यौन-हिंसा से व्याथित राष्ट्रपति बोले: फिर तय हों नैतिक मापदंड
कोलकाता : देश में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हाल की नृशंस यौन हिंसा से दुखी राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने रविवार को कहा कि देश के नैतिक मापदंड फिर से तय करने की जरूरत है।
राष्ट्रपति जादवपुर विश्वविद्यालय में एक सभा को संबोधित कर रहे थे जहां उन्होंने नोबल पुरस्कार सम्मानित रवींद्र नाथ टैगोर की कृतियों के डिजीटल संग्रह ‘बिचित्रा टैगोर ऑनलाइन वैरियोरम’ का अंग्रेजी और बांग्ला रिपीट बांग्ला में शुभारंभ किया।
यह वेबसाइट टैगोर के 150 वीं जयंती समारोह के अवसर पर विकसित की गयी। मुखर्जी ने आश्चर्य प्रकट किया कि छात्र के तौर पर उन्हें यदि ये सुविधाएं उपलब्ध हुई होतीं तो वह (न जाने) कहां होते? उन्होंने कहा, ‘जब मैं (अपने आसपास) देखता हूं तब यह पता करने का प्रयास करता हूं कि हमारे नैतिक मापदंड हमारी सभ्यता के अभ्युदय के दिनों से (अब) कहां पहुंच गए जिससे हमने सीखा कि माताओं का सभी लोगों द्वारा सम्मान किया जाना है।’
उन्होंने लोगों से कहा कि महिलाओं की मर्यादा अलंघ्य है लेकिन ‘जब अपने आसपास देखते हैं तो क्या हम अपना सिर उंचा कर सकते हैं?’ मुखर्जी ने कहा, ‘यह हमारे लिए बिल्कुल ही सही वक्त है कि हमारा उच्च नैतिक मापदंड हो और जैसा कि टैगोर ने कहा, ‘हमें नैतिक मापदंड को फिर से तय करना चाहिए।’।’
मुखर्जी ने कहा कि सभ्यता की दिशा कभी भी किसी शक्तिशाली सम्राट, तलवार या बंदूक द्वारा तय नहीं की गयी बल्कि विचारवान, दूरद्रष्टा, प्रेम और करुणा के पुजारियों द्वारा तय की गयी। मुखर्जी ने कहा, ‘समसामयिक इतिहास की दिशा हिटलर की भूरी कमीज, मुसोलिनी की काली कमीज और स्टालिन की लाल कमीज द्वारा तय नहीं बल्कि बिना कमीज वाले शख्स – महात्मा गांधी द्वारा होने जा रही है।’