरे वही मेनका गांधी हो इस समय देश की महिला विकास मंत्री के पद पर आसीन हैं। पूरे देश में उनकी पशु-पक्षियों के प्रति दयालुता का डंका बज रहा है। लेकिन अब मेनका गांधी का एक चेहरा भी सामने आया है, जो उनके महिला विकास मंत्री के चरित्र से ठीक उलट-प्रतिकूल है। अब वह खुलेआम लोगों को हरामजादा कह कर पुकारती हैं और धमकियां देती हैं कि अगर उनका काम नहीं किया गया तो वे तुम्हें तबाह-बर्बाद कर देंगी।
जी हां, यह मामला है यूपी के पीलीभीत का, जहां पिछले दिनों मेनका गांधी ने एक दलित को फोन कर धमकी दी कि हरामजादे, मुकदमा वापस ले ले, वरना मैं तुझे छोड़ुंगी नहीं। तुझे गांव छोड़ना ही पड़ेगा। मेनका गांधी ने धमकी दी है कि पूरा गांव तुझसे परेशान है और अगर तूने गांव के लोगों पर दर्ज कराये गये दलित उत्पीड़न और जान से मार डालने वाले मुकदमे को वापस नहीं लिया तो बहुत बुरा अंजाम होगा। इतना ही नहीं, मेनका गांधी ने इस फोन में धमकी भी दी है कि मुकदमा वापस करने की अर्जी तुम्हें उसी दिन अदालत में लगानी पड़ेगी।
हम आपको बता चुके हैं कि यह पूरा मामला है, एक बार फिर उसे मोटी-मोटा समझ लीजिए। पीलीभीत के एक गांव में 1600 वोट हैं, जिनमें एक सौ वोट धोबी जाति के हैं, बाकी सारे के सारे वोट पिछड़ी जाति से जुड़े लोगों के हैं। सूत्र बताते हैा कि मेनका गांधी की नजर इस गांव के डेढ़ हजार वोटों पर है, जो पिछ़डी जाति के हैं। गांव के एक धोबी शंकर लाल ने गांव के ही एक अन्य व्यक्ति पर मुकदमा दर्ज कराया कि उसके दरवाजे पर कब्जा करने के लिए साजिश कर रहे कुछ पिछ़डी जाति के लोगों ने उसकी पिटाई की और उसे जाति सूचक गालियां देते हुए उसे जान-माल की धमकी दी। यह मामला पुलिस ने दर्ज कर लिया। लेकिन इसकी खबर पाते ही मेनका गांधी ने प्रशासन पर दबाव डाला और अभियुक्तों की गिरफ्तारी से रोक दिया। इतना ही नहीं, शंकरलाल को फोन करके मेनका ने मुकदमा वापस लेने के लिए धमकी दी और उसे हरामजादा कह कर गाली दे डाली।
शंकर लाल पर तो मेनका गांधी की इस धमकी का खासा असर पड़ा कि उसने आनन-फानन अदालत में जाकर मुकदमा वापस करने की अर्जी लगा दी, लेकिन इसी बीच मेनका गांधी और शंकर लाल के बीच हुई बातचीत का फोन-टेप सार्वजनिक हो गया। उसकी भनक लगते ही शंकर लाल पर दबाव पड़ने लगे, धमकियां देने की बौछारें शुरू हो गयीं। इसी से घबरा कर शंकर लाल और उसका पूरा का पूरा परिवार गांव छोड़ कर भाग गया है। पता चला है कि शंकर लाल और उसके परिवार के बाकी लोग अलग-अलग कहीं छिप गये हैं।
लेकिन सदमे की हालत इस पर है खबर पाने के बावजूद पीलीभीत पुलिस ने अब तक उस मामले में कोई भी हस्तक्षेप नहीं किया है। हां, कप्तान मुनिराज इस मामले की छानबीन की बात जरूर कहते हैं।