‘बीवी मांगे मोर’। हिंदू मैरिज एक्ट बड़ा झंझटी है यार

बिटिया खबर

जब सम्पत्ति पर बात शुरू हुई तो बाप बन गये मर्द

: कैबिनेट में ही भिड़ गये केंद्र सरकार के दो अहम विभाग : लगे बोलने कि शादी और उसके नुकसान पर क्या असर पड़ेगा इस कानून से : औरत को हमेशा औरत ही बनाये रखना चाहता है नेतागण :

नई दिल्ली : विपक्ष की बात तो दूर, इस मामले पर दो मंत्रालय तो खुद ही आमने-सामने आ चुके हैं। हिंदू मैरिज एक्ट में प्रस्तावित संशोधन लोकसभा में पास हो चुका है, लेकिन राज्यसभा में अटकने के बाद इस पर विचार के लिए कैबिनेट के पास भेजा गया. लेकिन यहां भी सहमति नहीं बनी. अब ये बिल मंत्रियों के समूह के पास जाएगा. इससे पहले ही इसे लेकर विवाद खड़ा हो गया है. विवाद है इस कानून के बनने के बाद शादी और परिवार  के ढांचे को होने वाले नुकसान को लेकर.

बहस के मुद्दे कई तमाम है, मगर हर सवाल पर जवाब अलग-अलग. यही असहमति बनी बिल को लेकर अगर कैबिनेट की बैठक बेनतीजा खत्म होने की वजह. कानून मंत्रालय की दलील है कि तलाक के बाद पत्नी को पति के शादी या शादी से पहले अर्जित की गई जायदाद में हिस्सा मिलना चाहिए. इसके साथ पत्नी को पति के पुश्तैनी जायदाद में भी हिस्सा मिलना चाहिए.

इसपर महिला एंव बाल विकास मंत्रालय की दलील है कि पति की पुश्तैनी जायदाद से उस प्रॉपर्टी को अलग रखा जाए, जो शादी से पहले खरीदी गई हो. लेकिन इस बारे में लोगों की राय में खासा फर्क है। लोगों का मानना है कि इस एक्टज से हमारे समाज के परिवारिक ढांचा पर खासा प्रभाव पड़ेगा। लेकिन सवाल सिर्फ पुश्तैनी जायदाद की परिभाषा का ही नहीं,

कई और पेचिदगियों का भी है. इससे सबसे पहले प्रभावित होगा परिवार का ढांचा, जबकि तलाक का मसला सीधे तौर पर पति-पत्नी के बीच का है. जानकारों की दलील है, कि पति-पत्नी के विवाद में अगर पुश्तैनी जायदाद कई हिस्सों में बंटती है, तो मां-बाप जीते जी अपनी प्रॉपर्टी बच्चों के नाम नहीं करेंगे.

नए प्रावधान का दूसरा खतरा है तलाक की घटनाओं में बढ़ोत्तरी का. जानकारों की नजर में अब तक आपसी विवाद तलाक की वजह बनते रहे हैं, लेकिन नए कानून के बाद पूरे जायदाद में हिस्सेदारी बड़ी वजह बन सकती है. ऐसी राय सरकार के अंदर ही कई लोगों की है. इसे लेकर विपक्ष के तेवर भी समर्थन में नहीं दिख रहे. इनकी नजर में इस कानून के जरिए सरकार लोगों को असल मुद्दे से भटकाने की कोशिश में है.

अब आइये उन लोगों की राय पर, जो विरोधियों को सरकार की मंशा पर शक कर रहे हैं। बिल का विरोध करने वालों को दलील है, कि सरकार की मंशा अगर साफ होती, तो वो तलाक की शर्तों को और सख्त कर सकती थी. हालात के मुताबिक महिलाओं को मुआवजे की राशि बढ़ाने की सिफारिश कर सकती थी. हिंदू मैरिज एक्ट में अब तक जो प्रावधान था उसके मुताबिक तलाक के बाद पत्नी को पति संपत्ति में आधा हिस्सा मिलता है. इसके अलावा गुजर बसर के लिए नकद मुआवजे का प्रावधान है. इसमें पुश्तैनी जायदाद को जोड़कर कौन सा समाधान निकालना चाहती है सरकार.

जो कानून मंत्रालय इस बिल की वकालत कर रहा है, उसे भी पता है, पुश्तैनी जायदाद पर हक को लेकर अलग कानून है. पिता के बाद पुश्तैनी जायदाद पर बेटे बेटियों का होता है. ऐसे में बहुओं की हिस्सेदारी से जायदाद की जंग में एक नया पेच और जुड़ जाएगा. बिल का आखिरी मसौदा तैयार करने से पहले सरकार को इस पहलू को भी नजर में रखना होगा.

यदि आप इस पूरे विवाद को देखना चाहें तो कृपया क्लिक करें:- शादियां स्वर्ग में, और नर्क में रहती है औरत

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