खूनी पंजों से बेखबर दो सहेलियों ने कर ली शादी

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

 

पाकिस्तान की लेस्बियन कपल ने रच डाला नया इतिहास

: इस्लामी तरीके से शादी न होने से नहीं हुआ परम्प रागत निकाह : रेहाना कौसर और सोबिया कमर ने खायी जिंदगी भर साथ निभाने की कसम : ब्रिटेन में लगायी अर्जी के अब राजनीतिक शरण दिया जाए :

लंदन : कत्ल की धमकी की परवाह न करते हुए ब्रिटेन में पाकिस्तान का एक मुस्लिम लेस्बियन कपल शादी के बंधन में बंध गया। लोकल मीडिया की खबरों के मुताबिक, 34 साल की रेहाना कौसर और 29 साल की सोबिया कमर ने लीड्स के रजिस्ट्री ऑफिस में जिंदगी भर में साथ रहने की कसमें खाईं और उसके फौरन बाद ब्रिटेन में राजनीतिक पनाह (पॉलिटिकल असाइलम) के लिए अर्जी दी।

पाकिस्तान (लाहौर) मूल की कौसर ने बर्मिंघम के अखबार संडे मर्करी को बताया कि ब्रिटेन ने हमें हमारे हक का इस्तेमाल करने की इजाजत दी और हमारा यह फैसला बेहद निजी है। हमें अपनी निजी जिंदगी में क्या करना है और क्या नहीं करना है, यह बताना किसी दूसरे का काम नहीं है।

लेकिन पाकिस्तान में इस मसले पर अभी दिक्कतें मौजूद हैं। बकौल कौसर, पाकिस्तान की दिक्कत यह है कि वहां हर शख्स यह मानता है कि वह दूसरों की जिंदगी का मालिक है। वे यह भी सोचते हैं कि वे दूसरों को नैतिकता से जुड़े मामलों में बिना उचित रवैया अपनाए फैसला दे सकते हैं। कौसर ने यह भी कहा कि हम इस देश (ब्रिटेन) में इसलिए हैं, क्योंकि हमारे मौलवियों ने हमारी सोसायटी को हाइजैक कर रखा है।

मगर रेहाना खुद को जीवनसाथी मानती है कौसर। मूल रूप से पाकिस्तान के मीरपुर की रहने वाली सोबिया कमर ने कहा कि मेरी पार्टनर रेहाना कौसर मेरी जीवनसाथी है। इस शादी को लेकर इन दोनों को जान से मारने की धमकी भी मिली थी। सोबिया और रेहाना के रिश्तेदारों का कहना है कि दोनों को ब्रिटेन और पाकिस्तान में रहने वाले लोगों की तरफ से जान से मारने की धमकी मिल रही है, क्योंकि पाकिस्तान में अब भी समलैंगिकता गैरकानूनी है।

यह शादी इसी महीने हुई। दोनों ने इस मौके पर वाइट ब्राइडल ड्रेस पहना था। उन्होंने रजिस्ट्रार को बताया कि तीन साल पहले उनकी मुलाकात बर्मिंघम में बिजनेस और हेल्थ केयर मैनेजमेंट की पढ़ाई के दौरान हुई और अब वे साउथ यॉर्क शायर में साथ रह रही हैं। शादी की सेरेमनी में दोनों के वकील और दो पाकिस्तानी दोस्त भी मौजूद थे। हालांकि इस कपल ने इस्लामिक परंपरा के मुताबिक, निकाह नहीं किया, क्योंकि इसके लिए उन्हें इमाम नहीं मिल सके।

 

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