जी-सलाम चैनल के उद्घाटन समारोह में उर्दू छोड़ कर बाकी सब मौजूद रहा

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: सुभाष चंद्रा ने तो बाकायदा अंग्रेजी में अपना भाषण दिया : लगे हाथों पर उर्दू पर अंग्रेजी का ही छौंका लगा गये जगदीश कातिल : सुधीर चौधरी की गैरमौजूदगी ताज्‍जुब-तलब रही :

कुमार सौवीर

नोएडा : अस्‍सलाम वाले कुम मियां। अब तो खुश हो न, कि अब तुम जैसे मोमिनों के लिए एक नया उर्दू खबरी और मनोरंजन चैनल आ गया है। अंदाज वही, हरा-हरा। चारों ओर हरियाली फेंकता हुआ चैनल। उर्दू में मुसलमानों की बात करने वाला चैनल, हक-ओ-हुकूक की वकालत करने वाला चैनल अब आ गया है।

जी हां, सुभाष चंद्रा ने अपने जी-समूह के विशालतम बेड़े में एक नया उर्दू चैनल शामिल कर लिया है। दरअसल, खबरों की दुनिया में ही नहीं, बल्कि समाज में भी यह संदेश पुख्‍ता होता जा रहा था कि जी-समूह भाजपा, आरएसएस और भाजपा की ही जुबान बन चुका है। खासकर सुधीर चौधरी जैसे लोग जिनके कार्यक्रमों में हिन्‍दू समाज की ही बातें होती हैं, भाजपा की पिपहरी बजायी जाती है, मोदी को ही नमो-नमो के तौर पर किसी प्रभावी भजन की तरह गाया जाता है। इसलिए सुभाष चैनल ने अपने समूह के प्रति प्रचलित ऐसी छवि को तोड़ने के लिए जी-उर्दू चैनल को ऑन-एयर कर दिया। मगर इस चैनल की शुरूआत में ही मक्‍खी पड़ गयी।

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दरअसल, नये-नये चैनल बनाने, बिगाड़ने, पैदा करने, दफ्न करने में माहिर सुभाष चंद्रा वाकई कमाल की शख्सियत हैं। चैनल तो ऐसा चलाते हैं, मानो कोई शातिर जुआड़ी ताश के पत्‍ते फेंटता हो। दुनिया में किसी भी समाचार संस्‍थान ने ऐसे और इतने चैनल नहीं अदले-बदले होंगे, जितना सुभाष चंद्रा ने बदला है। और अब यह नया उर्दू चैनल।

बहरहाल, बात यह हो रही थी कि इस चैनल की स्‍थापना तो उर्दू को लेकर हुई, लेकिन श्रीगणेश अंग्रेजी से हुआ। सुभाष ने केक काटा और फिर एक्‍सटम्‍पोर अंग्रेजी बोलनी शुरू कर दिया। उसके बाद नम्‍बर आया जगदीश कातिल का। तो भइया, जब मालिक ही अंग्रेजी बूंक रहा था, तो कातिल कैसे पिछड़ते। नतीजा उन्‍होंने भी अंग्रेजी में लघुशंका करना शुरू कर दिया।

लेकिन हैरत की बात तो दो चीजों पर रही। एक तो यह कि सुधीर चौधरी ने इस कार्यक्रम से खुद को अलग ही रखे रखा। दूसरी बात यह कि अपने आफिस में ही आयोजित इस कार्यक्रम में सुभाष चंद्रा का अंगरक्षक क्‍या कर रहा था।

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सुभाष चंद्रा

दिल्‍ली पुलिस में दीवान पद पर तैनात इस पुलिसवाले को सुभाष चौधरी ने क्‍यों इतना मुंह लगा लिया, जो आफिस में भी घुस आया। सुभाष को अपने ही दफ्तर में सुरक्षा का खतरा अगर है, फिर तो यह बेहद शर्मनाक संदेश है।

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