नहीं जाएगी महिला की जान, वैध होगा गर्भपात

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हालांकि कैथालिक नेता चाहते हैं कि बिल खारिज हो

लंदन : आयरलैंड के सांसदों ने एक सुधार के पक्ष में मतदान किया है जो जान को खतरा होने के मामलों में गर्भपात को कानूनी रूप देने की राह प्रशस्त करेगा।

‘द प्रोटेक्शन ऑफ लाइफ ड्यूरिंग प्रेग्नेन्सी बिल’ के पक्ष में 138 वोट और विरोध में 24 वोट पड़े। पहली बाधा पार करते हुए विधेयक ने दशकों से जोखिम भरी स्थिति में गर्भपात कराने के महिलाओं के अधिकार को लेकर व्याप्त भ्रम दूर कर दिया। अब यह विधेयक अगले सप्ताह अंतिम मुहर के लिए संसद में पेश किया जाएगा।

आयरलैंड के कठोर गर्भपात निरोधक कानूनों को लेकर बहस पिछले साल भारतीय दंत चिकित्सक सविता हलप्पनवार की मौत के बाद तेज हो गई थी। सविता को गर्भपात के बाद सेप्टीसेमिया हो गया था जिससे उनकी मौत हो गई थी। इससे पहले सविता ने गर्भपात के लिए बार बार कहा था ताकि उनकी जान बच सके। लेकिन डॉक्टरों ने गर्भपात करने से मना कर दिया था।

कैथोलिक नेताओं ने चेतावनी दी है कि प्रस्तावित कानून से आयरलैंड में गर्भपात की अनुमति मिल जाएगी और लोग इसका दुरूपयोग करने लगेंगे। यूरोप में आयरलैंड ऐसा देश है जहां किसी भी हालत में गर्भपात पर आधिकारिक प्रतिबंध है। प्रधानमंत्री एंडा केनी ने हालांकि कहा है कि गर्भपात पर संवैधानिक प्रतिबंध यथावत रहेगा। आयरलैंड में गर्भपात कानूनों के मुताबिक, सरकार मां और उसके अजन्मे बच्चे, दोनों की जान बचाने के लिए प्रतिबद्ध होती है।

वर्ष 1992 में सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी कि इस कानून का वास्तव में मतलब यह है कि गर्भपात कानूनी होना चाहिए। अगर डॉक्टरों को लगता है कि मां की जान को खतरा है या खुद वह आत्महत्या की धमकी देती है जिससे उसे बचाने के लिए गर्भपात जरूरी है तब गर्भपात किया जाना चाहिए। छह पूर्ववर्ती सरकारों ने सुप्रीम कोर्ट की व्यवस्था के समर्थन में कानून पारित करने से इंकार कर दिया और कहा कि आत्महत्या की धमकी वाली बात से कानून का दुरूपयोग होगा।

वाम विचारधारा वाले आयरलैंड के अस्पतालों में बहुत ही आपात स्थिति को छोड़ कर कभी गर्भपात की अनुमति नहीं होती। यही वजह है कि कई गर्भवती महिलाएं चिकित्सकीय या मनोवैज्ञानिक समस्याओं के चलते समीपवर्ती इंग्लैंड में गर्भपात कराती हैं जहां 1967 से गर्भपात को कानूनी रूप दिया जा चुका है।

वर्तमान आयरिश सरकार पर वर्ष 2011 में यूरोपियन कोर्ट ऑफ ह्यूमन राइट्स के इस आदेश के बाद से जान बचाने की खातिर गर्भपात की अनुमति देने संबंधी कानून बनाने के लिए गहरा दबाव था कि आयरलैंड के कोई कार्रवाई न करने से महिलाएं अनावश्यक चिकित्सकीय खतरों का सामना करने को मजबूर हैं।

सविता हलप्पनवार की मौत ने इस बहस को और तेज कर दिया। 31 वर्षीय सविता की पिछले साल अक्तूबर में गालवे यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल में मौत हो गई थी। सविता को एक सप्ताह पहले गर्भपात शुरू होने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था और उन्हें तेज दर्द हो रहा था। सविता को सेप्टीसेमिया हो गया था और वह कोमा में चली गईं। बाद में उनके शरीर के कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया और उनकी मौत हो गई थी।

चिकित्सकीय समीक्षाओं में पाया गया कि भ्रूण की मौत से एक या दो दिन पहले सविता का गर्भपात करा दिया जाता तो उनके बचने की उम्मीद बढ़ जाती। बहरहाल, अस्पताल को भी सविता की देखभाल में कई तरह की नाकामी का भी दोषी पाया गया। नए विधेयक में कहा गया है कि अगर आत्महत्या का खतरा हो तो तीन डाक्टरों और मनोवैज्ञानिकों की सहमति गर्भपात के लिए जरूरी होगी।

आयरलैंड की नेशनल वूमेन्स काउंसिल का कहना है कि यह विधेयक बहुत की कम मामलों के लिए उपयोगी होगा और देश की ज्यादातर महिलाओं के लिए हालात नहीं बदलेंगे। आयरलैंड में इस विधेयक के बाद भी दुनिया में सबसे कठोर गर्भपात कानून होंगे।

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