महिलाओं के गले में जूतों की माला, 32 वर्ष पहले बोया था जहर

सैड सांग

इटावा : संतोषपुर इटगांव में जातीय विद्वेष की घटना की नींव तो 32 वर्ष पहले विधानसभा चुनाव के दौरान पड़ गई थी। तबसे अब तक किसी न किसी मुद्दे पर दोनों के बीच टकराव होता आ रहा। मंगलवार को यहां लड़की भगाने के मामले में एक जाति विशेष की महिलाओं तक को अपमानित कर जूतों की माला पहना गांव में घुमाने की घटना इसी वैमनस्यता का नतीजा है। पुलिस का रवैया भी चिंताजनक है। एसएसपी के आदेश के बाद भी पीड़ित चंद्र महेश भटेले की एफआईआर तक दर्ज नहीं की गई। अब वह कहते हैं कि दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई होगी।

दरअसल, संतोषपुर इटगांव ही नहीं, आसपास के क्षेत्रों में भी जातीय विद्वेष की भावना पहले से ही सुलग रही। यह गांव शहर से जुड़ा होने के साथ ही जसवंतनगर विधानसभा क्षेत्र में आता है। यहां से पहले कभी सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव चुनाव लड़ते थे। बाद में उनके अनुज शिवपाल सिंह यादव चुनाव जीतते आ रहे। भुक्तभोगी चंद्र महेश भटेले ने बताया कि ंवर्ष 1980 में कांग्रेस से बलराम सिंह यादव चुनाव लड़े थे। उनके तत्कालीन प्रतिद्वंद्वी (वर्तमान में सपा प्रमुख) मुलायम सिंह यादव थे। तब मुलायम सिंह यादव को पराजय मिली थी। उस चुनाव में यहां एक जाति के लोगों ने बलराम सिंह को खुला समर्थन दिया था। यह चुनाव ही दोनों जातियों के बीच ऐसी दरार पैदा कर गया कि करीब 32 साल में यह खाई बन गई और पटने की जगह चौड़ी होती गई। नतीजन खेत जोतने से लेकर अन्य छोटे बड़े मसलों में दोनों के बीच टकराव होते आ रहे। एक को तो आज तक राजनीतिक छतरी मिली हुई है।

चंद्र महेश की पत्नी उमा ने बताया कि वह सिर्फ इसलिए बच गई थीं कि वह इस दुस्साहसी घटना को भांप घर छोड़कर खेतों की तरफ भाग गई। भटेले ने यह भी बताया कि लड़का सत्यम उर्फ दिनेश त्रिपाठी व लड़की प्रियंका दोनों बालिग हैं और स्नातक के छात्र-छात्रा हैं। प्रियंका मतदाता भी है। उन्होंने सवाल उछाला कि किसी घटना की सजा गांव में रह रहे एक जाति के मुट्ठीभर सारे लोगों को क्यों दी गई। साथ ही कहा कि पुलिस का रवैया शुरू से ही गड़बड़ रहा वरना इतनी बड़ी घटना को इतने हल्के ढंग से नहीं लिया जाता और मेरी तो एफआईआर भी नहीं लिखी गई, जबकि वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने मुकदमा लिखने का आदेश दिया था। हालांकि पीड़ित के इस आरोप पर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक राजेश मोदक डी राव भी अचंभित हैं। एसएसपी ने कहा कि वह पता करेंगे कि भटेले की एफआईआर क्यों नहीं दर्ज की गई।

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