: यूपी भाजपा की बटलोई में पहला चावल अगर शाहजहांपुर को माना जाए, तो भाजपा में टिकट-बंटवारा का बंटाधार : छह में से चार सीटों पर भाजपा ने दीगर दलों से भाग कर आये लोगों को थमाया : बहुत कमजोर है शाहजहांपुर में भाजपा की जमीनी हकीकत :
कुमार सौवीर
शाहजहांपुर : चुनाव में पाला-बदल कर भगदड़ में एक-दूसरे दलों से लोगों की हरकतें जहां सींग समाने की शैली में होती है। दूसरे दलों से उपेक्षित, टिकट न पाये, पराजित, लतिहाये लोगों का अपना दल छोड़ कर दूसरे दल में भाग कर जाना और फिर निष्ठाओं को बदल कर उनकी ढफलियां बजाना कोई अनोखी बात नहीं है। हर दल में यही सब होता है। भाजपा भी इससे अलग नहीं है। लेकिन इस बार पहली बार ऐसा हुआ है कि भाजपा की ओर भगेड़ुओं की तादात को टिकट के लिए बाकायदा 30 फीसदी की सीलिंग घोषित तौर पर बांध दी गयी है। लेकिन इससे भी ज्यादा चौंकाने वाली घटना इस बार पहली बार ऐसी हुई है कि सीलिंग बांधने के बावजूद भाजपा नेतृत्व ने खुद ही अपनी सीलिंग को ढाई गुना तक ज्यादा तोड़ डाला है।
जी हां। यही हकीकत है। इसे समझने के लिए आपको यूपी में पकते भाजपा के चुनावी-भगौने की हालत को परखने के लिए आप को सिर्फ एक जहमत उठानी पड़ेगी। ज्यादा नहीं, सिर्फ शाहजहांपुर को नमूने के तौर आपको अपनी उंगलियों से दबाना होगा, उसके बाद ही आपको भाजपा नेतृत्व अहसास हो पायेगा कि दूसरे दलों में अपने और अपने लोगों को टिकट न मिल पाने की हालत से बगावत कर अपने दल छोड़ से भाग कर भाजपा में अपना-अपना तम्बू तान कर पांव पसार चुके लोगों का दबदबा सर्वोच्च हो चुका है।
ऐसे भगौडों को अपने गले लगाने और उन्हें विधानसभा की राह मजबूत कराने के लिए टिकट देने वालों के लिए नेतृत्व ने जो 30 फीसदी टिकट आरक्षित कर दिये थे, दरअसल कई इलाकों में 70 फीसदी तक पहुंच चुके हैं। शाहजहांपुर इस मामले में सर्वोच्च पायदान पर पहुंच चुका है।
गौरतलब है कि शाहजहांपुर की पहचान सात बार विधायक रहे सुरेश खन्ना से, साध्वी चिदार्पिता से बलात्कार करने वाले स्वामी चिन्मयानन्द से और जांबाज पत्रकार जागेंद्र सिंह की हत्या की साजिश करने वालेे प्रदेश सरकार के मंत्री राममूर्ति वर्मा से है।
आपको बता दें कि शाहजहांपुर की छह सीटों में से इस बार भाजपा के केवल दो नेताओं को ही टिकट मिल पाया है। बाकी चार अन्य सीटों पर भगोड़े नेताओं-टिकटार्थियों के सिर पर सेहरा बांधा गया हे। हैरत की बात तो यह है कि इनमें से कम से कम दो लोग तो कांग्रेस से वाया बहुजन समाज पार्टी होते हुए भाजपा में पधारे हैं। कहने की जरूरत नहीं कि इन लोगों को कांग्रेस में अपना राजनीतिक सफर मजबूत करने की राह कमजोर, निर्बल और निराशाजनक लगी तो वे बहुजन समाज पार्टी की गोद में दुबक गये। लेकिन जब ऐन वक्त पर बसपा ने उन्हें लतियाना शुरू कर दिया, तो यह लोग सीधे भाजपा के गले में लग गये।
भाजपा ने ऐसे लोगों को निराश नहीं किया, और उन सभी को टिकट दे दिया। लेकिन इन दलबलुओं को सम्मानित करने के चक्कर में भाजपा ने भाजपा के निष्ठावान नेताओं की गर्दन हलाक कर दिया, जिन्होंने जीवन भर भाजपा की नींव मजबूत की, लेकिन ऐन वक्त पर उन्हें ठेंगा ही थमाया दिया। हालांकि इस बारे में कुछ प्रेक्षकों की राय है कि इन भाजपाइयों में क्षमता ही नहीं थी कि वे चुनाव में अपना कद साबित कर पाते।
बहरहाल, शाहजहांपुर से सात बार विधायक रहे भाजपा के सुरेश खन्ना फिर आठवीं बार चुनाव मैदान में हैं, जबकि जलालाबाद से मनोज कश्यप भी भाजपा से हैं। बाकी कांग्रेस से आये कटरा के वीर विक्रम सिंह, तिलहर के रोशन लाल, पुआयां के चेतराम और ददरौल के भी अब भाजपा चोला में घूम रहे हैं।