बांबे एसिड कांड: प्रीति की हालत नाजुक, एक आंख की रौशनी खत्म

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

तेजाबी हमले से मुंह भी चोक हो चुका, बोलना नामुमकिन

: आखिर कौन है एसिड हमले का शिकार प्रीति का गुनाहगार : मौजूद लोग चाहते तो पकड़ा जा सकता था हमलावर : प्रीति लिख कर पूछ रही है:- मैंने उसका क्या बिगाड़ा था, मैंने तो उसे देखा तक नहीं : मेडिकल कालेज में लेफ्टिनेंट बनने पहली बार मुम्बवई जा रही थी प्रीति : अब तक उसके इलाज का खर्च तक  नहीं अदा किया जा सका : न रेल ने और न ही किसी और एजेंसी ने भी कोई मदद नहीं की :

नई दिल्ली: मुंबई के बांद्रा टर्मिनस पर एसिड के हमले का शिकार हुई 25 साल की लड़की प्रीति की हालत नाजुक बनी हुई है. उसकी एक आंख की रोशनी पूरी तरह चली गई है. एसिड मुंह में जाने की वजह से वो बोल भी नहीं पा रही है. इस खौफनाक वारदात के दूसरे दिन भी मुंबई पुलिस खाली हाथ है. पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज की मदद से आरोपी का स्केच जारी किया है लेकिन गुनहगार उसकी पकड़ से बाहर है.

प्रीती मुंबई में नेवी के अस्पताल में नौकरी के लिए अपने अप्वाइंटमेंट लेटर के साथ मुंबई के बांद्रा टर्मिनस पहुंची थी लेकिन दरिंदे ने उसे पहुंचा दिया मसीना अस्पताल के आईसीयू में. प्रीती पर एसिड से हमला करने वाले शख्स का स्केच मुंबई पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज की मदद से तैयार किया है. सीसीटीवी फुटेज के मुताबिक एसिड फेंकने के बाद आरोपी मौके से भाग गया.

परिवार के मुताबिक अगर लोग चाहते तो हमलावर मौके पर ही पकड़ा जा सकता था. मौसा को शक है कि उन्होंने आरोपी को वापी और बड़ौदा में उसी सफेद बोतल के साथ ट्रेन के बाथरूम के पास देखा था. दो मई को सुबह करीब आठ बजे प्रीति और उसके परिवार के तीन सदस्य दिल्ली से आने वाली गरीब रथ से बांद्रा टर्मिनस के प्लेटफॉर्म नंबर दो पर पहुंचे थे. वो अपना सामान ही उतार रहे थे कि जब एक शख्स तेजी से उनकी ओर बढ़ा और उसने प्रीति की ओर सफेद डिब्बे में भरा हुआ एसिड उछाल दिया. घटना वाले प्लेटफॉर्म पर कोई सीसीटीवी काम नहीं कर रहा था. पुलिस ने दूसरे प्लेटफॉर्म की मदद से स्केच तैयार किया है.

एसिड से हुए हमले ने प्रीती चेहरे और दाईं आंख को जला दिया. बताया जा रहा है कि उसकी दाईं आंख की रोशनी भी चली गई है. अचानक हुए हमले में एसिड प्रीती मुंह भी चला गया जिससे उसका गला भी अंदर तक जख्मी हो चुका है. प्रीती अब अपने दिल की बात लिख कर ही बता पा रही है. कभी वो लिखती है, “मैं आप लोगों को बुलाउंगी कैसे अगर रात को मुझे कुछ जरूरत हुई. मैंने उसका क्या बिगाड़ा था, मैंने तो उसे देखा तक नहीं. मैं किस हॉस्पिटल में हूं. विजिटिंग आवर्स क्या हैं.”

प्रीती अब बोल नहीं पा रही है. 25 साल की प्रीती एक नई जिंदगी शुरू करने मुंबई पहुंची थी. उसे मुंबई के कोलाबा में आर्म्ड मेडिकल कॉलेज के अश्विनी हॉस्पिटल में बतौर लेफ्टिनेंट नौकरी शुरू करनी थी. देश भर की 15 हजार लड़कियों के बीच उसे सेलेक्शन मिला था. ज्वाइनिंग की आखिरी तारीख तो 15 मई थी लेकिन परिवार उसे 2 मई को ही मुंबई ले आया था.

लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था. प्रीती ही नहीं बांद्रा टर्मिनस पर एसिड से हुए हमले में प्रीती के पिता अमर सिंह राठी और मौसी सीमा भी बुरी तरह जख्मी हुए हैं. हमले में जख्मी हुई एक दूसरी महिला यात्री को बांद्रा के भायखला अस्पताल में इलाज के बाद डिस्चार्ज कर दिया गया है. प्लेटफॉर्म पर मौजूद निशान और कपड़े का जला हुआ टुकड़ा बता रहा है कि एसिड से किया गया हमला कितना खौफनाक था, लेकिन परिवार का आरोप है कि रेलवे प्रशासन और पुलिस ने वो नहीं किया जो उसे करना चाहिए था.

इसी साल एसिड फेंकने की खौफनाक वारदातों को रोकने के लिए नया कानून बना था जिसके मुताबिक हर अस्पताल के लिए पीड़ित का मुफ्त इलाज करना जरूरी बना दिया गया है लेकिन परिवार वालों के मुताबिक ऐसा नहीं हो रहा है. परिवार का आरोप है कि मसीना अस्पताल ने उनसे पैसे का इंतज़ाम खुद करने के लिए कहा है. रेलवे ने सिर्फ 5000 रुपये की मदद की पेशकश की थी जिससे परिवार ने लौटा दिया.

प्रीती के इलाज का बिल 75 हजार से ऊपर पहुंच चुका है लेकिन उसे किसी से मदद नहीं मिल रही है. तेजाब फेंकने जैसी खौफनाक वारदात के लिए दोषी को 10 साल की कैद और 10 लाख रुपये का जुर्माना हो सकता है. इस कड़े कानून के बाद भी क्या हुआ?  प्रीती नई जिंदगी शुरू करने से पहले ही खौफनाक एसिड अटैक का शिकार बन गई. ( एबीपीन्‍यूज)

 

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