कन्‍याभ्रूण हत्‍या मसले पर समाधान खोजने वाली बैठक में न आये डीएम, न सीएमओ

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आईएमए ने कमर कसी, अब नहीं होने देंगे कन्या-भ्रूण हत्या जौनपुर में

: शर्मिंदा वयोवृद्ध डॉक्‍टर ने मानी गलती और अपना नाम वापस लिया : डाक्टर देवप्रकाश सिंह बोले, धमकी नहीं, सीधे स्टिंग-कार्रवाई कर ईनाम दीजिए ना : आखिरकार क्यों नहीं हो पा रही है अल्ट्रासाउंड की ऑनलाइन व्यवस्था : आखिरकार जौनपुर में भभक उठी कन्या-भ्रूण संरक्षण की मशाल :

जौनपुर: मौका था महिला दिवस का। आयोजन किया था जिला प्रशासन ने। स्थान तय हुआ था जिला अस्पताल का परिसर। आना था अफसरों के साथ अल्ट्रासाउंड से जुड़े डॉक्‍टरों को। मौजूद थे ज्यादातर फर्जी अल्ट्रासाउंड सेंटर के मालिक। गैरमौजूद थे जिलाधिकारी और जिला चिकित्साधिकारी समेत बड़े अफसर। नतीजा, डॉक्टरों ने इस महत्वपूर्ण बैठक की कार्रवाई और उसके तौर-तरीकों पर सख्त ऐतराज जताया और कहा कि इस हालत के लिए जिम्मेदार डॉक्‍टर ही हैं और अब वे अपना मुंह नहीं छिपा सकते। इन डॉक्‍टरो ने साफ कहा कि जब तक फर्जी अल्‍ट्रासाउंड सेंटरों पर कड़ी कार्रवाई नहीं की जाएगी, कन्‍याभ्रूण हत्‍या की समस्‍या का समाधान नामुमकिन है। बहरहाल, अब तय हुआ है कि बेहद गम्भीर मसले से जुड़े इस पूरे प्रकरण पर आईएमए प्रदेश और देश के स्तर पर हस्तक्षेप करने की कार्रवाई करेगा।

यह हालत थी आज विश्व  महिला दिवस के अवसर पर यूपी के पूर्वांचल क्षेत्र में स्थित जौनपुर जिले के मुख्यालय में आयोजित डॉक्टरों की बैठक की। जिला अस्पताल परिसर में आयोजित की गयी थी यह बैठक। मकसद था कि किसी भी तरह कन्या भ्रूण हत्या पर लगाम लगायी जाए और ऐसा काम करने वालों पर सख्त कार्रवाई के घेरे में रखा जाए।

पूर्वनियोजित बैठक के तहत आज सुबह जिला अस्पताल में बैठक आयोजित की गयी थी। लेकिन कन्याभ्रूण संरक्षण के लिए जिम्मेदार कोई भी अफसर इस बैठक में नहीं पहुंचे। न तो जिलाधिकारी पहुंचे और न ही जिला चिकित्सा अधिकारी ने ही औपचारिकता से ही सही, नहीं हाजिरी लगायी। बैठक में केवल आईएमए यानी इंडियन मेडिकल एसोसियेशन की जौनपुर इकाई के पदाधिकारी ही पहुंचे थे जो सीधे-सीधे तौर पर रेडियोलॉजी से जुड़े डॉक्टरों के साथ-साथ ऐसे लोग भी बड़ी संख्‍या में मौजूद थे जिनको इस बैठक में बुलवाना अनावश्‍यक था। मसलन, वरिष्ठ चिकित्सक वी सहाय, क्षितिज शर्मा, मेजर एके मौर्या, आलोक वर्मा, देवप्रकाश सिंह, श्रीमती स्मिता श्रीवास्तव जैसे डाक्टर मौजूद थे। दो डिप्टी सीएमओ स्तर के दो अधिकारियों के साथ करीब एक दर्जन से ज्यादा ऐसे लोग भी बैठक में मौजूद थे जिनकी अपनी निजी अल्ट्रासाउंट सेंटर थी, लेकिन इसके बावजूद यह लोग केवल व्यवसायी थे, चिकित्सक या विशेष-विशेषज्ञ नहीं।

शुरूआत में ही मामला भड़क गया। कन्याभ्रूण संरक्षित करने के मसले पर आयोजित इस बैठक पर चिकित्सकों के बजाय ज्यादातर गैरजानकार और विशुद्ध व्यवसायियों को बुलाये जाने को लेकर यह चिकित्सक बुरी तरह भड़क गये। डॉक्टर क्षितिज शर्मा ने तो यहां तक कह दिया कि यह बैठक नहीं केवल खानापूरी है या फिर केवल नाटक। हम यहां समस्याओं का समाधान खोजने आये हैं, न कि चंद गैरजरूरी लोगों की मौजूदगी दिखाकर खानापूर्ति और फिर केवल नाश्ता करने-कराने के लिए। उन्हें खेद व्‍‍यक्त किया कि इस हालत से कन्याभ्रूण हत्या पर प्रभावी रोक नहीं लगायी जा सकती है। अगर सरकार या प्रशासन इस सर्वाधिक संवेदनशील मसले वाकई गंभीर है तो उसे पहले अपना तौर-तरीका बदलना होगा, अन्यथा इसका मुकाबला किया जा पाना मुमकिन नहीं है। उनका कहना था कि लगता है कि इस बैठक में समाधान नहीं, बल्कि सरकारी बजट का बेजा इस्‍तेमाल किया जा रहा है।

बैठक में डॉक्टर देवप्रकाश सिंह ने सीधे तौर पर वहां उपस्थित डॉक्टर वी सहाय की गतिविधियों पर ऐतराज किया कि उन्‍होंने अपनी डिग्री के आधार पर मान्‍यता प्रदान करायी है जो जिला अस्पताल के सामने स्थित है और इसी वेलकम डायग्‍नोस्टिक सेंटर को एक नर्स द्वारा अल्ट्रासाउंड किया जा रहा है। लेकिन हैरत की बात है कि इस सेंटर को जिला प्रशासन ने अनुमति जारी कर दी है।  डॉक्टर सहाय पर अरोप था कि इसी प्रमाण पत्र के आधार पर ही वेलकम डायनोस्टिक्स सेंटर को अनुमति दी गयी है, जो पूरी तरह फर्जी और गैरकानूनी है। उनका कहना था कि जब डॉक्टर सहाय जैसे वरिष्ठ चिकित्सक चंद पैसों के चलते इस तरह अपनी डिग्रियों को फर्जी लोगों के नाम जारी करेंगे तो आम मरीज तो दूर, कन्याभ्रूण संरक्षण का अभियान ही सपना बन जाएगा। उनका कहना था कि यह सारा कुछ राजनीतिक हस्‍तक्षेप और स्‍वार्थी कारणों से ज्‍यादा हो रहा है जिसका आधार झोलाछाप डॉक्‍टर ही हैं। जगह-जगह पर नई लिस्‍ट चस्‍पा की जाए, जिसमें डॉक्‍टर और वहां बैठने वालें डॉक्‍टरों के बैठने का तयशुदा समय का ब्‍योरा दर्ज हो, साथ ही यह भी स्‍पष्‍ट हो कि आम मरीज को अगर दिक्‍कत-शिकायत हो तो वह कहां और किससे के साथ ही साथ किस तरह से अपना ऐतराज दर्ज सके।

डॉक्‍टर क्षितिज की नेतृत्‍व में आइएमए जौनपुर ने अगस्‍त-12 से जौनपुर के पूर्व जिलाधिकारी डॉक्‍टर बलकार सिंह से मिल कर कन्‍या भ्रूण-संरक्षण की दिशा में अनेक मसलों पर गंभीर चर्चा की थी। इन बैठकों का मकसद केवल यही था कि किस तरह फर्जी और धंधेबाज अल्‍ट्रासाउंड सेंटरों द्वारा भ्रूण- परीक्षण के नाम पर कन्‍या-भ्रूण परीक्षण और उनकी हत्‍या की साजिशें की जा रही हैं। बैठक में डॉक्‍टरों ने कहा था कि हमारी बेटी नामक एक वेबसाइट भी तैयार की जा चुकी है जो कन्‍या-भ्रूण संरक्षण पर निगरानी की शीर्ष संस्‍था की भूमिका निभायेगी। बैठक में प्रशासन से अनुरोध किया कि कन्‍या-भ्रूण संरक्षण को लेकर इसी साइट पर तैयार फार्मेट को मंजूरी दी जाए। इसके लिए आईएमए जौनपुर ने जिले के पूर्व जिला जज से पहले से ही अनुमति जारी का अनुरोध किया था। डॉ देवप्रकाश सिंह ने तो यहां तक कह दिया कि सरकार और प्रशासन कहता है कि कन्‍या-भ्रूण हत्या नहीं हो रही है, जबकि मैं कहता हूं कि जौनपुर यह बदहालत खूब है। यह अवैध और अमानवीय काम जोरों पर है। जरूरत है इस पर लगाम लगाने की और जब तक फर्जी डाक्टरों पर अंकुश नहीं लगाया जाएगा, कुछ नहीं होगा।

खैर, उधर जिले के कई प्रबुद्ध चिकित्‍सकों और वरिष्‍ठ नागरिकों ने मांग की है कि कन्‍या-भ्रूण हत्‍या की साजिशों का खुलासा से जुड़े स्टिंग आपरेशन करने वालों को पुरस्कार जरूर दे और फौरन दे। इन लोगों का कहना है कि यह इसलिए जरूरी है ताकि इस काले धंधे का खुलासा हो सके। उनका कहना था कि पुरस्कार देने के लिए 50 हजार रूपये तक का ईनाम दिया जाए, और सरकार व प्रशासन के लिए पीसीपीएनडीटी फंड के लिए पर्याप्त रकम मौजूद है। सवाल यह है कि आखिर तब ऐसा हो क्यों नहीं पा रहा है। डॉ देवप्रकाश सिंह ने जरूरत इस बात बतायी कि अल्ट्रासाउंड का ऑनलाइन रिकार्ड किया जाए, पेशेंट का फालोअप हो, रिकार्डिंग हो और कम से कम दो साल तक का हिसाब हो ताकि अगर कोई गड़बड़ हो तो उसे फौरन पकड़ा जा सके। उनका कहना था कि इस बारे में सर्वोच्च न्यायालय पहले ही आदेश जारी कर चुका है कि अल्‍ट्रासाउंड का इलेक्ट्रानिक रिकार्ड रखना अनिवार्य है, लेकिन जो अब तक जौनपुर में लागू नहीं किया जा सका है। डॉक्‍टर देव प्रकाश सिंह ने आशा ही नहीं, बल्कि विश्‍वास जताया है कि यदि डॉक्‍टर और प्रशासन इस मामले पर आईएमए के साथ एकजुट होगा तो कन्‍या-भ्रूण हत्‍या को एक महीने के भीतर पर जड़ से खत्‍म किया जा सकेगा।

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