टूटी टांग से घिसटते चींटों जैसे हैं देश के महिला आयोग

बिटिया खबर

: देश भर की महिला आयोगों का सेमीनार सम्‍पन्‍न : सर्च और मुकदमा दर्ज करने के अधिकार बिना आयोग बेमतलब: आयोगों के फैसलों की अपील हाईकोर्ट करने की मांग : केवल सिफारिश एजेंसी बन गये हैं महिला आयोग :

नई दिल्ली : महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराधों और अत्याचारों के मद्देनजर देश भर के महिला आयोग अपने अधिकारों में इजाफा चाहते हैं। आयोगों का मानना है कि उनका मौजूदा स्वरूप और इसके तहत उन्हें दिए गए अधिकार इतने बड़े पैमाने पर महिलाओं की समस्याओं से निपटने के लिए नाकाफी हैं।

राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) की तरफ से आयोजित दो दिन की संवाद बैठक में राज्य के महिला आयोगों ने ये मांगें रखीं। बैठक का शुभारंभ लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार ने किया था। इस दौरान ज्यादातर आयोगों ने माना कि उनकी भूमिका सिर्फ एक सिफारिश करने वाली एजेंसी की रह जाती है। उनकी बात पर न तो सरकार और प्रशासन पूरी तवज्जो देता है और न ही आम लोग गंभीरता से लेते हैं। ऐसे में आयोगों की मांग है कि उनकी ताकत बढ़ाई जाए। आयोगों का कहना है कि उन्हें मॉनिटरिंग, सर्च वॉरंट, मामला दर्ज करने जैसे अधिकार मिले।

आयोगों की यह भी मांग है कि ऐसी व्यवस्था हो कि जिससे उनके द्वारा लिए गए फैसलों की अपील सीधे हाई कोर्ट में हो सके। गौरतलब है कि कई बार आयोगों की तरफ से लोगों को नोटिस या समन जाते हैं, लेकिन उनका पालन न होने पर आयोग उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर पाता। आयोग की मांग है कि ऐसी स्थिति में उसके पास उक्त व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज करने का अधिकार होना चाहिए।

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