मौजूद थे 7 लोग, तो मुकदमा केवल तलवार पर ही क्‍यों

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आरूषि कांड: रात में कृष्णा, राजकुमार और विजय देख रहे थे नेपाली टीवी

नई दिल्ली : हेमराज की लाश मिलने के बाद शक की सुई हेमराज के दोस्तों की तरफ घूमी, इसलिए कृष्णा, राजकुमार और विजय मंडल के पॉलीग्राफ, ब्रेन मैपिंग और लाई डिटेक्टर टेस्ट हुए. कृष्णा राजेश तलवार के क्लीनिक में हेल्पर था. राजकुमार तलवार दंपति के मित्रों डॉ. प्रफुल्ल और अनीता दुर्रानी का नौकर था और एक पड़ोसी के घर में काम करने वाला विजय मंडल.

नारको टेस्ट में राजकुमार ने बताया था कि उस रात वह तलवार दंपति के घर पर कृष्णा और हेमराज के साथ शराब पी रहा था. करीब 11.45 से 12 के बीच रात को उन्होंने नेपाली चैनल पर गाने भी देखे. नारको में उसने गाने को गुनगुनाकर भी बताया. सीबीआई की जांच में यह साफ हो गया, जब नलिनी सिंह ने वही गाना उस वक्त अपने चैनल पर प्रसारित होने की पुष्ठि कर दी कि वह तलवार दम्पति के यहां मौजूद था.

सीबीआई ने नलिनी को यह भी बताया कि अगले कुछ दिन में वे हत्यारे को पहचान लेंगे. सीबीआई के इंस्पेक्टर अनुज आर्या ने नलिनी को यह भी बताया कि हत्या वाली रात उस घर में तलवार दम्पति, आरुषि व हेमराज के साथ-साथ बाहर के तीन नौकर भी थे. नलिनी के चैनल पर दिखाए गाने के बाद यह बात पुख्ता हो गई थी कि राजकुमार नारको में सच बोल रहा था.

नलिनी को आईओ ने बताया कि कत्ल की रात घर में 4 नहीं (तलवार दंपति, आरुषि व हेमराज), बल्कि 7 लोग थे. अब सवाल यह है कि फिर कोर्ट को इस बारे में क्यों नही बताया गया? क्यों सीबीआई लगातार यह दावा करती आ रही है कि हर में सिर्फ 4 लोग ही थे? नारको टेस्ट के बाद क्यों इन तीनों नौकरों को सीबीआई ने गवाह या आरोपी नहीं बनाया? अनुज आर्या जब प्रोसिक्यूशन विटनेस की लिस्ट में शामिल था, तो फिर कोर्ट में उसकी गवाही क्यों नहीं हुई? क्यों नारको के नतीजों और बाहर के तीनों नौकरों पर भी जांच करने के बजाय सीबीआई इस मामले में सिर्फ तलवार दम्पति पर ही जांच करती रही?

जब सीबीआई को पता था कि 7 लोग घर में थे, तो फिर वो तलवार दम्पति को ही क्यों हत्या का आरोपी मान रही है?

सितंबर, 2009 में जांच अधिकारी अरुण कुमार को इस मामले से हटा दिया गया. अब जिम्मा सीबीआई की एक नई टीम ने संभाला. सीबीआई की नई टीम ने शक के दायरे में आए दोनों पक्षों, तलवार दंपति और घरेलू नौकरों के खिलाफ जांच के बजाए, नौकरों के खिलाफ जांच को ठंडे बस्ते में डाल दिया. लेकिन नलिनी सिंह के इस खुलासे के बाद सीबीआई की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. यानी अगर कोर्ट में नलिनी सिंह की गवाही होती है, तो सीबीआई की अब तक की जांच से असंतुष्ठ होकर कोर्ट दोबारा जांच के आदेश दे सकती है. अदालत यह भी पूछ सकती है कि आखिर सीबीआई ने नलिनी सिंह से 2008 में की गई जांच की जानकारी कोर्ट को क्यों नहीं दी? यानी सीबीआई पांच साल में जांच के बाद जो साबित कर रही है कि घर में 4 लोग थे, 2 की हत्य़ा हुई और दो (तलवार दम्पति) इसमें दोषी है, उन तर्क की पूरी जमीन ही धंस सकती है.

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