हुर्रे, हम जीत गये। कांपते सुब्रत राय का ऐलान:- आपकी सारी मांगें मंजूर

: लगा, जैसे किसी विशाल मैदान में हजारों-लाखों सिंह-व्याघ्र एकसाथ दहाड़ रहे हों : जीत के लिए बेहद परिश्रम और जीत का उल्लास इसी तरह मनाया जाता है : हर सांस में जिजीविषा, हर पल हौसलों की लहर, हर कदम में जीत, हर धड़कन में जीवन्तता : कुमार सौवीर लखनऊ : लेकिन यह तो छलावा […]

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सुब्रत राय: हमने सहारा प्रेस घेर लिया, बिजली-पानी काट दिया

: सौ जूतों से रूतबा गालिब नहीं होता, यह वो खजाना है जो कभी खत्म नहीं होता : तय हुआ कि अब बातचीत नहीं, हम केवल हां ही सुनेंगे : सुबोध नाथ गिड़गिड़ाये कि हमारे लोगों को रिहा कर दीजिए : कुमार सौवीर लखनऊ : सिर्फ इतना ही याद है कि मजदूरों और पीएसी वालों […]

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सुब्रत राय: और फिर जमीन पर गिरे जयब्रत राय पर मेरा आक्रोश उतरा

: मजदूरों की हुंकार के सामने जयब्रत राय कांप उठा, थरथरा कर दोनों हाथ जोड़ लिये : तब मैं 16 रूपये का मिलिट्री का रिजेक्टेड जूता पहनता था : पहली बार अहसास हुआ कि सस्तेी जूते का असर भी कमाल का होता है : कुमार सौवीर लखनऊ : बहरहाल, सामने ही खड़े थे ओपी श्रीवास्तव। […]

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सुब्रत राय: मैं मैनेजमेंट की ओर लपका, पीछे आक्रोशित मजदूरों का रेला

: पानी के पहले घूंट पर श्याम को खून की उल्टी हुई तो मेरा संयम टूटा : जयब्रत राय और श्रीवास्तव समेत दर्जनों अफसर थरथर कांप रहे थे : शटर इतनी ताकत से खोला, मानो हनुमान जी अपना सीना चीर रहे हों : नंगे अवधूत की डायरी पर दर्ज हैं सुनहरे दर्ज चार बरस- दस : […]

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सुब्रत राय: नवें दिन उगा फैसलाकुन सूरज, जयब्रत और ओपी पहुंचे

: सुब्रत राय ने हमारे आंदोलन को कुचलने के लिए प्रेस में पीएसी तैनात करा दी : नुक्कड़ नाटक के बाद टोपी दिखा कर हम सब मांगा करते थे सहयोग-राशि : तनाव बढ़ने लगा, सुब्रत राय का तख्त-ए-ताऊस हिलने लगा : कुमार सौवीर लखनऊ : तो फिर आखिरकार नवां दिन का सूरज भी उगने लगा। सुब्रत […]

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