बहनों ! हम शर्मिंदा हैं: पाकिस्तान वीमेंस फोरम

सैड सांग

पाकिस्तानी फौजों ने किया 2 लाख बर्बर बलात्कार

: बांग्लादेश के आजादी आंदोलन की याद में विशेष : स्तन काटे, जननांगों में संगीन घुसेड़कर मारा गया : चंद महीनों में ही रौंद डाली गयी थीं बांग्ला अस्मिता :

बांग्लादेश की दो लाख से ज्यादा महिलाओं के साथ बर्बर बलात्कार हुआ। और यह किया उनकी ही पाकिस्ता‍नी फौजों के जवानों ने। समय लगा केवल 3 महीना और इतने वक्त में ही पाकिस्तानी फौजों ने दरिंदगी की हर सीमाएं पार कर लीं। राजधानी ढाका समेत बांग्लादेश के सुदूर क्षेत्रों तक में यह हौलनाक हादसे हुए। ज्यादातर मामलों में तो यह हादसे दिनदहाड़े और सरेआम हुए। नृशंसता की सीमाएं तोड़ते हुए महिलाओं के खिलाफ यह कार्रवाइयां उनके ही पिता, भाई, पति, बच्चों और पड़ोसियों के भी सामने हुईं। इन बर्बर पाकिस्तानी फौजों ने बांग्लादेश की महिलाओं के साथ केवल सामूहिक बलात्कार ही नहीं किया, उनके उरोजों को काट डाला, जननांगों पर संगीन घुसेड़ दी गयीं। ज्याहदातर मामलों में तो यह महिलाएं अपने पर हुए अत्याचार को सहन ही नहीं कर पायीं और दम तोड़ दिया।

लेकिन अब पाकिस्‍तानी महिलाओं ने उस हादसे पर शर्म प्रदर्शित करते हुए क्षमा मांगी है। पाकिस्‍तानी महिलाएं बोलीं हैं कि:- आज चालीस साल के बाद तो कम से कम पाकिस्तानी और फौज को इतनी शर्मिंदगी तो दिखानी ही चाहिए कि वे बांग्लादेश की आजादी के आंदोलन में अपनी अमानवीय और नृशंसता पर अपना सिर हमेशा-हमेशा के लिए झुका लें। वह भी बिना-शर्त। सन-1971 के दौरान बांग्लादेश के आंदोलन को लेकर बर्बर हिंसा का जो नंगा नाच पाकिस्तान और फौजों ने बांग्लादेश में किया था, वह लोकतंत्र, मानवीय अधिकार और आत्मानिर्णय के उनके अधिकारों पर हनन को लेकर ऐसा शर्मनाक चेहरा बन चुका है, जो आने वाली सदियां हमेशा हम पर थूकती ही रहेंगी। यह भी तब जब पाकिस्तान यह दावा करता रहा है कि वह मानवीय मूल्यों का हिमायत करता है। लेकिन बांग्लादेश की घटनाओं ने पाकिस्तान देश को ही नहीं, बल्कि हम सारी पाकिस्तानी महिलाओं को बुरी तरह शर्मिंदा किया है। अब जरूरत है कि हमारा पूरा पाकिस्तान और उसके हम नागरिक बांग्लादेश और उसकी जनता और खास कर बांग्ला–महिलाओं पर सरेआम माफी मांग लें, जिन्होंने जिल्लत की सारी सीमाएं तोड़ती हुई देखा, भोगा और आज भी भोग रहे हैं।

पाकिस्तानी महिलाओं की इस सार्वजनिक क्षमायाचना ने एक तूफान तो खड़ा कर ही दिया है। यह प्रयास सैनिक शासन और धार्मिक कट्टरता के साथ ही आतंकवाद की शरणस्थली बन चुके पाकिस्तन की फकत चंद महिलाओं का नहीं है। यह हिम्मत दिखायी है पाकिस्तान की वीमेंस एक्शन फोरम (डब्यूएएफ) नामक संगठन ने, जो पाकिस्तान का सर्वमान्य सबसे बड़ा महिला संगठन है। यही नहीं, इस माफीनामे पर इंस्टीच्यूट आफ वीमेंस स्टडीज, लाहौर जैसे अनेक प्रमुख संगठन के भी हस्ताक्षर हैं। डब्यूएएफ पाकिस्तान में महिलाओं का सबसे बड़ा संगठन है। डब्यूएएफ ने बांग्लादेश बनने के 25 साल के बाद पाकिस्तान की महिलाओं ने बांग्लादेश की महिलाओं से सार्वजनिक तौर पर क्षमा-याचना की थी और तब से हर साल से यह संगठन बांग्ला-महिलाओं से क्षमायाचना करता आ रहा है।

आपको बतातें चलें कि कभी पूर्वी पाकिस्तान रहे इस भू-क्षेत्र ने आत्मंनिर्णय के आंदोलन के तहत अपने लिए एक अलग और स्वतंत्र देश निर्माण का आंदोलन छेड़ा था। इसके पहले तक सन-1947 के बाद पाकिस्तान दो टुकड़ों में था। पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान। एक दूसरे से हजारों मील दूर इन टुकड़ों में न तो सांस्कृतिक, भाषा में समानता थी, और न ही भौगोलिक समानता। पश्चिम टुकड़ा ने अपने पूर्वी टुकड़े को अपनी सैनिक छावनी बना डाला था। हिन्दुस्तान के बंटवारे के बाद से ही पूर्वी टुकड़े ने कसमसाना शुरू कर दिया। शेख मुजीबुर्रहमान के नेतृत्व में जल्दी ही आग पकड़ गया। लेकिन इस आंदोलन को दबाने के लिए पश्चिम पाकिस्तान की फौजों ने इस भू-भाग यानी बांग्लादेश में आजादी के आंदोलन को दबाने के लिए 20 लाख से ज्यादा बांग्लादेशियों को मौत के घाट उतार दिया। दमनचक्र महिलाओं पर भी पड़ा और नतीजा हुआ कि दो लाख से ज्या‍दा महिलाओं की अस्मिता को पाकिस्तानी फौज ने रौंदते हुए उन्हें मौत के घाट उतार दिया। बहरहाल, पाकिस्ता‍नी महिलाओं के इन संगठनों की इस क्षमायाचना ने जहां उनके पुरूष साथियों के मुकाबले अभी भी मानवीय और संवेदनशील बने रहने की हकीकत को प्रकट किया है, वहीं एक खौफनाक सचाई पर से पर्दा भी उठा दिया है कि स्व तंत्रता और आत्मसम्मान के आंदोलनों को दबाने कुचलने के लिए की जाने वाली कार्रवाइयों में महिलाओं को भी किस तरह निशाना और शिकार बनाया जाता है।  हालांकि यह क्षमायाचना सन 1971 में हुए बांग्लादेश के स्वतंत्रा संग्राम को लेकर है, लेकिन इसने अब तक विश्व भर में हुई और हो रही सैनिक कार्रवाइयों को भी सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है। और सबसे ज्या‍दा खास बात तो यह कि सैनिक कार्रवाइयों के दौरान वहां के उनके शासकों और राजनीतिक नेतृत्व के चेहरों पर से भी नकाब नोंच डाला है।

वीमेंस एक्श़न फोरन ने अपनी बांग्‍लादेशी बहनों को सम्बोधित एक पत्र में सन-1971 के दौरान उन पर पाकिस्ता़नी सैनिकों द्वारा की गयी हिंसक, अपमानजनक और दमनकारी हरकतों के लिए बाकायदा क्षमायाचना की है। पत्र में कहा गया है कि सन-1971 में बांग्लादेश की जनता की राजनैतिक अपेक्षाओं के दमन के लिए पाकिस्तानी शासन व उसकी फौजों द्वारा अपनाये गये विशुद्ध हिंसक और अमानुषिक बर्बरता की अभूतपूर्व भूमिका के बारे में पाकिस्तान के शासकों और आम आदमी को अब तो सोचना ही चाहिए।

वीमेंस एक्शन फोरन ने कहा है कि:- इस प्रकरण पर हमारी ओर से की गयी लम्बी चुप्पी ने न केवल लोकतांत्रिक सिद्धांतों-मूल्यों को उपहास की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया है, बल्कि मानवाधिकारों और आत्म–निर्णय के अधिकार, जिनकी हम पाकिस्तानी लोग हिमायत भी करते हैं, के साथ ही साथ अपने खुद के इतिहास को भी हमने उपहास और स्वांग में तब्दील कर डाला है। फोरम का मानना है कि अब जरूरत इस बात की है कि महिलाओं के खिलाफ जानबूझकर किये जाने वाले अपराधों और खासकर बलात्कार जैसे घिनौने कृत्यों पर कड़ा जनविरोध किया जाए। फोरम ने साफ शब्दों पर अपनी शर्म जतायी है:- तब जबकि हम देश का ध्यान सन 1971 के खुद को ही शर्मसार कर देने वाले अपने इतिहासकाल की ओर खींचना चाहते हैं, वीमेंस एक्शन फोरम अपनी ओर से बांग्लादेश की महिलाओं से बिना शर्त क्षमा चाहता है कि उन्हें उस समय जनता को अपमानित और कुचलने-संत्रस्‍त करने के प्रयास के हत प्रतीक और लक्ष्य बनाया गया।

फोरम की मांग है कि पाकिस्तान की जनता और उसके शासक-तंत्र को भी बांग्लादेश की महिलाओं पर हुए बर्बर हमले के लिए माफी मांगनी चाहिए।

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