पटना-धमाका: पटाखा का भ्रम पैदा करने वाले लगाये हल्के बम

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गरीबों के नाम पर खुलाये जाते थे बैंक अकाउंट

लखीसराय : सवाल ये है कि क्या एक अकेली महिला हवाला का बड़ा रैकेट चला रही थी? क्या आयशा जानती थी कि वो पाकिस्तान में बैठे जिन लोगों से संदेश हासिल कर रही है उनका मकसद आतंकी है? क्या उसे पता था कि लखीसराय में अपने लोगों से वो आतंकियों तक पैसे पहुंचा रही थी? पटना ब्लास्ट में बेहद कम क्षमता वाले बमों का इस्तेमाल हुआ था। सवाल ये है कि आखिर इतनी कम क्षमता वाले बम लगाने के पीछे मकसद क्या था?

इंडियन मुजाहिदीन का देश में खासकर बिहार में मजबूत नेटवर्क है। फिर भी हवाला की रकम के लिए उसने आयशा बानो, गोपाल और विकास जैसे लोगों को क्यों चुना? क्या हवाला के इस रैकेट का जन्म ही आतंक के पैसों को आतंकियों तक पहुंचाने के लिए हुआ? सूत्रों की मानें तो एनआईए की जांच की दिशा ही बदल सकती है अगर इन सवालों का जवाब मिल गया।

किसी भी वारदात में मकसद सबसे अहम होता है। लेकिन जिस तरह से पटना में बेहद कम क्षमता के ब्लास्ट हुए वो आतंकियों के मकसद पर भ्रम पैदा कर रहे हैं। मोदी की रैली चल रही थी। धमाके शुरू हुए। लेकिन धमाकों की कम क्षमता की वजह से भीड़ ने पहले समझा कि मानो पटाखे छूट रहे हैं। जांच एजेंसियां ये सोच रही हैं कि आखिर भीड़भाड़ वाली जगहों के बम फटे क्यों नहीं। बम वहीं क्यों फटे जहां भीड़ नहीं थी। सुरक्षा एजेंसियों के सामने सवाल ये भी कि इंडियन मुजाहिदीन के बम बनाने के एक्सपर्ट से ऐसी चूक क्यों हुई।

पुलिस को छापेमारी में मिले सुरागों के मुताबिक आतंकियों ने कुछ महीने पहले गुवाहाटी से चार सौ घड़ियां खरीदीं। जिलेटिन की छड़ें भी स्थानीय उत्पादक से हासिल कीं। पुलिस के मुताबिक इन लोगों ने चार सौ टाइमर बम बनाने की योजना बनाई। पटना ब्लास्ट से पहले इन्होंने 257 बम बनाए, 42 बम मिले, लेकिन बाकी लापता हैं।

सवाल ये है कि बमों की स्थानीय सामग्री और साजिश में स्थानीय लड़कों के शामिल होने का मतलब माओवादी और इंडियन मुजाहिदीन की मिलीभगत है या इंडियन मुजाहिदीन ने जानबूझकर इन लड़कों को शामिल कर जांच को भरमाने की कोशिश की है।

अभी तक की जांच में एजेंसियां तहसीन अख्तर, जावेद मोहम्मद और इलियास बकार को पटना ब्लास्ट का मास्टरमाइंड मान रही थीं। माना जा रहा था कि इन तीनों ने पहले बोध गया ब्लास्ट कराये और फिर पटना ब्लास्ट की साजिश रची। मगर नए हालात में जांच एजेंसियों को अब ये सवाल सता रहा है कि लश्कर के चीफ हाफिज सईद के नजदीक आने की महत्वाकांक्षा पाले तहसीन, जावेद और इलियास से एक के बाद एक चूक क्यों होती गई।

असल में जांच एजेंसियों को फिर से सोचने के लिए मजबूर होने के पीछे कई कारण हैं। इंडियन मुजाहिदीन के सबसे बड़े कमांडर यासीन भटकल से दिल्ली पुलिस की पूछताछ में पटना धमाकों के बारे में कोई भी जानकारी नहीं मिल सकी है। उसे ये तो पता है कि इंडियन मुजाहिदीन धमाकों का प्लान कर रहा था लेकिन उसे इस बारे में कुछ नहीं पता कि मोदी की रैली में काफी कम क्षमता वाले बम रखने की वजह क्या है।

इसके अलावा एजेंसियों को ये भी बात हजम नहीं हो रही कि रैली की जगह के अंदर रखे बम तो नहीं फूटे मगर वो सारे बम कामयाब हुए जो ऐसी जगहों पर रखे गए थे जहां जानमाल का नुकसान होने की संभावना कम थी। क्या ये बम रखने वालों की गलती थी या ऐसा जानबूझकर किया गया। पुलिस सूत्रों की मानें तो तहसीन बम रखने और बनाने में माहिर था, मगर उसने बम रखने के लिए ऐसे लड़के क्यों चुने जो चूक पर चूक करते गए।

इस मामले पर पूरी खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें पटना कांड की मास्टर-माइंड निकली आयशा

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